8 अप्रैल को आकाश में सुपर मून दिखाई देगा। इस दौरान चंद्रमा अपने सामान्य आकार से थोड़ा बड़ा और चमकीला दिखाई देगा। क्योंकि इस दिन चांद पृथ्वी के बेहद ही नजदीक होगा। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि लॉकडाउन के नियमों का पालन जरूर करें। इसलिए चांद का दीदार करने के लिए घर के बाहर इकट्ठा न हों बल्कि अपने घर की छत या बालकनी से ही इसका दीदार करें।
क्या होता है सुपरमून? जब चांद और धरती के बीच की दूरी सबसे कम रह जाती है और चंद्रमा की चमक बढ़ जाती है उस स्थिति में धरती पर सुपरमून का नजारा देखने को मिलता है। इस दौरान चांद रोजाना की तुलना में 14 फीसद ज्यादा बड़ा और 30 फीसद तक ज्यादा चमकीला दिखाई देता है।
पिंक सुपरमून क्या है? ऐसा नहीं है कि इस दिन चांद पिंक रंग का दिखाई देगा और ना ही इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है। दरअसल अमेरिका और कनाडा में इस मौसम में उगने वाले फ्लॉक्स सुबुलाता फूल की वजह से इसे पिंक सुपरमून कहा जाता है। यह फूल गुलाबी रंग का होता है इसे मॉस पिंक भी कहते हैं।
सुपरमून भारत में कब दिखाई देगा? ये सुपरमून मध्य रात्रि में 2:35 बजे पर दिखेगा। लेकिन भारतीय समयानुसार 07 अप्रैल की शाम से ये भारत में दिखाई देना शुरू हो जायेगा पर ये पूरी तरह से सुबह 8 बजे के आस पास दिखाई देगा। भारत में इस समय रोशनी रहने के कारण इसका नजारा देखने को नहीं मिल सकेगा। लेकिन आप लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए इस चंद्रमा को देख पायेंगे।
Slooh इस सुपरमून घटना को अपने YouTube चैनल पर लाइव स्ट्रीम करेगा।


दरअसल पिंक सुपरमून कहलाने के पीछे ना तो धार्मिक वजह है ना कोई वैज्ञानिक। इस नाम के पीछे एक खास फूल है जो इन दिनों अमेरिका और कनाडा में खिलता है जिसे फ्लॉक्स सुबुलता (Phlox Subulata) और मॉस पिंक के नाम से जाना जाता है। चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन जब सुपर मून नजर आता है उन दिनों ये फूल भी खिले होते हैं जिससे इन फूलों से चांद का नाता जोड़कर लोग इसे पिंक सुपरमून कहने लगे।
ज्योतिषशास्त्र में चांद को मन का कारक कहा गया है। चांद के पृथ्वी के बेहद करीब आने से लोगों के मन मस्तिष्क पर इसका काफी प्रभाव होगा। लोगों को संयमित रहना होगा और अतिउत्साहित होने से बचना होगा। बीमार लोगों को सेहत का अधिक ध्यान रखना होगा।
दरसअल पिंक मून नाम अप्रैल महीने में ही उत्तरी अमेरिका में खिलने वाले गुलाबी फूलों की वजह से अप्रैल के चंद्रमा को दिया गया है। इसी समय चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीध में आए थे, जिसे ‘सिजजी’ कहा जाता है।
भारतीय समयानुसार 8 अप्रैल को सुपरमून सुबह 8.05 पर दिखाई देना था, ऐसे में भारत में लोगों को ये घटना आसमान में दिखाई नहीं देगी, क्योंकि यहां दिन का उजाला होगा। इसलिए ऑनलाइन वेबसाइटों पर जाकर आप सुपरमून को लाइव देख सकते हैं।
दरअसल पिंक सुपरमून कहलाने के पीछे ना तो धार्मिक वजह है ना कोई वैज्ञानिक। इस नाम के पीछे एक खास फूल है जो इन दिनों अमेरिका और कनाडा में खिलता है जिसे फ्लॉक्स सुबुलता और मॉस पिंक के नाम से जाना जाता है। चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन जब सुपर मून नजर आता है उन दिनों ये फूल भी खिले होते हैं जिससे इन फूलों से चांद का नाता जोड़कर लोग इसे पिंक सुपरमून कहने लगे।
मंगलवार शाम 5:58 बजे चंद्रमा का उदय हुआ। शुरू में यह लालिमा लिए हुए था। बुधवार सुबह 8:05 बजे चांद धरती के सबसे करीब होगा, तब धरती से इसकी दूरी 3,57,085 किमी रह जाएगी। इसके बाद चांद हमसे दूर होता चला जाएगा। अगला पिंक मून 26 अप्रैल 2021 में नजर आएगा।
बुधवार सुबह 8:05 बजे यह धरती के सबसे नजदीक होगा। मंगलवार शाम जब पश्चिम में सूर्य अस्त हो रहा था, तब पूरब में हल्की लालिमा बिखेरते हुए चांद का उदय हो रहा था। अन्य दिनों की अपेक्षा यह चांद आकार में बड़ा ही नहीं, बल्कि बेहद चमकदार भी था। इसकी चांदनी से मानो धरती भी नहा उठी। धरती के काफी करीब होने के कारण इसकी चमक 15 प्रतिशत ज्यादा और आकार भी यह करीब सात प्रतिशत बड़ा था।
सुपरमून 8 अप्रैल को दोपहर 2:35 बजे जीएमटी ( भारतीय समयानुसार सुबह 8:05 बजे) पर दिखाई देगा। दुर्भाग्य से भारत में लोग इस घटना को नहीं देख पाएंगे, क्योंकि उस समय यहां सुबह के 8 बज रहे होंगे और रोशनी ज्यादा होगी। हालांकि, देश में सुपरमून देखने के इच्छुक लोग इस इवेंट को ऑनलाइन लाइव देख सकते हैं।
चंद्रमा की शीतलता और सूर्य की उष्णता से जगत के सभी चराचर प्रकाशमान और शीतल रहते हैं। सुपर मून की घटना का इस दृष्टि से भी बड़ा महत्व है।
सुपर मून को देखने और इसके बारे में अध्ययन करने से कई तरह खगोलीय क्रियाकलापों और विश्व के मौसम, पर्यावरण और प्राकृतिक विकास के बारे में नई खोजें हो सकती हैं। इसीलिए अंतरिक्ष विज्ञानी और नक्षत्रविज्ञानी इसको जानने और देखने के लिए विशेष रूप से तैयारी किए हैं।
सुपरमून वर्षों बाद दिखाई पड़ेगा। इससे इसको देखना एक अलौकिक घटना का साक्षात्कार होना है। इसके होने के पीछे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण है। चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है और पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता है। सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा का यह गति धरती पर मानव जाति, पशु-पक्षियों और वनस्पतियों पर प्रभाव डालता है।
सुपर मून को देखने के लिए नक्षत्र शालाओं पर नहीं पहुंच पा रहे हैं तो कोई बात नहीं। इसको यूट्यूब पर भी लाइव देखा जा सकता है। बाद में इसकी रिकॉर्डिंग भी यूट्यूब पर देख सकते हैं।
चंद्रमा को पृथ्वी के निकट आने पर सुपर मून के अलौकिक दृश्य को देखना रोमांचक होगा, लेकिन भारत में दिन का समय होने से साफ नहीं दिखाई पड़ेगा। अंतरिक्ष केंद्रों और नक्षत्रशालाओं में विशेषज्ञों की मदद से ऐसा देखा जा सकता है।
चंद्रमा का प्रभाव ग्रह दशाओं पर काफी अधिक होता है। ज्योतिषीय गणनाओं से सभी राशियों पर चंद्रमा की गति और पृथ्वी के चक्कर लगाने का प्रभाव पड़ता है। ऐसे में चंद्रमा का पृथ्वी के निकट आना एक खगोलीय घटना ही नहीं है, बल्कि ज्योतिषीय प्रभाव भी है। इसका सभी राशियों पर अलग-अलग लाभ-हानि होगा।
मंगलवार की देर रात आकाश में अद्भुत खगोलीय नजारा दिखा। चंद्रमा पृथ्वी के काफी निकट पहुंचने लगा। इसे पिंक सुपर मून कहा गया। पृथ्वी के काफी निकट होने से चंद्रमा का आकार भी काफी बड़ा दिख रहा था। हालांकि पूरी तरह से सुपर मून सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर दिखेगा। लेकिन भारत में उस समय दिन होने और काफी प्रकाश होने से सामान्य रूप से देख सकना संभव नहीं होगा।
चंद्रमा की प्रकृति शीतल है। वह पृथ्वी से जितना निकट होगा, धरती पर रहने वालों को उतना ही लाभ होगा। चंद्रमा की शीतलता से वातावरण साफ होता है। पर्यावरण शुद्ध होने से संपूर्ण मानव जाति और पशु-पक्षियों का जीवन बेहतर होता है।
चंद्रमा पृथ्वी के निकट पहुंचने के साथ ही अपनी चमक भी अधिक विखेरेगा। चंद्रमा की दूरी जैसे-जैसे कम होगी, उसकी चमक उतनी ही अधिक और आकार भी विशाल होगा। इससे वनस्पति और पेड़-पौधों को ऊर्जा मिलेगी। पर्यावरण में भी स्वच्छता आएगी। सुपर मून धरती के लिए अच्छी घटना है।
8 अप्रैल को आकाश में सुपर मून दिखाई देगा। इस दौरान चंद्रमा अपने सामान्य आकार से थोड़ा बड़ा और चमकीला दिखाई देगा। क्योंकि इस दिन चांद पृथ्वी के बेहद ही नजदीक होगा। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि लॉकडाउन के नियमों का पालन जरूर करें। इसलिए चांद का दीदार करने के लिए घर के बाहर इकट्ठा न हों बल्कि अपने घर की छत या बालकनी से ही इसका दीदार करें।
जब चांद और धरती के बीच की दूरी सबसे कम रह जाती है और चंद्रमा की चमक बढ़ जाती है उस स्थिति में धरती पर सुपरमून का नजारा देखने को मिलता है। इस दौरान चांद रोजाना की तुलना में 14 फीसद ज्यादा बड़ा और 30 फीसद तक ज्यादा चमकीला दिखाई देता है।
चांद की खूबसूरती तो आप सभी ने देखी ही होगी। लेकिन आप सब ने चांद को सफेद रंग में महसूस किया और देखा है। सफेद रंग से शांति का अनुभव होता है। वहीं सफेद चांद से शीतलता का। पर आज बेहद ही खास रात है। इस रात की खासियत कुछ और नहीं बल्कि आज का चांद है। जी हां, आज आप एक ऐसा चांद देखेंगे जो पूरे साल में एक बार ही आता है।
सुपरमून 8 अप्रैल को दोपहर 2:35 बजे जीएमटी ( भारतीय समयानुसार सुबह 8:05 बजे) पर दिखाई देगा। दुर्भाग्य से भारत में लोग इस घटना को नहीं देख पाएंगे, क्योंकि उस समय यहां सुबह के 8 बज रहे होंगे और रोशनी ज्यादा होगी। हालांकि, देश में सुपरमून देखने के इच्छुक लोग इस इवेंट को ऑनलाइन लाइव देख सकते हैं।
ये चांद आम दिनों में नजर आने वाले चंद्रमा से आकार में बड़ा और ज्यादा चमकीला होगा। माना जा रहा है कि ये साल का सबसे बड़ा और सबसे अधिक चमकीला चांद होगा।इस सुपरमून को सुपर पिंक मून भी कहा जाता है क्योंकि इसका रंग गुलाबी नजर आता है। इधर ज्योतिर्विज्ञान इस सुपर पिंक मून को इसलिए भी खास मान रहा है क्योंकि उसके अध्ययन के मुताबिक इससे पूरी दुनिया में छाए कोरोना वायरस का नाश होगा और इसके प्रकोप में कमी आएगी।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के अनुसार, आज से करीब 41 साल पहले 1979 में सुपरमून पहली बार देखा गया था। यूं कह सकते हैं कि तभी यह पहली बार अस्तित्व में आया था, लोगों को इसके बारे में पता चला था। तब एस्ट्रोनॉमर्स ने इसे पेरीजीन फुल मून नाम दिया था। बाद में इसका नाम सुपरमून रखा गया।
गौरतलब है कि सामान्य दिनों में पृथ्वी की चंद्रमा से दूरी करीब 384400 किमी है। वहीं चन्द्रमा जब पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होता है तो ये दूरी लगभग 405696 किमी हो जाती है। पर 8 अप्रैल को सुपर पिंक मून के समय चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी सबसे कम होगी। इसे पेरिगी की स्थिति कहा जाता है।
साल का दूसरा चंद्रग्रहण 5 जून 2020 को लगेगा। चंद्रग्रहण 5 जून की मध्य रात्रि को 11 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा और 6 जून को 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 19 मिनट है। चंद्रग्रहण भारत, यूरोप, अफ्रीका, एशिया और आस्ट्रेलिया में देखा जाएगा।
शुक्ल पक्ष के शुरू होने के साथ ही चंद्रमा का बल बढ़ता जाता है और पूर्णिमा को चंद्रमा सर्वाधिक प्रभावशाली हो जाता है। ऐसे में Super Pink Moon के दौरान औषधियां अत्याधिक प्रभावशाली और रोगकारक तत्व नष्ट होंगे। ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस पर भी चंद्रमा की सुपरमून अवस्था का प्रभाव पड़ेगा।
पृथ्वी पर स्थित समस्त औषधियां चंद्रमा से ऊर्जा प्राप्त करती हैं। इसीलिये चंद्रमा को औषधिपति कहा जाता है। शुक्ल पक्ष के आरम्भ के साथ क्रमश: चंद्रमा का बल बढ़ता जाता है। पूर्णमासी को चंद्रमा सर्वाधिक प्रभावशाली हो जाता है। सुपरमून की स्थिति में चंद्रमा पूर्णमासी से भी अधिक बलशाली होते हैं।
पिंक मून सुनकर लोगों को लगता है कि इस दिन चांद गुलाबी नजर आता है मगर ऐसा नहीं है। दरअसल बसंत ऋतु के समय में अमेरिका में पिंक फूल 'Phlox Subulata' खिलते हैं और इस कारण ही अप्रैल के महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा को पिंक मून का नाम दिया गया।
इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला के वैज्ञानिकों के अनुसार 7 अप्रैल को रात 11.38 पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब होगा। इस समय पर चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी मात्र 356900 किलोमीटर रह जाएगी। चांद की यह स्थिति पेरिगी की स्थिति कहलाती है। चंद्रमा के पेरिगी स्थिति में पहुंचने के ठीक 8 घंटे 35 मिनट के बाद चंद्रमा की पूर्णिमा की अवस्था शुरू हो जाएगी। इस तरह 8 अप्रैल Hanuman Jayanti के दिन वर्ष का सबसे बड़ा और चमकीला चंद्रमा नजर आएगा।
चंद्रमा के पेरिगी स्थिति में पहुंचने के ठीक 8 घंटे और 35 मिनट के बाद चंद्रमा की पूर्णिमा की अवस्था आएगी। 8 अप्रैल को वर्ष का सबसे बड़ा और चमकीला चंद्रमा होगा। ये सामान्य से 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी ज्यादा चमकदार नजर आएगा। सूर्यास्त के तुरंत बाद लोग पूरी रात इसके नजारे देख सकेंगे।
सुपरमून' के वक्त चांद पहले से ज्यादा बड़ा और चमकदार और बड़ा दिखाई देता है, बता दें कि 'सुपरमून' उन लोगों के लिए एक शानदार अवसर है, जो चंद्रमा के बारे में जानना और उसका अन्वेषण करना चाहते हैं, 'सुपरमून' के कारण चांद हर दिन के मुकाबले 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी ज्यादा चमकदार दिखाई देता है, पश्चिमी देशों में इसे Snow Moon, Storm Moon या Hunger Moon कहा जाता है।
खगोल विज्ञान के अनुसार चंद्रमा की यह स्थिति पेरिगी की स्थिति कहलाती है। इस समय से ही चन्द्रमा हमें काफी बड़ा दिखना शुरू हो जाएगा । मगर सुपर मून देखने के लिए हमें बुधवार का इंतजार करना होगा क्योंकि पूर्णिमा अगले दिन यानी 8 अप्रैल को सुबह आठ बजे होगी । दिन के उजाले में हम सुपरमून के दीदार नहीं कर सकेंगे इसलिए बुधवार को सूर्यास्त के तुरंत बाद सुपर मून के अद्भुद नजारे को पूरी रात अवलोकित कर सकेंगे क्योंकी आठ अप्रैल को चन्द्रमा अस्त नहीं होगा ।
मालूम हो कि पृथ्वी की कक्षा में घूमते हुए चंद्रमा जब धरती के सबसे नजदीक आ जाता है तो उस स्थिति को 'पेरीजी' और कक्षा में जब सबसे दूर होता है तो उस स्थिति को 'अपोजी' कहते हैं, 7 अप्रैल को चांद 'पेरीजी' होगा और इस कारण वो बड़ा दिखाई देगा। विज्ञान के हिसाब से चांद पर पृथ्वी की तुलना में गुरुत्वाकर्षण कम है इसी कारण चंद्रमा पर पहुंचने पर इंसान का वजन कम हो जाता है।
9 मार्च से 11 मार्च के बीच सुपरमून दिखाई दिया था। लोकप्रिय रूप से मार्च के सुपरमून को सुपर वॉर्म मून भी कहा गया था।
चंद्रमा के पेरिगी स्थिति में पहुंचने के ठीक 8 घंटे 35 मिनट के बाद चंद्रमा की पूर्णिमा की अवस्था शुरू हो जाएगी। इस तरह 8 अप्रैल Hanuman Jayanti के दिन वर्ष का सबसे बड़ा और चमकीला चंद्रमा नजर आएगा। यहां बता दें कि Super Pink Moon सामान्य से 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी अधिक चमकदार दिखाई देगा। 7 अप्रैल को सूर्यास्त के तुरंत बाद लोग पूरी रात इसके नजारे देख सकेंगे।
सामान्य रूप से पृथ्वी की चंद्रमा से दूरी 384400 किमी मानी जाती है। वहीं चन्द्रमा की पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूरी होने पर ये दूरी लगभग 405696 किमी मानी जाती है जिसे अपयोगी की स्थिति कहते हैं। यदि चंद्रमा की पेरिगी की स्थिति में पूर्णिमा पड़ जाए तो हमें सुपरमून दिखाई देता है। एक साल में न्यूनतम 12 पूर्णिमा पड़ती है लेकिन ऐसा कम होता है कि पेरिगी की स्थिति में पूर्णिमा भी पड़े।
ग्रहण को छोड़कर सुपर मून पूर्णिमा के दिन दिखने वाले सामान्य चांद की तरह ही होता है. अंतर सिर्फ इतना है कि जब चांद धरती के ज्यादा करीब आता है तो वह बड़ा और चमकीला दिखाई देता है. ऐसे में इस सुपरमून के दीदार के लिए आपको किसी खास तरह के लेंस या अन्य उपकरणों की जरूरत है. इस चांद को आप अपने घर की बाल्कनी या छत से आसानी से देख सकते हैं।