Tulsi Vivah 2019 Date, Puja Vidhi, Muhurat, Time, Samagri: 8 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जायेगी। इसी के साथ इस दिन तुलसी विवाह कराने की भी परंपरा है। तुलसी विवाह को लेकर दो तारीखें सामने आ रही है। जिसके अनुसार कुछ जगह 8 नवंबर को तो कुछ इलाकों में 9 नवंबर को तुलसी विवाह कराया जायेगा। इस विवाह की रस्में एक आम विवाह की तरह ही होती है जिसमें विदाई भी जरूरी है। माना जाता है कि तुलसी विवाह से कन्या दान जैसा पुण्य फल प्राप्त होता है। यहां जानिए आखिर क्यों और कैसे कराया जाता है तुलसी विवाह और क्या है शुभ मुहूर्त…

देव उठनी एकादशी से विवाह के शुभ मुहूर्त जानिए यहां

तुलसी विवाह की पूजा विधि (Tulsi Vivah Puja Vidhi):

– तुलसी विवाह करते समय तुलसी का पौधा खुले में रखें।
– तुलसी विवाह के लिए मंडप को गन्न से सजाएं।
– इसके बाद तुलसी जी पर सबसे पहले लाल चुनरी ओढ़ाएं। उन्हें श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
– इसके बाद तुलसी के गमने पर भगवान विष्णु के दूसरे स्वरूप यानी शालिग्राम को रखें फिर उस पर तिल चढ़ाएं।
– अब दूध और हल्दी तुलसी जी और शालिग्राम भगवान को अर्पित करें।
– तुलसी विवाह के समय मंगलाष्टक का पाठ जरूर करें।
– एक घी का दीपक तुलसी जी के समक्ष जलाएं और उन्हें भोग में दाल और गुड़ अर्पित करें।
– तुलसी की कथा पढ़ें और भजन कीर्तन करें।
– एक लाल कपड़े में लपेट कर नारियल तुलसी माता को अर्पित करें।
– घर में किसी पुरुष को शालिग्राम जी को हाथ में उठाकर तुलसी जी की सात बार परिक्रमा करवानी चाहिए।
– ध्यान रहे कि तुलसी जी को शालिग्राम भगवान के बाईं तरफ बिठाएं।
– पूजा खत्‍म होने के बाद सारी सामग्री और तुलसी का पौधा मंदिर में दे आएं।

तुलसी विवाह की शुभकामनाएं, अपने परिजनों के साथ शेयर करें 

तुलसी विवाह से संबंधित सभी जानकारी जानने के लिए बने रहिए हमारे इस ब्लॉग पर…

Live Blog

Highlights

    05:06 (IST)09 Nov 2019
    तुलसी विवाह की तिथि और शुभ मुहूर्त

    देवउठनी एकादशी के बाद अब द्वादशी लग चुका है। ऐसे में जो लोग तुलसी विवाह के लिए इस तिथि को उत्तम मानते हैं वे आज शुभ मुहूर्त में तुलसी शालिग्राम का परिणय संपन्न कराएं'
    द्वादशी तिथि: 9 नवंबर 2019
    द्वादशी तिथि आरंभ: 08 नवंबर 2019 की दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से
    द्वादशी तिथि समाप्‍त: 09 नवंबर 2019 की दोपहर 02 बजकर 39 मिनट तक

    22:10 (IST)08 Nov 2019
    वृंदा और तुलसी के पौधे का संबंध:

    कथा मिलती है कि जिस स्‍थान पर वृंदा सती हुईं। उसी जगह पर तुलसी का पौधा उत्‍पन्‍न हुआ। चूंकि उसी स्‍थान पर वृंदा सती हुई थीं तो इसलिए तुलसी का एक नाम वृंदा भी हुआ। कहते हैं कि जब वृंदा ने श्री विष्‍णु को शाप दिया तो उसी समय उन्‍होंने भी वृंदा से कहा कि वह उनके सतीत्‍व का आदर करते हैं। लेकिन वह तुलसी के रूप में सदा-सर्वदा उनके साथ रहेंगी। इसके साथ ही भगवान विष्‍णु ने कहा कि जो मनुष्‍य कार्तिक एकादशी के दिन तुम्‍हारे साथ मेरा विवाह करेगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी। इसके बाद से ही इस शुभ तिथि पर शालिग्राम और तुलसी के विवाह की पंरपरा शुरू हुई। यही नहीं श्री हरि की पूजा में भी तुलसी को विशेष स्‍थान प्राप्‍त है। बिना तुलसी दल के विष्‍णु जी की पूजा भी पूर्ण नहीं होती।

    21:22 (IST)08 Nov 2019
    देव उठनी एकादशी पर व्रत रखने वाले ये काम न करें...

    एकादशी तिथि खास तौर पर देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए। इस दिन देवी तुलसी और भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का विवाह हुआ था इसलिए इस दिन तुलसी माता को चुनरी ओढ़ाना चाहिए। तुलली के पौधे के नीचे दीप जलाना चाहिए। द्वादशी तिथि को पारण तुलसी के पत्तों से करना चाहिए, इसके लिए तुलसी पत्ता व्रती को स्वयं नहीं तोड़ना चाहिए। बच्चे या बुजुर्ग जिन्होंने व्रत ना किया हो उनसे पत्ता तोड़ने के लिए कहना चाहिए।

    20:46 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी विवाह का महत्व (Tulsi Vivah Significance)  :

    कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और सभी देवता अपनी योग निद्रा से जाग जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा की जाती है और उनके स्वरूप शालिग्राम का विवाह तुलसी जी से कराया जाता है। इस दिन से ही विवाह, मुंडन, और अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। तुलसी विवाह को कन्या दान के बराबर ही माना जाता है।

    20:09 (IST)08 Nov 2019
    देव उठनी एकादशी पर बना शुभ संयोग:

    इस वर्ष एकादशी पर बड़ा ही शुभ संयोग बना है। एकादशी शुक्रवार के दिन है। इस दिन की स्वामिनी विष्णु प्रिया देवी लक्ष्मी हैं। इस दिन व्रत करने से एक साथ लक्ष्मी और नारायण के व्रत का फल व्रतियों को प्राप्त होगा। जो व्रती वैभव लक्ष्मी व्रत करते हैं उनके लिए अच्छी बात यह है कि उन्हें एक साथ दो व्रत का लाभ मिलेगा।

    19:33 (IST)08 Nov 2019
    जानिए आखिर क्यों करना पड़ा भगवान विष्णु को तुलसी से विवाह:

    एक समय जलंधर नाम का एक पराक्रमी असुर हुआ। इसका विवाह वृंदा नामक कन्या से हुआ। वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी। इसके पतिव्रत धर्म के कारण जलंधर अजेय हो गया था। इसने एक युद्ध में भगवान शिव को भी पराजित कर दिया। अपने अजेय होने पर इसे अभिमान हो गया और स्वर्ग की कन्याओं को परेशान करने लगा। दुःखी होकर सभी देवता भगवान विष्णु की शरण में गए और जलंधर के आतंक को समाप्त करने की प्रार्थना करने लगे।

    18:53 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी विवाह के दिन इन बातों का रखें ध्यान :

    कभी भी सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। -शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पत्ते अमावस्या, चतुर्दशी तिथि, रविवार, शुक्रवार और सप्तमी तिथि को तोड़ना वर्जित माना गया है।-अकारण तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। यदि बताए गए वर्जित दिनों में तुलसी के पत्तों की जरुरत हो तो तुलसी के झड़े हुए पत्तों का उपयोग किया जा सकता है। तुसली के पत्ते न तोड़े। -यदि वर्जित की गई तिथियों में से किसी दिन तुलसी के पत्तों की आवश्यकता हो तो उस दिन से एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़कर अपने पास रख लें। पूजा में चढ़े हुए तुलसी के पत्ते धोकर फिर से पूजा में उपयोग किए जा सकते हैं।

    18:35 (IST)08 Nov 2019
    Dev Uthani Ekadashi 2019 Dates, Muhurat for Marriage:

    देव उठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के जागने के साथ ही शादी के शुभ मुहूर्त शुरू हो जाते हैं। यह दिन विवाह के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन तुलसी विवाह कराने की भी परंपरा है। इसी के साथ बड़ी संख्या में शादी ब्याह देव उठनी एकादशी के दिन किये जाते हैं। देव उठनी एकादशी से पहले विवाह का कारक ग्रह बृहस्पति राशि बदलकर 12 साल बाद अपनी ही राशि धनु में आ गया है। जिसे काफी शुभ माना जा रहा है। जानिए देव उठनी एकादशी से लेकर पूरे नवंबर और दिसंबर माह में कौन-कौन से विवाह के शुभ मुहूर्त रहने वाले हैं।

    17:56 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी विवाह कराने से मिलता है पुण्य फल...

    माना जाता है कि तुलसी विवाह कराने से दांपत्य जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसी के साथ ही शादी में आ रही रुकावटें भी खत्म हो जाती है। मान्यता ये भी है कि तुलसी विवाह से कन्यादान जैसा पुण्यफल भी प्राप्त होता है।

    17:23 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी विवाह कब है (When Is Tulsi Vivah) ?

    हिन्‍दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी यानी कि देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) को तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) का आयोजन किया जाता है। कई जगह इसके अगले दिन यानी कि द्वादशी को भी तुलसी विवाह किया जाता है। जो लोग एकादशी को तुलसी विवाह करवाते हैं वे इस बार 8 नवंबर 2019 को इसका आयोजन करेंगे। वहीं, द्वादशी तिथि को मानने वाले 9 नवंबर 2019 को तुलसी विवाह करेंगे।

    16:39 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी विवाह का महत्व :

    मान्यता है कि कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी के दिन जो भक्त तुलसी और भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम का परिणय संस्कार संपन्न करवाता है और कन्यादान करता है उसको कन्यादान के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है। दांपत्य जीवन का सुख पाने के लिए तुलसी विवाह का आयोजन करता है उसकी दांपत्य जीवन की बाधाओं का अंत होता है और संतान सुख की प्राप्ति होती है

    15:50 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी जी की ऐसे हुई उत्पत्ति :

    पुराणों में कथा है कि भगवान विष्णु ने देवी वृंदा का छल से मान हरण किया। वृंदा के सतीत्व के भंग हो जाने से भगवान शिव वृंदा के पति असुरराज जलंधर का वध कर पाने में सफल हो सके। वृंदा को जब यह समझ में आया कि उनके पति का वध करने के लिए उनके आराध्यदेव भगवान विष्णु ने उनके साथ छल किया है तो वह भगवान विष्णु को पत्थर का हो जाने का शाप देती है। इस शाप से भगवान विष्णु काले पत्थर की मूर्ति में बदल गए जो शालिग्राम कहलाए। इससे सृष्टि में प्रलय की स्थिति आ गई। देवताओं की विनती और देवी लक्ष्मी के अनुरोध पर वृंदा भगवान विष्णु को शाप मुक्त कर देती है और खुद को अग्नि को समर्पित कर देती हैं। इस राख के ऊपर देवी वृंदा तुलसी रूप में प्रकट हुईं।

    15:02 (IST)08 Nov 2019
    देवशयनी एकादशी से शादी के शुभ मुहूर्त हो जाते हैं शुरू:

    12 जुलाई दिन शुक्रवार को देवशयनी एकादशी थी, इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले गए थे। देवशयनी एकादशी से चतुर्मास का प्रारंभ हो गया था, जो देवउठनी एकादशी तक रहता है। इस दौरान विवाह, उपनयन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। साल भर में चौबीस एकादशी आती हैं, जिसमें देवउठनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी को प्रमुख एकादशी माना जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है जिसके बाद से शादी ब्याह के शुभ मुहूर्त भी शुरू हो जाते हैं।

    14:07 (IST)08 Nov 2019
    Tulsi Vivah Vidhi (तुलसी विवाह विधि) :

    – शाम के समय तुलसी विवाह करने से पहले उसके गमले के पास गेरु से रंगोली बना लें। रंगोली से अष्टदल कमल बनाएं। – फिर गन्ने का प्रयोग करते हुए मंडप सजाएं। – दौ चौकी रखें एक पर तुलसी का गमला और दूसरे पर शालिग्राम या भगवान विष्णु की मूर्ति रखें। – शालिग्राम की दाईं तरफ तुलसी जी स्थापित करें। – शालिग्राम वाली चौकी पर अष्टदल कमल बनाकर और उस पर कलश की स्थापना करें और स्वास्तिक भी बनाएं। – फिर आम के पत्तों पर रोली से तिलक लगाकर उसे कलश पर स्थापित करें और उस पर लाल कपड़े में लपेटकर नारियल को रख दें। – अब तुलसी के समाने घी का दीपक जलाएं। फिर उनका विवाह कराएं। पूरी विधि जानने के लिए यहां क्लिक करें...

    13:30 (IST)08 Nov 2019
    कब और कैसे कराया जाता है तुलसी विवाह?

    कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी विवाह कराने का विधान है। ये तिथि देवों के जागने की भी होती है। देवशयनी एकादशी से योग निद्रा में गए भगवान विष्णु इस एकादशी को जाग जाते हैं और पुन: अपना कार्यभार संभालते हैं। जिससे शादी ब्याह के मुहूर्त फिर से शुरू हो जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन श्री हरि अपने शालिग्राम स्वरूप में तुलसी से विवाह करते हैं। इस विवाह को कराने से कन्या दान जैसा पुण्य प्राप्त होता है। जानिए तुलसी विवाह की पूजा विधि और मुहूर्त

    12:46 (IST)08 Nov 2019
    क्यों कराया जाता है तुलसी विवाह?

    एक पौराणिक कथा अनुसार वृंदा ने विष्णु जी को यह शाप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है। अत: तुम पत्थर के बनोगे। यही पत्थर शालिग्राम कहलाया। विष्णु ने कहा, ‘हे वृंदा! मैं तुम्हारे सतीत्व का आदर करता हूं लेकिन तुम तुलसी बनकर सदा मेरे साथ रहोगी। जो मनुष्य कार्तिक एकादशी के दिन तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी।’ शालिग्राम और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का ही प्रतीकात्मक विवाह माना जाता है।

    12:00 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी विवाह की आसान विधि (Tulsi Vivah Ki Vidhi) :

    जो लोग तुलसी विवाह में शामिल हो रहे हैं वह स्नान करके साथ-सुथरे कपड़े पहनें। इस दिन व्रत का संकल्प लें। मुहूर्त के दौरान तुलसी के पौधे को घर के आंगन में या छत या मंदिर स्थान पर रखें। तुलसी विवाह के लिए उस स्थान पर गन्ने के साथ लाल चुनरी से मंडप सजाएं। फिर एक गमले में शालिग्राम पत्थर रखें। तुलसी और शालिग्राम की हल्दी का तिलक लगाएं। इसके बाद दूध में हल्दी भिगोकर लगाएं। इसके बाद गन्ने पर भी हल्दी लगाएं। अब गमले पर कोई फल चढ़ाएं। पूजा की थाली से तुलसी और शालिग्राम की आरती करें। आरती करने के बाद तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें और वहां मौजूद लोगों में प्रसाद बांटे।

    11:20 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी विवाह की कथा (Tulsi Vivah Katha) :

    एक समय जलंधर नाम का एक पराक्रमी असुर हुआ। इसका विवाह वृंदा नामक कन्या से हुआ। वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी। इसके पतिव्रत धर्म के कारण जलंधर अजेय हो गया था। इसने एक युद्ध में भगवान शिव को भी पराजित कर दिया। अपने अजेय होने पर इसे अभिमान हो गया और स्वर्ग की कन्याओं को परेशान करने लगा। दुःखी होकर सभी देवता भगवान विष्णु की शरण में गए और जलंधर के आतंक को समाप्त करने की प्रार्थना करने लगे। तुलसी विवाह की पूरी कथा यहां पढ़ें 

    10:46 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी विवाह की तिथि और शुभ मुहूर्त (Tulsi Vivah Ke Muhurat) :

    तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन किया जाता है, लेकिन कई जगहों पर इस विवाह को द्वादशी तिथि को भी करते हैं.
    देवउठनी एकादशी की तिथि: 8 नवंबर 2019
    एकादशी तिथि आरंभ: 07 नवंबर 2019 की सुबह 09 बजकर 55 मिनट से
    एकादशी तिथि समाप्त: 08 नवंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक 
    द्वादशी तिथि: 9 नवंबर 2019
    द्वादशी तिथि आरंभ: 08 नवंबर 2019 की दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से
    द्वादशी तिथि समाप्‍त: 09 नवंबर 2019 की दोपहर 02 बजकर 39 मिनट तक

    10:11 (IST)08 Nov 2019
    कैसे हुई तुलसी की उत्पत्ति :

    धार्मिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि देव और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर मिला, उसी के प्रभाव से ही तुलसी की उत्पत्ति हुई। तुलसी मुख्यता तीन प्रकार की होती हैं- कृष्ण तुलसी, सफेद तुलसी तथा राम तुलसी जिसमें से कृष्ण तुलसी सर्वप्रिय मानी जाती है। 

    09:26 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी विवाह का मुहूर्त (Tulsi Vivah Muhurat):

    द्वादशी तिथि का प्रारंभ - 8 नवंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से

    द्वादशी तिथि का समापन - 9 नवंबर दोपहर 2 बजकर 39 मिनट पर

    09:02 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी विवाह से मिलता है यह फल (Tulsi Vivah Significance) :

    मान्यता है कि कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी के दिन जो भक्त तुलसी और भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम का परिणय संस्कार संपन्न करवाता है और कन्यादान करता है उसको कन्यादान के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है। दांपत्य जीवन का सुख पाने के लिए तुलसी विवाह का आयोजन करता है उसकी दांपत्य जीवन की बाधाओं का अंत होता है और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

    08:25 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी विवाह का महत्व:

    तुलसी विवाह एक आम विवाह की तरह किया जाता है। जिसमें विवाह के मंडप को गन्नों से सजाकर तुलसी को लाल कपड़े के साथ सजा कर विशेष श्रृंगार किया जाता है। शालिग्राम के बाईं तरफ तुलसी को रख कर पूजा की होती है। मान्यता ऐसी है कि तुलसी विवाह की पूजा में शामिल होकर प्रार्थना करने वाले अविवाहित युवक-युवतियों का विवाह जल्दी हो जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा की सात परिक्रमा करते समय देव उठनी के गीत गाएं जाते है। मान्यता ऐसी भी है कि जिनके घर में बेटियां नहीं होती, वे तुलसी विवाह के जरिए कन्यादान का सुख प्राप्त करते है।

    07:29 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी-शालिग्राम विवाह

    चार माह के शयन के बाद भगवान विष्णु जब देवोत्थान एकादशी के दिन जागृत होते हैं तो इस दिन खास पूजा के साथ तुलसी और शालिग्राम स्वरूप भगवान विष्णु के विवाह की भी मान्यता है। शास्त्रों में मान्यता है कि तुलसी-शालिग्राम विवाह कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है,दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है।

    06:44 (IST)08 Nov 2019
    तुलसी की उत्पत्ति कैसे हुई

    पौराणिक मान्यता है कि देव और असुरों के बीच जब समुद्र मंथन हुआ था तो उस दौरान जो अमृत धरती पर मिला, उसी के प्रभाव से ही तुलसी की उत्पत्ति हुई। आपने तीन प्रकार की तुलसी देखी होगी- श्यामा तुलसी, सफेद तुलसी और राम तुलसी। इनमें से श्यामा तुलसी को हर घर में सबसे अधिक प्रधानता दी गई है। ये भगवान का खास प्रिय माना जाता है।

    22:07 (IST)07 Nov 2019
    एक श्राप के कारण होता है तुलसी और शालीग्राम का विवाह

    देवोत्थान एकादशी को ही तुलसी विवाह का दिन माना गया है। तुलसी का एक नाम वृंदा भी है। पौराणिक मान्यता है कि वृंदा के श्राप के कारण ही भगवान विष्णु काले पड़ गए थे। तभी से ये निर्णय हुआ था कि शालीग्राम रूप में उन्हें तुलसी के चरणों में रखा जाएगा। तभी ये कहा जाता है कि विष्णु भगवान की पूजा तुलसी के बिना अधूरी मानी जाती है।

    20:06 (IST)07 Nov 2019
    क्यों कराया जाता है तुलसी विवाह (Tulsi Vivah Significance) :

    एक पौराणिक कथा अनुसार वृंदा ने विष्णु जी को यह शाप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है। अत: तुम पत्थर के बनोगे। यही पत्थर शालिग्राम कहलाया। विष्णु ने कहा, ‘हे वृंदा! मैं तुम्हारे सतीत्व का आदर करता हूं लेकिन तुम तुलसी बनकर सदा मेरे साथ रहोगी। जो मनुष्य कार्तिक एकादशी के दिन तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी।’ शालिग्राम और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का ही प्रतीकात्मक विवाह माना जाता है।

    19:44 (IST)07 Nov 2019
    मंगलाष्टक से करें तुलसी विवाह

    तुलसी विवाह हिंदू रीति-रिवाज़ों के अनुसार संपन्न किया जाता है। जिसमें मंगलाष्टक के मंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है। भगवान शालीग्राम व तुलसी के विवाह की घोषणा के पश्चात मंगलाष्टक मंत्र बोले जाते हैं। मान्यता है कि इन मंत्रों से सभी शुभ शक्तियां वातावरण को शुद्ध, मंगलमय व सकारात्मक बनाती हैं।

    19:05 (IST)07 Nov 2019
    तुलसी विवाह में न करें ये गलतियां 

    -कई लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस से तुलसी विवाह मंडप बना लेते हैं लेकिन ऐसा करने से बचना चाहिए। आप गोबर, मिट्टी से मंडप बनाकर उसपर हल्दी का लेप लगा सकते हैं।  
    -पूजन का सामान रखने के लिए प्लास्टिक के सामान का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। प्लास्टिक को धार्मिक दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता।  
    -खीर को शुभ माना जाता है।  खीर को प्रसाद के रूप में बांटने से पहले तुलसी और शालिग्राम को भोग लगाना नहीं भूलना चाहिए।
    -एकादशी के दिन चावल न खाने की मान्यता है, जबकि दूध में भिगोई हुई खीर भोग लगाने के बाद खाई जा सकती है। इस दिन चावल खाने और बनाने से परहेज करना चाहिए।  
    -तुलसी विवाह में प्रसाद या भोज बनाते समय लहसुन, प्याज का परहेज करना चाहिए।  

    18:14 (IST)07 Nov 2019
    तुलसी विवाह-

    देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ तुलसी का विवाह करने की परंपरा है। इस दिन हर सुहागन महिला को यह विवाह जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से उसे अंखड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मां तुलसी की पूजा करते समय उन्हें लाल चुनरी जरूर चढ़ाएं।

    17:45 (IST)07 Nov 2019
    कैसे हुई थी तुलसी की उत्पत्ति 

    धार्मिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि देव और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर मिला, उसी के प्रभाव से ही तुलसी की उत्पत्ति हुई। तुलसी मुख्यता तीन प्रकार की होती हैं- कृष्ण तुलसी, सफेद तुलसी तथा राम तुलसी जिसमें से कृष्ण तुलसी सर्वप्रिय मानी जाती है। 

    17:11 (IST)07 Nov 2019
    भूलकर भी तुलसी पूजन के दौरान न करें ये गलतियां-

     -कभी भी सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। 
    -शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पत्ते अमावस्या, चतुर्दशी तिथि, रविवार, शुक्रवार और सप्तमी तिथि को तोड़ना वर्जित माना गया है।
    -अकारण तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। यदि बताए गए वर्जित दिनों में तुलसी के पत्तों की जरुरत हो तो तुलसी के झड़े हुए पत्तों का उपयोग किया जा सकता है। तुसली के पत्ते न तोड़े। 
    -यदि वर्जित की गई तिथियों में से किसी दिन तुलसी के पत्तों की आवश्यकता हो तो उस दिन से एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़कर अपने पास रख लें। पूजा में चढ़े हुए तुलसी के पत्ते धोकर फिर से पूजा में उपयोग किए जा सकते हैं।

    16:38 (IST)07 Nov 2019
    तुलसी के सामने दीपक जलाने का महत्त्व

    तुलसी के पौधे के पास शाम को दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और घर में तुलसी होने से नकारात्मक ऊर्जा घर से दूर रहती है। हिंदू परिवारों में तुलसी पूजन को सुख और कल्याण के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। स्कन्द पुराण के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा होता है और उसकी पूजा की जाती है उस घर में यमदूत कभी प्रवेश नहीं करते।

    15:51 (IST)07 Nov 2019
    तुलसी विवाह के गीत (Tulsi Vivah Geet) :

    मेरी प्यारी तुलसा जी बनेगी दुल्हनियां...
    सजके आयेगे दूल्हे राजा।

    देखो देवता बजायेंगे बाजा...
    सोलह सिंगार मेरी तुलसा करेंगी।

    हल्दी चढ़ेगी मांग भरेगी...
    देखो होठों पे झूलेगी नथनियां।

    देखो देवता...
    देवियां भी आई और देवता भी आए।
    साधु भी आए और सन्त भी आए...
    और आई है संग में बरातिया।

    देखो देवता...
    गोरे-गोरे हाथों में मेहन्दी लगेगी...
    चूड़ी खनकेगी ,वरमाला सजेगी।
    प्रभु के गले में डालेंगी वरमाला।

    देखो देवता...
    लाल-लाल चुनरी में तुलसी सजेगी...
    आगे-आगे प्रभु जी पीछे तुलसा चलेगी।
    देखो पैरो में बजेगी पायलियां।

    देखो देवता...
    सज धज के मेरी तुलसा खड़ी है...
    डोली मंगवा दो बड़ी शुभ घड़ी है।
    देखो आंखों से बहेगी जलधारा।

    देखो देवता...

    15:17 (IST)07 Nov 2019
    तुलसी विवाह की कहानी (Tulsi Vivah Katha) :

    एक पौराणिक कथा अनुसार वृंदा ने विष्णु जी को यह शाप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है। अत: तुम पत्थर के बनोगे। यही पत्थर शालिग्राम कहलाया। विष्णु ने कहा, ‘हे वृंदा! मैं तुम्हारे सतीत्व का आदर करता हूं लेकिन तुम तुलसी बनकर सदा मेरे साथ रहोगी। जो मनुष्य कार्तिक एकादशी के दिन तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी।’ शालिग्राम और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का ही प्रतीकात्मक विवाह माना जाता है।

    14:31 (IST)07 Nov 2019
    तुलसी माता की आरती (Tulsi Mata Ki Aarti) :

    जय जय तुलसी माता
    सब जग की सुख दाता, वर दाता
    जय जय तुलसी माता ।।

    सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर
    रुज से रक्षा करके भव त्राता
    जय जय तुलसी माता।।

    बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या
    विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता
    जय जय तुलसी माता ।।

    हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दित
    पतित जनो की तारिणी विख्याता
    जय जय तुलसी माता ।।

    लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में
    मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता
    जय जय तुलसी माता ।।

    हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारी
    प्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाता
    जय जय तुलसी माता ।।

    13:45 (IST)07 Nov 2019
    तुलसी विवाह के दिन क्या न करें (Tulsi Vivah Niyam) :

    - इस दिन तुलसी के पत्ते न तोड़े।
    - तुलसी के पौधे को न ही उखाड़ें और न ही उसका अपमान करें।
    - इस दिन मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन न करें।
    - अगर आपने इस दिन व्रत रखा है तो किसी को भी अशब्द न बोलें।
    - घर में लहसून और प्याज का उपयोग न करें।
    - खाने में चावल या चावल से बनी किसी भी चीज का इस्तेमाल न करें।
    - इस महीने भगवान विष्णु अपनी निद्रा से उठ चुके होते है इसलिए भूल कर भी घर में बुजुर्गों का अपमान न करें।

    13:09 (IST)07 Nov 2019
    वृंदा कैसे बनी तुलसी, जानिए ये कथा

    प्राचीन काल में जलंधर नामक राक्षस ने चारों तरफ़ बड़ा उत्पात मचा रखा था। वह बड़ा वीर तथा पराक्रमी था। उसकी वीरता का रहस्य था, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। उसी के प्रभाव से वह विजयी बना हुआ था। जलंधर के उपद्रवों से परेशान देवगण भगवान विष्णु के पास गए तथा रक्षा की गुहार लगाई। उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धर कर छल से वृंदा का स्पर्श किया। जैसे ही वृंदा का सतीत्व भंग हुआ, जलंधर का सिर उसके आंगन में आ गिरा। जब वृंदा ने यह देखा तो क्रोधित होकर विष्णु जी को यह शाप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है। अत: तुम पत्थर के बनोगे। यह पत्थर शालिग्राम कहलाया। विष्णु ने कहा, 'हे वृंदा! मैं तुम्हारे सतीत्व का आदर करता हूं लेकिन तुम तुलसी बनकर सदा मेरे साथ रहोगी। जो मनुष्य कार्तिक एकादशी के दिन तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी।' बिना तुलसी दल के शालिग्राम या विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।

    12:24 (IST)07 Nov 2019
    तुलसी विवाह से मिलता है ये लाभ:

    देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है। इस दिन तुलसी जी का विवाह शालिग्राम से करवाने पर कन्या दान जैसा पुण्य फल प्राप्त होता है। जिस व्यक्ति को कन्या नहीं है और वह जीवन में कन्या दान का सुख प्राप्त करना चाहता है तो वह तुलसी विवाह कर प्राप्त कर सकता है। जिनका दाम्पत्य जीवन बहुत अच्छा नहीं है वह लोग सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए तुलसी विवाह करते हैं। तुलसी पूजा करवाने से घर में संपन्नता आती है तथा संतान योग्य होती है।

    11:33 (IST)07 Nov 2019
    क्यों कराया जाता है तुलसी विवाह (Tulsi Vivah Significance) :

    एक पौराणिक कथा अनुसार वृंदा ने विष्णु जी को यह शाप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है। अत: तुम पत्थर के बनोगे। यही पत्थर शालिग्राम कहलाया। विष्णु ने कहा, ‘हे वृंदा! मैं तुम्हारे सतीत्व का आदर करता हूं लेकिन तुम तुलसी बनकर सदा मेरे साथ रहोगी। जो मनुष्य कार्तिक एकादशी के दिन तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी।’ शालिग्राम और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का ही प्रतीकात्मक विवाह माना जाता है।