नवरात्र हिन्दुओं का ऐसा पर्व है जिसमें मां दुर्गा का पूजन किया जाता है। नवरात्र का अर्थ है नौ रातों का समूह, जिसमें मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। सबसे पहले भगवान रामचंद्र ने समुंद्र के किनारे नौ दिन तक दुर्गा मां का पूजन किया था और इसके बाद लंका की तरफ प्रस्थान किया था। फिर उन्होंने युद्ध में विजय भी प्राप्त की थी, इसलिए दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है और माना जाता है कि अधर्म की धर्म पर जीत, असत्य की सत्य पर जीत के लिए दसवें दिन दशहरा मनाते हैं। नवरात्रों में मां दुर्गा का पूजन करके भक्त मनोवांछित फल पाते हैं। पुराणों में नवरात्रों की महिमा का बहुत सुंदर गुणगान मिलता है।
स्वयं ब्रह्मदेव ने मां के नवरात्रों की महिमा बृहस्पति देव को बताते हुए उस ब्राह्मण पुत्री के बारे में कथा सुनाई जिसने सबसे पहले देवी दुर्गा के नवरात्र का उपवास रखा था। नवरात्रों में घर पर पूजा करने का विशेष विधान होता है, इन दिनों कुछ बातों का ध्यान रखने से मां दुर्गा जल्द ही प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों पर आशीर्वाद बनाए रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के दिनों में मां कैलाश छोड़कर धरती पर अपने भक्तों के साथ रहती हैं। शारदीय नवरात्र 21 सितंबर से शुरू हो चुके हैं।
इन नौ दिनों में हर कोई अपने-अपने तरीके से माता की आराधना करता है लेकिन उद्देश्य केवल एक होता है माता की कृपा प्राप्त करना। नवरात्र के नौ दिनों में जो भी भक्त मां की आराधना सच्चे दिल से करता है उसे मनचाहा वरदान प्राप्त होता है। जो भक्त मां की सच्चे दिल से पूजा अराधना करते हैं मां उन्हें सुख-समृधि का वरदान देती हैं। मां की पूजा आराधना के लिए कई महत्वपूर्ण भजन बने हैं जो मां की पूजा, सत्संग आदि में प्रयोग भी होते हैं। पहले के समय में थोड़े अलग तरह के भजन और गीत हुआ करते थे। उनमें किसी तरह का ज्यादा शोर नहीं होता था बहुत सीधे और सरल हुआ करते थे। लेकिन जैसे-जैसे जमाना बदलता गया वैसे ही भजन और गीतों में भी बदलाव आता गया। इसलिए आज हम आपके लिए कुछ चुनिंदा मां के भजन लेकर आए हैं जिन्हें सुनकर आप अपनी सभी चिंताओं से मुक्त हो जाएंगे।

