आज यानी 8 अक्टूबर को देशभर में सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखा हुआ है। कार्तिक मास की चतुर्थी को हर साल यह व्रत रखा जाता है। वैसे तो यह त्योहार केवल महिलाओं का है लेकिन आज के बदलते दौर में बहुत से पति भी अपनी पत्नी के साथ इस व्रत को रखते हैं। यह तो आपको पता है लेकिन क्या आपको मालूम है कि आखिर पत्नी छलनी से ही चांद और पति के चेहरे को क्यों देखती हैं? नहीं कोई बात नहीं हम आपको बताते हैं इसके पीछे की वजह।

रामचरित मानस के लंका कांड के अनुसार- जिस समय श्रीराम समुद्र पार कर के लंका के सुबेल पर्वत पर उतरे तो उन्होंने पूर्व दिशा की तरफ चमकते हुए चांद को देखकर अपने साथियों से पूछा कि चांद में जो कालापन है वो क्या है? इसपर सभी ने अपने-अपने अनुसार जवाब दिए किसी ने कहा कि चांद में धरती की छाया दिखती है इसलिए उसमें कालापन है तो किसी ने कहा राहु की मार की वजह से ऐसा है। किसी ने भी सही जवाब नहीं दिया।

इसके बाद राम ने बताया कि चांद और विष दोनों समुद्र मंथन से निकले थे और विष चंद्रमा का प्रिय भाई है। इसी वजह से चांद ने विश को अपने हृदय में जगह दी हुई है जिसकी वजह से उसमें कालापन है। अपनी विषयुक्त किरणों से वह मनुष्यों को जलाता है। मनोवैज्ञानिक पक्ष के अनुसार चंद्रमा की विषयुक्त किरणों की वजह से पति पत्नी बिछड़ जाते हैं। इसी वजह से करवा चौथ के दिन पत्नी चांद की पूजा करके उसे और पति को छलनी से देखती है ताकि उसकी विषयुक्त किरणें उसके दाम्पत्य जीवन में ना पड़े और उन्हें अपने पति से अलग होने का दुख ना सहना पड़े।