Hartalika Teej 2018: 12 सितंबर, बुधवार को भारत में हरतालिका तीज मनाई जा रही है। यह व्रत हिंदू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है। इस दिन जहां कुंवारी लड़कियां श्रेष्ठ और बेहतर पति की कामना के लिए व्रत रखती हैं वहीं विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए हरितालिका तीज का व्रत रखती हैं। बीते साल 24 अगस्त को यह त्योहार मनाया गया था। भारत में कई जगहों पर इसे बड़ी तीज भी कहते हैं। वैसे तो पूरे भारत में सभी सुहागिनें इस व्रत को बड़े उत्साह से करती हैं, लेकिन विशेष रूप से मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और बिहार में हरतालिका तीज को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और दिन भर पानी नहीं पीती हैं। साथ ही रेत का शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करती हैं। हरितालिका तीज का व्रत सबसे कठिन व्रत में गिना जाता है। इस व्रत में पारण करने से पहले पानी की एक बूंद तक पीना वर्जित है।

कहा जाता है कि मां पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 जन्म लिए थे। आखिर में मां पार्वती के कठोर तप की वजह से उनके 108वें जन्म में शिव ने पार्वती जी को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था। उसी समय से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां र्पावती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती है।

मान्यता है कि पहले माता पावर्ती का विवाह भगवान विष्णु के साथ होने जा रहा था, पार्वती जी के पिता हिमाचल और विष्णु भगवान दोनों ही इस विवाह के लिए राजी थे, लेकिन पार्वती मन ही मन शिवजी को पसंद करती थीं और उन्हीं से शादी करना चाहती थीं। तब वे उदास होकर अपनी सहेलियों के संग जंगल चली गईं। जहां एक गुफा में पार्वती ने शिव की कठोर आराधना की थी।

तब प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकर किया था। कहा जाता है कि माता पार्वती ने पूजन के दौरान रेत के शिवलिंग को स्थापित किया था। यह शिवलिंग माता पार्वती के जरिए हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि को स्थापित किया था। इसी वजह से इस दिन को ही हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाता है। बताया जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विवाह संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।