Surya Grahan or Solar Eclipse December 2020 Date and Time in India… ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक साल 2020 का अंतिम सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर, सोमवार को लगने वाला है। ज्योतिषाचार्य इस सूर्य ग्रहण को खास मान रहे हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। बता दें कि विज्ञान ग्रहण को बहुत अधिक महत्वपूर्ण नहीं मानता है, जबकि ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण को बहुत प्रभावशाली और परिवर्तनकारी माना जाता है।
माना जाता है कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव देश और दुनिया पर बहुत अधिक पड़ता है। कहते हैं कि सूर्य ग्रह सत्ता, सत्ताधारी और घर के मुखिया को सबसे अधिक प्रभावित करता है। इसलिए सूर्य ग्रहण को बहुत प्रभावशाली माना जाता है। विद्वानों का मानना है कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर अलग-अलग पड़ता है। सूर्य ग्रहण के प्रभाव को जानने के लिए इस दिन राशिफल देखा जाता है। बताया जाता है कि राशिफल के माध्यम से सूर्य ग्रहण के प्रभाव को समझा जा सकता है।
भारत में नहीं दिखेगा ग्रहण – ये ग्रहण साल का आखिरी सूर्य ग्रहण है। जानकारों की मानें तो ये सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। क्योंकि यह ग्रहण तब लगेगा जब भारत में सूर्यास्त हो चुका होगा। इसलिए यह उन क्षेत्रों में दिखेगा जहां इस दौरान सूर्योदय रहेगा। ज्योतिषों के अनुसार साल का आखिरी सूर्य ग्रहण शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण की कुल अवधि करीब 5 घंटे की रहेगी।
गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान – सूर्य ग्रहण की समयावधि में गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए। कहा जाता है कि ग्रहण का सबसे ज्यादा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। इसलिए इस दौरान गर्भवती महिलाओं को कुछ विशेष कार्य करने के लिए मना किया जाता है ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे को नकारात्मक प्रभावों से बचाया जा सके।
विज्ञान के मुताबिक, सूर्य ग्रहण वह स्थिति है, जब जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है। इस दौरान चंद्रमा सूर्य की रोशनी को आंशिक या पूर्ण रूप से अपने पीछे ढंकते हुए उसे पृथ्वी तक पहुंचने से रोक लेता है। ऐसी स्थिति में रोशनी के नहीं पड़ने पर पृथ्वी पर अंधेरा छा जाता है। इसी खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
ज्योतिष गणना के अनुसार सोमवती अमावस्या पर वृश्चिक राशि में सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र और केतु विराजमान रहेंगे. ऐसी स्थिति कई वर्षों बाद बन रही है।
साल के आखिरी सूर्य ग्रहण के सूतक काल का समय 14 दिसंबर, सोमवार यानी आज शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों की मानें तो इस सूर्य ग्रहण के सूतक काल की कुल अवधि लगभग 5 घंटे तक की रहेगी।
आमतौर पर सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। लेकिन साल के आखिरी सूर्य ग्रहण के सूतक काल का समय 14 दिसंबर, सोमवार यानी आज शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और रात 12 बजकर 23 मिनट तक माना जा रहा है।
आज सोमवती अमावस्या है। कहा जा रहा है कि सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगने से ग्रहण का प्रभाव शुभ हो सकता है। बताया जा रहा है कि सूर्य ग्रहण बहुत प्रभावशाली होता है, इसलिए यह सत्ता, सत्ताधारी और घर के मुखिया के जीवन को बहुत ज्यादा प्रभावित कर सकता है।
सूतक शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
सूर्य ग्रहण के दौरान अपनी गतिविधियों को सही रखना बहुत जरूरी होता है। विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं को इस दौरान अपना ख्याल रखना चाहिए। कहते हैं कि इस अवधि में प्रेग्नेंट महिला अगर कोई भी ऐसी गतिविधि करती है जो ग्रहण के दौरान करना मना है तो इसका दुष्परिणाम गर्भ में पल रहे बच्चे को सहना पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मेष, कर्क, मिथुन, कन्या, तुला और मकर राशि पर गुरु चंडाल योग का सबसे नकारात्मक असर पड़ सकता है।
सूर्य ग्रहण लगने के साथ आज सोमवती अमावस्या भी है, इसलिए इस ग्रहण को खास माना जा रहा है।
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक साल के अंतिम सूर्य ग्रहण का सूतक काल का समय 14 दिसंबर, सोमवार को शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
सूर्य ग्रहण के अगले दिन धनु संक्रांति है तो आप सूर्य से संबंधित कोई वस्तु दान करें. आप अगले दिन तांबा, गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र और तांबे की कोई वस्तु दान कर सकते हैं.
जब पृथ्वी व सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है, तब सूर्यग्रहण लगता है। ग्रहण का मानवी जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ग्रहण के दौरान सूर्य के आंशिक रूप से ढंक जाने पर खंडग्रास लगता है।
माना जाता है कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव देश और दुनिया पर बहुत अधिक पड़ता है। कहते हैं कि सूर्य ग्रह सत्ता, सत्ताधारी और घर के मुखिया को सबसे अधिक प्रभावित करता है। इसलिए सूर्य ग्रहण को बहुत प्रभावशाली माना जाता है।
साल के आखिरी सूर्य ग्रहण को देखने की चाह रखने वाले लोग टेलिस्कोप की मदद ले सकते हैं. इसके अलावा आप http://www.virtualtelescope.eu पर भी वर्चुअल टेलिस्कोप की मदद से सूर्य ग्रहण को देख सकते हैं. वहीं यूट्यूब चैनल CosmoSapiens, Slooh पर लाइव भी सूर्य ग्रहण देखने का अच्छा विकल्प हो सकता है.
मार्गशर्ष और अगहन मास की सोमवती अमावस्या होने के कारण इस ग्रहण का महत्व औऱ भी बढ़ गया है। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगेगा।
14 दिसंबर को लगने वाला ये सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लग रहा है
सूर्य ग्रहण के दौरान एक खतरनाक योग का भी निर्माण हो रहा है. इस योग को गुरु चंडाल योग कहते हैं. यह योग जन्म कुंडली में तब बनाता है जब गुरु के साथ राहु एक ही स्थान में बैठ जाए. वहीं जब दोनों ग्रह कुंडली के अलग-अलग भाव में बैठकर एक-दूसरे को पूर्ण दृष्टि से देखें तो भी गुरु चंडाल योग का निर्माण होता है. इस समय गुरु शनि के साथ मकर राशि और राहु वृष राशि में विराजमान है.
कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के दौरान दीपक जलाकर पूजा-पाठ करने नहीं करनी चाहिए, ऐसा करने से मंदिर में नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवेश हो सकता है।
ग्रहण के बीच सूई, कील, तलवार और चाकू जैसी नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल न करें। ध्यान रखें कि ऐसे में खाना खाना, बनाना, सब्जी काटना, आसमान के नीचे खड़े होना और दीपक जलाकर पूजा आदि करना मना होता है।
जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है और सूर्य की किरणें धरती तक नहीं पहुंच पाती, इस घटना को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है
कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के सूतक काल का समय बहुत अधिक प्रभावशाली होता है और इस दौरान बहुत अधिक सावधानियां बरतने की जरूरत होती है वरना ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव परेशानियां उत्पन्न कर सकता है। ऐसी मान्यता भी हैं कि सावधानियां न बरतने पर कई जीवन में कई समस्याएं आ सकती हैं।
कहते हैं कि सूर्य ग्रह सत्ता, सत्ताधारी और घर के मुखिया को सबसे अधिक प्रभावित करता है। इसलिए सूर्य ग्रहण को बहुत प्रभावशाली माना जाता है। विद्वानों का मानना है कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर अलग-अलग पड़ता है। सूर्य ग्रहण के प्रभाव को जानने के लिए इस दिन राशिफल देखा जाता है।
साल के अंतिम सूर्य ग्रहण को इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि इस दिन सोमवती अमावस्या है और 16 दिसंबर, बुधवार से खरमास शुरू होने वाला है। इसलिए कहा जा रहा है कि यह संभावनाएं बन सकती हैं कि इस सूर्य ग्रहण का बहुत अधिक नकारात्मक प्रभाव न पड़े। लेकिन साथ में यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि इस दौरान सावधानियां जरूर बरतें।
सूर्य ग्रहण के दौरान अपनी गतिविधियों को सही रखना बहुत जरूरी होता है। विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं को इस दौरान अपना ख्याल रखना चाहिए। कहते हैं कि इस अवधि में प्रेग्नेंट महिला अगर कोई भी ऐसी गतिविधि करती है जो ग्रहण के दौरान करना मना है तो इसका दुष्परिणाम गर्भ में पल रहे बच्चे को सहना पड़ता है।
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण दक्षिणी अफ्रीका, अधिकांश दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, हिंद महासागर और अंटार्कटिका में पूर्ण रूप से नजर आएगा।
कहते हैं कि इस अवधि में प्रेग्नेंट महिला अगर कोई भी ऐसी गतिविधि करती है जो ग्रहण के दौरान करना मना है तो इसका दुष्परिणाम गर्भ में पल रहे बच्चे को सहना पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों के अनुसार साल 2020 का आखिरी सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर, सोमवार को शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि करीब 5 घंटे की रहेगी।
वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों का मानना है कि सूर्य ग्रहण बहुत अधिक प्रभावशाली और परिवर्तनकारी होता है।
सूर्य ग्रहण के दौरान अपनी गतिविधियों को सही रखना बहुत जरूरी होता है। विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं को इस दौरान अपना ख्याल रखना चाहिए।
वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों का मानना है कि सूर्य ग्रहण बहुत अधिक प्रभावशाली और परिवर्तनकारी होता है।
ग्रहण के बीच सूई, कील, तलवार और चाकू जैसी नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल न करें। ध्यान रखें कि ऐसे में खाना खाना, बनाना, सब्जी काटना, आसमान के नीचे खड़े होना और दीपक जलाकर पूजा आदि करना मना होता है।
जानकारों की मानें तो यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। क्योंकि यह ग्रहण तब लगेगा जब भारत में सूर्यास्त हो चुका होगा। इसलिए यह उन क्षेत्रों में दिखेगा जहां इस दौरान सूर्योदय रहेगा।
मार्गशर्ष और अगहन मास की सोमवती अमावस्या होने के कारण इस ग्रहण का महत्व औऱ भी बढ़ गया है। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगेगा।
सूर्य ग्रहण के दौरान इस बार गुरु चंडाल योग बनेगा. राहु और गुरु के एक ही स्थान पर बैठने से गुरु चंडाल योग (Guru chandal yog) बनता है.
ग्रहण का मनुष्य की राशि के अनुसार नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही असर पड़ता है। इसी कारण ज्योतिष शास्त्र ग्रहण काल में विशेष सावधानी बरतने की सलाह देता है।
ग्रहण का असर प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, दक्षिणी अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका, अटलांटिक और अंटार्कटिका में पड़ेगा।
करीब पांच घंटे तक के लिए लगने वाला खंडग्रास सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार शाम 7.04 बजे से आरंभ होगा जो कि मध्य रात्रि 12.23 तक रहेगा।
सूर्य ग्रहण के दौरान एक खतरनाक योग का भी निर्माण हो रहा है. इस योग को गुरु चंडाल योग कहते हैं. यह योग जन्म कुंडली में तब बनाता है जब गुरु के साथ राहु एक ही स्थान में बैठ जाए. वहीं जब दोनों ग्रह कुंडली के अलग-अलग भाव में बैठकर एक-दूसरे को पूर्ण दृष्टि से देखें तो भी गुरु चंडाल योग का निर्माण होता है. इस समय गुरु शनि के साथ मकर राशि और राहु वृष राशि में विराजमान है.
ग्रहण काल में भगवान की मूर्तियों को न तो छूना चाहिए और न ही पूजा पाठ करना चाहिए। ग्रहण का सूतक काल लगते ही कई मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं।
इस साल का आखिरी सूर्यग्रहण सोमवार, 14 दिसंबर को लग रहा है। यह ग्रहण खंडग्रास होगा। अपने देश भारत में यह सूर्यग्रहण नहीं दिखेगा।