chitragupta puja 2019, kalam dawat puja 2019, mantra, puja vidhi, significance: दिवाली (Diwali 2019) के तीसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को जहां देशभर में भाई दूज (भैया दूज) (Bhaiya Dooj, Bhai Dooj) का पर्व मनाया जाता है वहीं कायस्थ (Kayastha) परिवार के देवता चित्रगुप्त महाराज (Chitragupta Maharaj) की भी पूजा का विधान है। यम द्वितीया को मनाया जाने वाला ये पर्व कलम दवात की पूजा के नाम से भी प्रचलित है। चित्रगुप्त महाराज को देवगण का लेखपाल यानी मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाला माना गया है। इस दिन नई लेखनी या कलम की पूजा होती है। व्यापारी या कारोबारी वर्ग इसे नववर्ष प्रारंभ के तौर पर भी देखते हैं।

मान्यता है कि इस दिन कायस्थ समाज का हर सदस्य कलम से कागज पर अपनी सालाना आय लिखकर, एक मंत्र के साथ वो कागज चित्रगुप्त महाराज के पास रख देता है। उसके बाद पूरी पूजा विधि अपनाई जाती है और आरती व विशेष प्रसाद (Chitragupta Puja charnamrit) के साथ ये चित्रगुप्त पूजा संपन्न होती है।

चित्रगुप्त पूजा के मंत्र, पूजा विधि, कलम दवात की पूजा कैसे करें, पंचामृत, विशेष प्रसाद, कथा, मान्यता संबंधी सभी जानकारी के लिए आप हमारे इस ब्लॉग पर बने रहिए…

Live Blog

Highlights

    12:44 (IST)29 Oct 2019
    केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी घर पर की चित्रगुप्त पूजा
    12:42 (IST)29 Oct 2019
    डॉ. कुमार विश्वास ने भी शेयर की चित्रगुप्त पूजा की शुभकामनाएं
    11:49 (IST)29 Oct 2019
    आज करें कलम और बहीखाते की पूजा

    कायस्थ समाज आज भगवान चित्रगुप्त की पूजा करता है। इसके साथ ही कलम और बहीखाते की भी पूजा का विधान है। इसकी वजह है ये दोनों ही भगवान चित्रगुप्त को प्रिय हैं। वैसे भी ब्रह्मा ने जब सृष्टि की संरचना की थी तो धरती के लोगों के अच्छे और बुरे कामों के हिसाब के लिए भगवान चित्रगुप्त की उत्पत्ति की थी। आज के दिन चित्रगुप्त पूजा के दौरान घर के सभी सदस्यों को अपनी आय-व्यय का ब्योरा और घर परिवार के बच्चों के बारे में पूरी जानकारी लिखकर भगवान चित्रगुप्त को अर्पित करनी होती है।

    10:28 (IST)29 Oct 2019
    Happy Bhai Dooj 2019 (मेरे प्यारे भईया को मुबारक हो ...) :

    बहन चाहे भाई का प्यार, नहीं चाहिए उसे कोई महंगा उपहार,
    रिश्ता यह प्यारा रहे सदियों तक अटूट, मेरे प्यारे भईया को मुबारक हो भाई दूज!

    09:47 (IST)29 Oct 2019
    अभिजीत मुहूर्त में करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा :

    चित्रगुप्त पूजा अभिजीत मुहूर्त में करना विशेष फलदाई होगा। मंगलवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.15 बजे से 12.17 बजे तक है। इसके अलावा दोपहर 3.15 बजे से शाम 4.56 बजे तक पूजन कर सकते हैं।

    09:22 (IST)29 Oct 2019
    श्री चित्रगुप्त जी की आरती (Shree ChitraGupta Aarti) :

    श्री विरंचि कुलभूषण, यमपुर के धामी।
    पुण्य पाप के लेखक, चित्रगुप्त स्वामी॥
    सीस मुकुट, कानों में कुण्डल अति सोहे।
    श्यामवर्ण शशि सा मुख, सबके मन मोहे॥>
    भाल तिलक से भूषित, लोचन सुविशाला।
    शंख सरीखी गरदन, गले में मणिमाला॥>
    अर्ध शरीर जनेऊ, लंबी भुजा छाजै।
    कमल दवात हाथ में, पादुक परा भ्राजे॥
    नृप सौदास अनर्थी, था अति बलवाला।
    आपकी कृपा द्वारा, सुरपुर पग धारा॥
    भक्ति भाव से यह आरती जो कोई गावे।
    मनवांछित फल पाकर सद्गति पावे॥

    08:19 (IST)29 Oct 2019
    चित्रगुप्त पूजा विधि (Chitragupta Puja Vidhi) :

    भाई दूज के दिन स्नानादि के बाद पूर्व दिशा में बैठकर एक चौक बनाएं। वहां पर चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर स्थापित कर दें। इसके पश्चात विधिपूर्वक पुष्प, अक्षत्, धूप, मिठाई, फल आदि अर्पित करें। एक नई लेखनी या कलम उनको अवश्य अर्पित करें। कलम-दवात की भी पूजा कर लें। फिर एक कोरे सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखें। इसके बाद चित्रगुप्त महाराज से अपने और परिवार के लिए बुद्धि, विद्या और लेखन का अशीर्वाद प्राप्त करें।

    07:51 (IST)29 Oct 2019
    कौन हैं चित्रगुप्त महाराज :

    पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने चित्रगुप्त महाराज को उत्पन्न किया था। ब्रह्मा जी की काया से उनका उद्भव होने के कारण उनको कायस्थ भी कहते हैं। चित्रगुप्त जी का विवाह सूर्य की पुत्री यमी से हुआ था, इसलिए वह यमराज के बहनोई हैं। यमराज और यमी सूर्य की जुड़वा संतान हैं। यमी बाद में यमुना हो गईं और धरती पर चली गईं।

    07:48 (IST)29 Oct 2019
    श्री चित्रगुप्त जी के मंत्र (Chitragupta Puja 2019) :

    मसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम् ! महीतले .
    लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते ..
    चित्रगुप्त ! मस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायकं .
    कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त ! नामोअस्तुते

    22:21 (IST)28 Oct 2019
    चित्रगुप्त से हुई है कायस्थों की उत्पत्ति

    चित्रगुप्त का त्योहार कायस्थ समाज की सबसे बड़ी पूजा मानी जाती है।  कायस्थों की उत्पत्ति चूंकि चित्रगुप्त से हुई है अत: उनके लिए यह पूजन विशेष रूप से अनिवार्य है। यह पूजन बल, बुद्धि, साहस, शौर्य के लिए अहम माना जाता है। कई पुराणों ग्रंथों में इस पूजन के बगैर कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है।

    21:34 (IST)28 Oct 2019
    अच्छे बुरे का हिसाब रखते हैं चित्रगुप्त

    मान्यताओं के मुताबिक ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के साथ चित्रगुप्त महाराज को भी उत्पन्न किया था। ताकि इस संसार के सभी जीव मात्र का हिसाब किताब रखा जा सके। उसके अच्छे और बुरे कार्यों के हिसाब से ही संसार का संचालन करने का निर्णय लिया गया। ब्रह्मा जी की काया से उत्पन्न होने के कारण ही उनको कायस्थ भी कहते हैं। चित्रगुप्त का विवाह सूर्य पुत्री यमी से हुआ था। इसलिए उन्हें यमराज का बहनोई कहा जाता है। यमराज और यमी सूर्य की जुड़वा संतान हैं। यमी बाद में यमुना हो गईं और धरती पर चली गईं।

    19:59 (IST)28 Oct 2019
    चित्रगुप्त के ब्रह्मलिपि का प्रयोग कब किया गया?

    ब्रह्मलिपि का अविष्कार चित्रगुप्त ने ही किया था। और इसका सर्वप्रथम प्रयोग वेद व्यास के द्वारा सरस्वती नदी के तट पर उनके आश्रम में वेदों के संकलन के दौरान किया गया था। वेद के उप निषाद, अरण्यक ब्राह्मण ग्रंथों तथा पुराणों का संकलन कर उन्हे लिपि प्रदान किया गया। विद्वान ब्राह्मणों के मुताबिक चित्रगुप्त पूजन यम द्वितीया को किया जाता है यह किसी एक जाति का पूजन नहीं बल्कि कलम से जुड़े सभी लोगों के लिये श्रेष्ठ माना गया है।

    19:22 (IST)28 Oct 2019
    चित्रगुप्त ने ही बनाई थी पहली लिपि

    माना जाता है कि भगवान श्री चित्रगुप्त के पहले भाषा की कोई भी लिपि मौजूद नहीं थी। चित्रगुप्त ने माँ सरस्वती से विचार विमर्श के बाद लिपि का निर्माण किया और अपने पूज्य पिता के नाम पर उसका नाम ब्राह्मी लिपि रखा। 

    18:15 (IST)28 Oct 2019
    ब्रह्मा जी के सत्रहवें और आखिरी मानस संतान थे चित्रगुुप्त

    चित्रगुप्त ब्रह्मा के पुत्र हैं। वे ब्रह्मा के सत्रहवें और आखिरी मानस पुत्र हैं। कथा है कि ब्रह्मा ने चित्रगुप्त को भगवती की तपस्या कर आर्शीवाद पाने की सलाह दी। तपस्या पूर्ण होने पर खुश होकर सभी देवताओं व ऋषियों के साथ ब्रह्मा जी  उनके पास पहुंचे औरआर्शीवाद के रूप में अमर होने का वरदान दिया। चित्रगुप्त का विवाह क्षत्रिय वर्ण के विश्वभान के पुत्र श्राद्ध देव मुनि की कन्या नंदिनी से हुआ। दूसरा विवाह ब्राह्मण वर्ण के कश्यप ऋषि के पोते सुषर्मा की पुत्री इरावती से हुआ। मान्यता है कि चित्रगुप्त भगवान यम राज के साथ रहकर इंसान के जीवन मरण और पाप पुण्य का लेखा जोखा रखते है यम द्वितीया पर्व पर कलम दवात की पूजा होती है। दिवाली बाद बिना कलम पूजन के कोई कायस्थ कलम का प्रयोग नहीं करता। यह कायस्थों की सबसे बड़ी पूजा होती है।

    17:17 (IST)28 Oct 2019
    चित्रगुप्त पूजा के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें: (Chitragupta Puja Mantra)

    मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
    लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।

    ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः मंत्र का भी उच्चारण करते रहें। पूजा के समय चित्रगुप्त प्रार्थना मंत्र भी जरूर पढ़ लें।

    17:16 (IST)28 Oct 2019
    कागज पर लिख कर चित्रगुप्त महाराज के पास रखें

    पूजा विधि के अंतर्गत ही ये मान्यता है कि चित्रगुप्त पूजा के दिन एक सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखकर पूजन स्थल के पास रख दिया जाता है। आप भगवान से बुद्धि, विद्या और लेखन का अशीर्वाद मांग सकते हैं।

    17:13 (IST)28 Oct 2019
    चित्रगुप्त पूजा कैसे करें::(How to do Chitragupta Puja)

    कार्तिक कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि यानी भाई दूज के दिन स्नान के बाद पूरब दिशा में बैठकर एक चौक बनाएं। उस पर चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर रखें। इसके बाद पुष्प, धूप, अक्षत्, चंदन, दीप, मिठाई, फल आदि अर्पित करें। एक नई लेखनी या कलम अवश्य पूजा में रखें।

    17:03 (IST)28 Oct 2019
    Chitragupta Puja 2019: चित्रगुप्त महाराज कौन हैं?

    मान्यताएं कहती हैं कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के साथ चित्रगुप्त महाराज को भी उत्पन्न किया था। ताकि इस संसार के सभी जीव मात्र का हिसाब किताब रखा जा सके। उसके अच्छे और बुरे कार्यों के हिसाब से ही संसार का संचालन करने का निर्णय लिया गया। ब्रह्मा जी की काया से उत्पन्न होने के कारण ही उनको कायस्थ भी कहते हैं। चित्रगुप्त का विवाह सूर्य पुत्री यमी से हुआ था। इसलिए उन्हें यमराज का बहनोई कहा जाता है। यमराज और यमी सूर्य की जुड़वा संतान हैं। यमी बाद में यमुना हो गईं और धरती पर चली गईं।