रक्षा बंधन का त्योहार भारत के हर हिस्से में लोक उत्सव की तरह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। रक्षा बंधन का इतिहास मानव सभ्यता की तरह काफी पौराणिक और मार्मिक है। रक्षा बंधन अटूट स्नेह, अटूट विश्वास और भाई-बहनों के बीच अटूट प्रेम का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर प्यार से रक्षा सूत्र बांधती हैं।

दिल्ली के मशहूर अंकशास्त्री सिद्धार्थ एस कुमार ने Jansatta.com से खास बातचीत में बताया कि रक्षा बंधन से जुड़ी कई पुरानी मान्यताएं हैं जिनमें से एक है पसंदीदा मां लक्ष्मी और राजा बलि को लेकर है, आइए जानते हैं-

माता लक्ष्मी तथा राजा बलि की कहानी

ऐसा कहा जाता है कि असुर सम्राट बलि भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु स्वयं उनके राज्य की रक्षा करने लगे। जिसके कारण वे कम ही बैकुंठ में रहते थे। इसी तरह माता लक्ष्मी बहुत परेशान होने लगीं।

तब माता लक्ष्मी ने एक उपाय सोचा, उन्होंने एक ब्राह्मण महिला का रूप धारण किया और बलि के महल में रहने लगीं। कुछ समय बाद उन्होंने बलि के हाथों में राखी बांधी, और बदले में कुछ पाने की इच्छा व्यक्त की; बलि को उस स्त्री के बारे में नहीं पता था कि वह स्वयं माता लक्ष्मी हैं। इसलिए बलि ने स्त्री से कुछ भी मांगने को कहा।

इसके बाद माता ने बलि से भगवान विष्णु को अपने साथ बैकुंठ वापस लाने का अनुरोध किया। महाराज बलि ने पहले ही वरदान दे दिया था, इसलिए भगवान विष्णु को वापस लौटना पड़ा। रक्षाबंधन के प्रभाव से माता लक्ष्मी ने अपने पति विष्णु को पुनः प्राप्त कर लिया।

वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि

  • दूर्वा (घास)
  • अक्षत (चावल)
  • केसर
  • चंदन
  • सरसों के दाने

इन 5 वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसकी सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें। ऊपर दिए तरीके से वैदिक रक्षा सूत्र बनाया जा सकता है। इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार सर्वप्रथम अपने कुलदेवी/कुलदेवता और इष्ट देव को अर्पित करें। फिर बहनें अपने भाई को शुभ मुहूर्त में बांधें।

वैदिक राखी में इन पांच वस्तुओं का महत्त्व

  • दूर्वा : जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बुवाई पर तेजी से फैलता है और हजारों में बढ़ता है, उसी प्रकार मेरे भाई के वंश और गुणों का तेजी से विकास हो। सदाचार, मन की पवित्रता में तेजी से वृद्धि हो। गणेश जी को दूर्वा प्रिय हैं, अर्थात जिनको हम राखी बांध रहे हैं, उनके जीवन में आने वाले विघ्नों का नाश हो।
  • अक्षत : हमारा आपसी प्रेम कभी ना टूटे, सदा अक्षुण्ण रहे।
  • केसर : केसर का स्वभाव तेज होता है यानी हम जो राखी बांध रहे हैं वह चमकीली होनी चाहिए। उनके जीवन में अध्यात्म और भक्ति की तीव्रता कभी कम न हो।
  • चंदन : चंदन की प्रकृति शीतल होती है और सुगंध देती है। इसी प्रकार इनके जीवन में शीतलता बनी रहनी चाहिए, कभी भी मानसिक तनाव नहीं होना चाहिए। साथ ही उनके जीवन में सदाचार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रही।
  • सरसों के दाने : सरसों का स्वभाव तीक्ष्ण होता है, अर्थात यह संकेत करता है कि हमें समाज की बुराइयों और कांटों को दूर करने में तेज होना चाहिए।

वैदिक रक्षा सूत्र मानव जीवन में अशुभ का विनाशक और कष्टों को हरण करने वाला होता है। वर्ष में इससे एक बार धारण कर लेने से मानव वर्षभर के रक्षित हो जाता है। ऐसी मान्यता हैं की मां कुंती के द्वारा बांधा हुआ रक्षा सूत्र अभिमन्यु की रक्षा करता रहा और रक्षा सूत्र टूटने के बाद ही महाभारत युद्ध में अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए।