Sita Saptami 2020, Mata Sita Birth Story: माता सीता राजा जनक की पुत्री थीं जिस कारण इन्हें जानकी नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि माता सीता मां लक्ष्मी का अवतार थीं जो राजा जनक को हल चलाते हुए धरती में से प्राप्त हुईं थीं। कुछ कथाओं के अनुसार माता सीता रावण और मंदोदरी की बेटी थीं। जो लंकापति की मृत्यु बनकर प्रकट हुईं थीं। जानिए माता सीता के जन्म की दो प्रचलित स्टोरी…
पहली स्टोरी: एक कथा के अनुसार मिथिला राज्य में एक बार भयंकर सूखा पड़ गया था। जिसे देख राजा जनक परेशान थे। इस अकाल से छुटकारा पाना के लिए एक ऋषि ने राजा को यज्ञ करने और उसके पश्चात धरती पर हल चलाने की सलाह दी। राजा ने ऋषि की बात को मानते हुए यज्ञ करवाया और उसके बाद धरती जोतने लगे। जिस समय वह हल जोत रहे थे तो उनके हल का नुकीला भाग जिसे सीत कहते हैं किसी चीज से टकराकर वहीं अटक गया। उस स्थान को खोदा गया तो वहां से एक कलश की प्राप्ति हुई जिसमें एक कन्या थी। राजा जनक ने उसे अपनी पुत्री बना लिया और यह कन्या सीता कहलाईं।
दूसरी स्टोरी: एक कथा के अनुसार माता सीता लंकापति रावण और उनकी पत्नी मंदोदरी की पुत्री थीं। इस कथा के अनुसार सीता वेदवती नाम की एक स्त्री का पुनर्जन्म थीं। वेदवती भगवान विष्णु की भक्त थीं और वह उन्हें पति रूप में पाना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने कठोर तप भी किया। कहा जाता है जब वेदवती तपस्या कर रही थीं तो वहां से रावण निकला। उसकी सुंदरता को देख रावण मोहित हो गया और वेदवती को अपने साथ चलने के लिए कहने लगा। लेकिन वेदवती ने साफ इंकार कर दिया। जिससे रावण को गुस्सा आ गया और वह उसके साथ दुर्व्यवहार करने लगा। किन्तु रावण के स्पर्श करते ही वेदवती ने स्वयं को भस्म कर दिया और रावण को श्राप दिया कि वह रावण की पुत्री के रूप में जन्म लेगी और उसकी मृत्यु का कारण बनेगी।
ऐसी कहानी प्रचलित है कि रावण और मंदोदरी को एक कन्या की प्राप्ति हुई। लेकिन वेदवती के श्राप के डर से रावण ने उस कन्या को सागर में फेंक दिया। फिर सागर की देवी वरुणी ने उस कन्या को पृथ्वी को सौंप दिया। धरती की कोख से राजा जनक और उनकी पत्नी सुनैना को सीता ये कन्या फिर सीता रूप में प्राप्त हुई। अंत में माता सीता धरती में ही समाहित हो गईं।