धार्मिक मान्यताओं अनुसार ग्रहण का सूतक विशेष महत्व रखता है। सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। मान्यता है कि सूतक के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम नहीं करने चाहिए। खासकर गर्भवती महिलाओं को सूतक में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है।
सूतक काल में क्या करें और क्या नहीं? सूतक काल में किसी भी तरह के शुभ कार्य न करें। मंदिर के दरवाजे बंद कर दें या फिर उसे किसी कपड़े से ढक दें। सूतक काल में खाना नहीं बनाया जाता। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में किसी भी तरह की नुकीली वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से गर्भ में पल रहे बच्चे को शारीरिक दोष उत्पन्न हो सकता है। ग्रहण की समाप्ति के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। ग्रहण काल में दान पुण्य के काम करना अच्छा माना गया है।
Surya Grahan 2020: कहीं नारंगी तो कहीं हरा दिखा सूरज, उत्तराखंड में दिखी रिंग ऑफ फायर, देखें- Photos


यह ग्रहण सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर शुरू हुआ जबकि दोपहर को 12 बजकर 10 मिनट पर सबसे अधिक प्रभावी रहा। इसके बाद दोपहर को 3 बजकर 4 मिनट पर ग्रहण समाप्त हो गया। साल के पहले सूर्य ग्रहण की पूर्ण अवधि 6 घंटों की रही
अमृतसर में गुलाबी रंग का दिखाई दिया सूर्य, यहां पर बनी रिंग ऑफ फायर में सूर्य का रंग गुलाबी नजर आया।
दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बंगलौर, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद, पुणे, सिरसा, टिहरी में सूर्य ग्रहण की समाप्ति हो चुकी है।
सूर्य ग्रहण के चलते प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी जी के मंदिर परिसर में रोज़ाना होने वाली सुबह की आरती दोपहर 2:20 पर होगी. इसके साथ ही सूर्य ग्रहण के दौरान वैष्णो देवी समेत शहर के सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिये गये। माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तरफ से दी गयी जानकारी के मुताबिक जम्मू में सूर्य ग्रहण दोपहर 2:05 मिनट तक रहेगा. इस दौरान माता वैष्णो देवी समेत जम्मू और कटरा में सभी धार्मिक स्थलों के कपाट बंद रहेंगे.
कब होता है सूर्य ग्रहण? बता दें कि एक सूर्य ग्रहण तब होता है, जब सूरज, पृथ्वी और चांद एक साथ सीधी रेखा में आ जाते हैं. इसमें चांद, सूरज और पृथ्वी के मध्य में होता है. इससे पृथिवी को आने वाली सूरज की कुछ रोशनी में रुकावट होती है जिससे एक परछाई बन जाती है और आकाश थोड़ा काला हो जाता है.
हरियाणा के कुरुक्षेत्र, सिरसा, राजस्थान के सूरजगढ़, उत्तराखंड के देहरादून और चमोली में रिंग ऑफ फायर दिखाई दिया।
भारत में सिरसा, राजस्थान, देहरादून समेत कुछ और क्षेत्रों में दिखाई दी रिंग ऑफ फायर। ये नजारा कुछ ही क्षणों के लिए देखने को मिलता है।
पंडितों व ज्योतिषियों के मुताबिक यह खंडग्रास व साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा, जोकि कंकणाकृति खंड ग्रास सूर्य ग्रहण मृगशिरा एवं आद्रा नक्षत्र में रहेगा। सूर्य ग्रहण का ज्यादा असर मिथुन राशि के जातकों पर पड़ेगा। जब-जब सूर्य एवं चंद्र ग्रहण पड़ते हैं तो उनका दीर्घकालीन प्रभाव विसर्ग राजनीति पर भी दिखता है। ग्रहण के समय 6 ग्रह बुध, शुक्र, गुरु, शनि, राहु, केतु वक्री रहेंगे। मिथुन राशि पर सूर्य बुध, राहु, चंद्र की युक्ति रहेगी जो कि अशुभ मानी जाती है।
क्या है सूर्यग्रहण? सूर्यग्रहण एक समान्य खगोलीय घटना है। जो चंद्रमा के पृथ्वी और सूर्य के बीच आने के कारण होती है। इस दौरान पृथ्वी पर चंद्रमा की छाया पड़ती है। जिस जगह यह छाया पड़ती है, वहां आंशिक रूप से अंधेरा हो जाता है। 21 जून को लग रहा सूर्यग्रहण देखने में रिंग ऑफ फॉयर की तरह लगेगा। इस दौरान सूर्य का 88 फीसद तक भाग चंद्रमा की ओट में रहेगा, जिससे सूर्य के किनारे का भाग रिंग की तरह दिखाई देगा। इसे ही 'रिंग ऑफ फायर' कहा जाता है।
दिल्ली में सूर्य ग्रहण का नजारा कुछ ऐसा दिखा...
सूर्य ग्रहण का नजारा दिखना शुरू हो गया है
कुछ ही देर में शुरू हो जाएगा सूर्य ग्रहण, कहीं आंशिक तो कहीं दिखेगा इसका वलयाकार रूप। (Image: PIB)
सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए, इसके हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं। हिंदू कालेज मुरादाबाद के भौतिकी के प्रोफेसर अनिल चौहान बताते हैं कि इस दौरान सूर्य से हानिकारक विकिरण निकलता है, जिससे आंखों को बेहद नुकसान हो सकता है, इससे आंखों के टिशु और आइरिस को क्षति पहुंचती है।
ग्रहण से पहले सूतककाल लग जाता है। इस दौरान शुभ कार्य, पूजा पाठ इत्यादि काम नहीं किये जाते। कई मंदिरों के कपाट भी ग्रहण काल में बंद कर दिए जाते हैं। माना जाता है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा काफी हावी रहती है। जिसका सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ सकता है। इसलिए सूतक काल लगते ही गर्भवती महिलाओं को घर से नहीं निलकने की सलाह दी जाती है। क्योंकि ग्रहण के बुरे प्रभाव से गर्भ में पल रहे बच्चे को कष्ट पहुंच सकता है।
ग्रहण प्रारम्भ काल - 10:46 AM
परमग्रास - 12:36 PM
ग्रहण समाप्ति काल - 02:17 PM
खण्डग्रास की अवधि - 03 घण्टे 30 मिनट्स 59 सेकण्ड्स
सूतक समाप्त - 02:17 PM
भारत में कुछ घंटों बाद सूर्य ग्रहण की शुरुआत हो जाएगी। इसको लेकर सभी लोगों में काफी उत्साह है। भारतीय समयानुसार 10 बजकर 15 मिनट से देश में सूर्य ग्रहण की शुरुआत हो जाएगी। दिन में 12 बजकर 2 मिनट पर सूर्य ग्रहण अपने चरम पर होगा।
कुछ ही देर के बाद आज यानी 21 जून को साल का पहला सूर्य ग्रहण आरंभ हो जाएगा। यह ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। इस सूर्य ग्रहण के दौरान आसमान में सूर्य का नजारा बहुत ही अनोखा होगा। इस दौरान सूर्य का नजारा रिंग ऑफ फायर के रूप में देखने को मिलेगा। यह सूर्य ग्रहण भारत में देखा जा सकेगा।
मुम्बई में आंशिक/खण्डग्रास सूर्य ग्रहण
ग्रहण प्रारम्भ काल - 10:01 ए एम
परमग्रास - 11:38 ए एम
ग्रहण समाप्ति काल - 01:28 पी एम
खण्डग्रास की अवधि - 03 घण्टे 27 मिनट्स 14 सेकण्ड्स
अधिकतम परिमाण - 0.70
इस बार का सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। लेकिन यह ग्रहण हर स्थान पर वलयाकार रूप में नहीं दिखेगा। भारत में देहरादून, चमोली, कुरुक्षेत्र, मसूरी, टोहान क्षेत्र में ग्रहण का कंकण (वलयाकार) यानि खग्रास रुप दिखाई देगा। लेकिन कई जगहों पर जैसे कोलकाता, हैदराबाद, शिमला, चेन्नई, मुंबई, चंडीगढ़, आदि शहरो में आंशिक सूर्य ग्रहण ही दिखेगा। जानकारी अनुसार नई दिल्ली में सूर्य का 95 प्रतिशत हिस्सा ढका हुआ दिखाई देगा।
दो साल बाद सन 2022 में एक और वलयाकारसूर्य ग्रहण लगेगा, लेकिन वह शायद ही भारत से दिखाई देगा।
दिल्ली में लगभग 94 प्रतिशत, गुवाहाटी में 80 प्रतिशत, पटना में 78 प्रतिशत, सिलचर में 75 प्रतिशत, कोलकाता में 66 प्रतिशत, मुंबई में 62 प्रतिशत, बेंगलुरु में 37 प्रतिशत, चेन्नई में 34 प्रतिशत, पोर्ट ब्लेयर में 28 प्रतिशत ग्रहण दिखाई देगा।
अमावस्या पर सूर्य के साथ-साथ चंद्रमा भी दिख सकता है, लेकिन सूर्य के प्रकाश में चंद्रमा काफी फीका नजर आता है।
खगोल शास्त्रियों नें गणित से निश्चित किया है कि 18 वर्ष 18 दिन की समयावधि में 41 सूर्य ग्रहण और 29 चन्द्रग्रहण होते हैं।
सूर्यग्रहण के सूतक काल का पालन करना आवश्यक है। क्योंकि यह प्रभावकारी है। इसको न मानना शारीरिक और मानसिक व्याधियों को बढ़ावा देने जैसा होता है।
सूतक काल में मनोरंजन करना, आराम करना, सोना, भोजन करना और यात्रा करने की मनाही है। ऐसा करने से घर में विपत्तियां आती हैं।
ग्रहण से पहले सूतककाल लग जाता है। इस दौरान शुभ कार्य, पूजा पाठ इत्यादि काम नहीं किये जाते। कई मंदिरों के कपाट भी ग्रहण काल में बंद कर दिए जाते हैं। माना जाता है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा काफी हावी रहती है। जिसका सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ सकता है। इसलिए सूतक काल लगते ही गर्भवती महिलाओं को घर से नहीं निलकने की सलाह दी जाती है। क्योंकि ग्रहण के बुरे प्रभाव से गर्भ में पल रहे बच्चे को कष्ट पहुंच सकता है।
विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत।
दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥
श्लोक अर्थ - सिंहिकानन्दन (पुत्र), अच्युत! हे विधुन्तुद, नाग के इस दान से ग्रहणजनित भय से मेरी रक्षा करो।
सूतक प्रारम्भ - 09:46 पी एम, जून 20
सूतक समाप्त - 01:47 पी एम, 21 जून
बच्चों, वृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक प्रारम्भ - 05:35 ए एम, 21 जून
बच्चों, वृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक समाप्त - 01:47 पी एम, 21 जून
सूतक प्रारम्भ - 09:55 पी एम, जून 20
सूतक समाप्त - 01:31 पी एम, 21 जून
बच्चों, वृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक प्रारम्भ - 05:59 ए एम, 21 जून
बच्चों, वृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक समाप्त - 01:31 पी एम, 21 जून
तेल मालिश करना, जल ग्रहण करना, मल-मूत्र विसर्जन, बालों में कन्घा करना, मञ्जन-दातुन करना तथा यौन गतिविधियों में लिप्त होना ग्रहण काल में प्रतिबन्धित माना जाता है।
सूतक प्रारम्भ - 09:01 पी एम, जून 20
सूतक समाप्त - 02:17 पी एम, जून 21
बच्चों, वृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक प्रारम्भ - 04:53 ए एम, जून 21
बच्चों, वृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक समाप्त - 02:17 पी एम, 21 जून
सूतक प्रारम्भ - 09:52 पी एम, जून 20
सूतक समाप्त - 01:49 पी एम, 21 जून
बच्चों, वृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक प्रारम्भ - 05:24 ए एम, 21 जून
बच्चों, वृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक समाप्त - 01:49 पी एम, 21 जून
ऐसा माना जाता है कि अगर गर्भवती महिलाएं ग्रहण देखती हैं तो गर्भ में पल रहे बच्चे को शारीरिक या मानसिक परेशानियां हो सकती हैं। इससे गर्भपात की संभावना भी बढ़ जाती है, इसलिए ग्रहण के दौरान सतर्क रहें।
गर्भवती महिलाओं को सूतक काल के दौरान चाकू और कैंची का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उनको ग्रहण की घटना को देखने से भी बचना चाहिए। हो सके तो ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलें।
सूतक प्रारम्भ - 09:14 पी एम, जून 20
सूतक समाप्त - 02:10 पी एम, 21 जून
बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक प्रारम्भ - 05:03 ए एम, 21 जून
बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक समाप्त - 02:10 पी एम, 21 जून
सूतक प्रारम्भ - 09:17 pm, जून 20
सूतक समाप्त - 02:10 pm, 21 जून
बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक प्रारम्भ - 04:59 am, 21 जून
बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक समाप्त - 02:10 pm
सूर्य ग्रहण से पूर्व सूतक काल चार प्रहर तक माना जाता है तथा चन्द्र ग्रहण के दौरान ग्रहण से पूर्व तीन प्रहर के लिये सूतक माना जाता है। सूर्योदय से सूर्योदय तक आठ प्रहर होते हैं। अतः सूर्य ग्रहण से बारह घण्टे तथा चन्द्र ग्रहण से नौ घण्टे पूर्व से सूतक काल माना जाता है।
सूतक काल के दौरान किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ का सेवन न करें। किसी भी तरह का नया काम शुरू नहीं करना चाहिए। कैंची और चाकू का प्रयोग भी न करें। भगवान की मूर्तियों को हाथ से न छुएं। बालों में कंघी करना भी अशुभ माना जाता है। सूतक के दौरान भगवान का ध्यान करना चाहिए ताकि नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव न पड़े। सूतक काल के दौरान धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन किया जा सकता है।