Super flower Moon (Supermoon) may 2020 Date, Timings in India: साल 2020 का आखिरी सुपरमून 7 मई को दिखाई दिया। जो भारतीय समयानुसार शाम 4.15 बजे पर अपने पूरे प्रभाव में था। आपको बता दें कि इस सुपरमून के बाद अब 5 जून को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2020) लगने जा रहा है। जो भारत में भी दिखाई देगा। इसके बाद सुपरमून अप्रैल 2021 में दिखाई देगा। मई के सुपरमून को सुपर फ्लॉवर मून के साथ साथ कॉर्न प्लांटिंग मून और फूल मिल्क मून के नाम से भी जाना जाता है।
सुपरमून क्या है? आमतौर पर पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी 384,400 किलोमीटर होती है। लेकिन पृथ्वी के चक्कर लगाने के दौरान एक समय ऐसा भी आता है, जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है। पृथ्वी के ज्यादा समीप होने के कारण इस दौरान चांद का आकार ज्यादा बड़ा और वह ज्यादा चमकीला नजर आता है। इस सुपर फ्लॉवर मून के समय चांद पृथ्वी से 361,184 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रहा। ये चांद अन्य पूर्णिमा की अपेक्षा 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकीला दिखाई देगा।
सुपरमून के बाद लगेगा चंद्र ग्रहण: 5 जून को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण 5 जून की रात से शुरू होगा जो भारत में भी दिखाई देगा। इसके बाद जून की ही 21 तारीख को सूर्य ग्रहण भी लगेगा। ज्योतिष अनुसार 21 जून का सूर्य ग्रहण ज्यादा संवेदनशील होगा।
सुपरमून के बाद चंद्र ग्रहण के दीदार होंगे। 05 जून को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। जो उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। जून में ही एक और ग्रहण लगेगा। जो साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा।
पृथ्वी और चंद्रमा के बीच औसतन दूरी 384,400 किमी होती है, लेकिन सुपरमून (Supermoon) के दौरान यह दूरी करीब 23,000 किमी कम हो जाती है. जिसके बाद चांद और पृथ्वी के बीच का फासला करीब 361,184 किलोमीटर रह जाती है.
चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है और वो पृथ्वी का चक्कर लगाता है. चक्कर लगाने के दौरान साल में एक बार चंद्रमा पृथ्वी के काफी करीब आ जाता है. सबसे नजदीक होने के कारण चांद का आकार सामान्य दिनों के मुकाबले बड़ा और ज्यादा चमकदार दिखाई देता है, इसे ही सुपरमून कहा जाता है.
आज चांद धरती के बेहद करीब होने से ये ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखाई दे रहा है। हालांकि भारत के लोग इस खूबसूरत नजारे को खुले आसमान में नहीं देख पायेंगे। लेकिन आप ऑनलाइन इसे जरूर देख सकते हैं।
आज चांद धरती के बेहद करीब होने से ये ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखाई दे रहा है। हालांकि भारत के लोग इस खूबसूरत नजारे को खुले आसमान में नहीं देख पायेंगे। लेकिन आप ऑनलाइन इसे जरूर देख सकते हैं।
पारंपरिक रूप से मई पूर्णिमा को दूधिया चंद्रमा यानी मिल्क मून कहा जाता है।
चंद्रमा को ‘सुपरमून’ तब कहा जाता है जब इसका ऑर्बिट पृथ्वी के बिल्कुल करीब आता है। करीब आने के कारण यह अधिक चमकीला और बड़े आकार में दिखता है। आमतौर पर पृथ्वी और चंद्रमा के बीच औसत दूरी 384,400 किलोमीटर होती है। यह सुपरमून के समय घट कर कम हो जाती है। इस क्रम में आज पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी 361,184 किलोमीटर रह जाएगी।
चंद्रोदय और चंद्रास्त के वक्त सुपरमून का नजारा सबसे खास होगा। वहीं भारतीय समयनुसार यह सुपरमून आसमान में शाम को तकरीबन सवा चार बजे दिखना शुरू हो जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, इस बार सुपरमून का रंग शुरुआत में थोड़ा गुलाबी रहेगा, फिर संतरी और फिर हल्का पीला हो सकता है।
वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) का जन्म हुआ था। यह दिन धार्मिक रूप से तो अहम है ही, विज्ञान के नजरिए से देखें तो भी आज का दिन बेहद अहम है। आज के दिन चांद धरती के सबसे करीब आ जाता है, जिसकी वजह से वह आम दिनों की तुलना में कुछ बड़ा दिखता है।
वर्ष 1979 में चांद आम दिनों की तुलना में 6 फीसद बड़ा दिखा था और तब रिचर्ड नोल्ले ने इसे ‘सुपरमून’ का नाम दिया। जब चांद पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर होता है उसकी तुलना में सुपरमून चौदह फीसद बड़े आकार वाला है।
7 मई को आकाश में सूपरमून का नजारा शाम के 4 बजकर 15 मिनट पर दिखाई देगा जिसमें चांद बहुत ही खूबसूरत, चमकीली और बड़ा दिखाई देगा। भारत में इस समय पर दिन निकलने की वजह से चांद का यह नजारा नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकेगा। लेकिन इसे लाइव टेलीकास्ट से देखा जा सकेगा।
आपको बता दें कि बुद्ध पूर्णिमा के बाद आने वाली ज्येष्ठ पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगेगा। जो भारत में भी दिखाई देगा। हालांकि उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने की वजह से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।
दरअसल मई महीने में जब सुपरमून दिखता है तो उसे फ्लावर सुपरमून कहा जाता है। यह नाम अमेरिका के आदिवासियों का दिया हुआ है। क्योंकि इस समय वहां बसंत ऋतु होने की वजह से खूब फूल खिले होते हैं। इसे फ्लावर सुपरमून के अलावा इसे मिल्क सुपरमून के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल सुपरमून के अलग-अलग नाम अमेरिका के अलग-अलग ऋतुओं और उस समय खिलने वाले फूलों के आधार रखे गये हैं।
इसे सुपर फ्लावर मून, कोर्न प्लांटिंग मून और फूल मिल्क मून भी कहा जाता है। नासा के अनुसार, सुपर फ्लावर मून भारतीय समयानुसार गुरुवार 7 मई की शाम 4.15 बजे अपने चरम पर होगा। यानी इस समय ये पृथ्वी के बेहद करीब होगा। इसे Flower Moon नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि ये फूलों के खिलने का समय होता है। इस सुपरमून को देखने का सबसे अच्छा समय चंद्रोदय और चंद्रमास के दौरान होता है।
इससे पहले इसी साल 7 अप्रैल को सुपरमून नजर आया था जिसे पिंक सुपर मून कहा गया था। 7 अप्रैल को दिखने वाला चंद्रमा ज्यादा चमकीला और ज्यादा बड़ा था। इस दौरान पृथ्वी और चांद के बीच की दूरी 3,56,907 की ही रह गई थी।
2020 का अंतिम सुपरमून 7 मई को शाम 4:15 बजे भारत में दिखाई देगा। इस समय उजाला होने की वजह से देश में लोग इसे आकाश में नहीं देख सकेंगे। हालांकि ऑनलाइन आप विभिन्न चैनलों के माध्यम से इस खूबसूरत चांद को देख सकते हैं।