2019 के समापन के साथ इस साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। विज्ञान की भाषा में ये वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। इस ग्रहण में सूर्य का बाहरी हिस्सा प्रकाशवान होगा। जिस कारण सूर्य एक आग की अगूंठी के आकार का दिखाई देगा। इसी के साथ नए साल में 10 जनवरी को चंद्र ग्रहण लगेगा जो भारत समेत यूरोप, अफ्रीका, एशिया और आस्ट्रेलिया में दिखाई देगा। फिलहाल हम जानेंगे साल के आखिरी ग्रहण के बारे में मुख्य बातें…
सूर्य ग्रहण और सूतक काल का समय
सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर की सुबह 8 बजकर 17 मिनट से शुरू होगा जिसका समापन 10 बजकर 57 मिनट पर होगा। क्योंकि सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है इसलिए इस ग्रहण में सूतक काल लगने का समय 25 दिसंबर शाम 5 बजकर 33 मिनट से शुरू हो जायेगा जो ग्रहण के अंत होने तक लगा रहेगा। बच्चों, बीमार लोगों और बूढ़े व्यक्तियों के लिए सूतक काल का आरंभ 3 बजकर 45 मिनट से हो जायेगा।
सूर्य ग्रहण का राशियों पर असर: सूर्य ग्रहण का कुछ न कुछ असर सभी राशियों पर पड़ेगा। कुछ के लिए ये शुभ तो कुछ के लिए अशुभ साबित हो सकता है। जानिए आपकी राशि पर इसका क्या प्रभाव पड़ने जा रहा है Surya Grahan Effects On Zodiac Sign
कैसे लगता है सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse Occurs When):
ऐसे तो ग्रहण लगने की के कई वैज्ञानिक कारण हैं जिस अधार पर कभी सूर्य ग्रहण तो कभी चंद्र ग्रहण लगता है। लेकिन इसे लेकर कुछ धार्मिक मान्यताएं भी प्रचलित है। जो समुद्र मंथन से जुड़ी हैं। कहा जाता है कि एक बार समुद्र मंथन से निकले अमृत को लेकर देवों और दानवों के बीच में विवाद उत्पन्न हो गया। हर कोई अमृत पीकर अमर होना चाहता था। इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने दानवों का ध्यान भटकाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया और अमृत सभी में बराबर बांटने की बात कही। भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों को अलग-अलग बिठा दिया।
लेकिन असुर छल से देवताओं की लाइन में आकर बैठ गए और अमृत पान कर लिया। देवों की लाइन में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने राहू को ऐसा करते देख लिया। जिस बात की जानकारी उन्होंने तुरंत भगवान विष्णु को दे दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहू का सर धड़ से अलग कर दिया। क्योंकि राहू ने अमृत पान कर लिया था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू के नाम से जाना गया। इसी कारण राहू और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं और पूर्णिमा और अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा का ग्रास कर लेते हैं।