भाद्रपद का महीना सनातन धर्म के पंचांग के हिसाब से छठवां महीना माना जाता है। जिस तरह सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, उसी तरह भाद्रपद का महीना भगवान विष्णु, गणेश और कृष्ण को समर्पित है। भाद्रपद का महीना इस साल 13 अगस्त से शुरू होगा और 10 सितंबर तक भाद्रपद पूर्णिमा तक चलेगा और भाद्रपद पूर्णिमा 10 सितंबर से पितरों को समर्पित श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाएगा। पूर्णिमा का पहला श्राद्ध 10 सितंबर को होगा, इसलिए भाद्रपद का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि भाद्रपद की पूर्णिमा से हमारे पूर्वजों को समर्पित महीने की शुरुआत होती है।
भाद्रपद महीने में भगवान विष्णु और गणेश जी की पूजा करने से हर संकट दूर होते हैं। इस महीने भगवान विष्णु और लक्ष्मी की एक साथ पूजा करने से कारोबार में फायदा होता है और नया कारोबार शुरू करने के लिए भाद्रपद का महीना विशेष रुप से शुभ माना गया है। इस महीने में आयुर्वेद के अनुसार दही, चावल, हरी सब्जियां, शहद, गुड़, बैंगन, मूली, प्याज, लहसुन का सेवन करना तथा चारपाई और पलंग पर सोना निषेध माना गया है। वहीं इस महीने में गाय का घी, दूध, गोमूत्र और गोबर यानी पंचगव्य के प्रयोग का विशेष महत्व है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक हैं।
भादो के महीने में कई पर्व होते हैं, जिनका अत्यधिक धार्मिक महत्व है। भगवान कृष्ण का प्रकटोत्सव भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन हुआ था इसलिए भाद्रपद माह महत्व और भी बढ़ जाता है। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र के वृषभ लग्न में हुआ था जो भगवान विष्णु के तीसरे अवतार थे। इसलिए भाद्रपद का महीना भगवान विष्णु यानी कृष्ण की भक्ति का महीना माना जाता है। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त को है। भादो में पड़ने वाली गणेश चतुर्थी को संकष्ट हर चतुर्थी का नाम दिया गया है जो इस बार 15 अगस्त को पड़ रही है।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप जोशी कहते हैं कि भाद्रपद की अमावस्या का विशेष महत्व है। इस साल भाद्रपद की अमावस्या 27 अगस्त को होगी। भाद्रपद माह भगवान श्री कृष्ण की भक्ति का महीना होता है इसलिए भाद्रपद अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस अमावस्या पर धार्मिक कार्यों के लिए कुशा एकत्रित की जाती है। धार्मिक कार्यों, श्राद्ध कर्म आदि में इस्तेमाल की जाने वाली कुशा घास यदि इस दिन एकत्रित की जाए तो वह पुण्य फलदायी होता है। इसलिए इस अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है। जिसे पौराणिक ग्रंथों में ‘कुशोत्पाटिनी अमावस्या’ भी कहा गया है।
भाद्रपद अमावस्या को पिथौरा अमावस्या भी कहा जाता है, इसलिए इस दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु के निमित्त अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाता है और अनंत चतुर्दशी के दिन आटे और घी से बने रोट भगवान विष्णु को भोग के रूप में लगाए जाते हैं। अनंत चतुर्दशी का पर्व इस बार 9 सितंबर को पड़ रहा है। अनंत चतुर्दशी के अगले दिन 10 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत होगा और इसी दिन से श्राद्ध पक्ष का शुभारंभ होगा।इस तरह भाद्र पक्ष का महीना भगवान विष्णु-लक्ष्मी जी, भगवान कृष्ण और भगवान गणेश जी के व्रत रखने और पूजा अर्चना करने के साथ-साथ पितरों की पूजा करने के लिए भी विशेष महत्व वाला माना गया है।