श्राद्ध यानी कि किसी के मरने के उपरान्त जो रसम रिवाज किये जाते हैं। हिंदू धर्म में किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद कई सारे रीति रिवाज ऐसे होते हैं जिन्हें करना जरूरी है। जैसे पितृ पक्ष में पितरों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। श्राद्ध पक्ष 2019 की शुरूआत 14 सितंबर से हो चुकी है पितरों के श्राद्ध की आखिरी तिथि 28 सितंबर है। यानी कि इस दिन श्राद्ध खत्म हो जाएंगे और इसके बाद नवरात्रि के पर्व की शुरुआत 29 सितंबर से हो जायेगी। श्राद्ध या अंतिम संस्कार के महत्व के बारे में जानें सद्गुरु जग्गी वासुदेव से…
सद्गुरु कहते हैं कि, जीवन की अभिव्यक्ति ऐसी है अगर हम इसे समझने के लिए दो हिस्से करें तो इसमें एक जीवन और एक भौतिक जीवन होता है। अगर भौतिक जीवन की अभिव्यक्ति को देखें तो भौतिक जीवन ऊर्जा जिसे आम तौर पर प्राण कहते हैं उसकी पांच बुनियादी अभिव्यक्तियां हैं। इन्हें समान, प्राण, उदान, अपान और व्यान कहते हैं। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो अगले 21 से 24 मिनट में समान निकलने लगता है। जिससे शरीर ठंडा होने लगेगा। अगले 24 से 48 मिनट के बीच प्राण निकलता है उसके बाद 6 से 12 घंटे के बीच उदान निकलता है। इसके निकलने से पहले तक ऐसी तांत्रिक प्रक्रियाएं होती हैं जिससे शरीर को फिर से जिन्दा किया जा सकता है। पर उदान निकलने के बाद शरीर को फिर से जीवित करना असंभव है।
अपान 8 से 18 घंटे के बीच निकल जाता है। व्यान जो प्राण की संरक्षण प्रकृति है अपान के बाद निकलने लगता है। वे 11 से 14 दिनों तक निकलता रह सकता है अगर व्यक्ति की मृत्यु सामान्य हो। यदि कोई अधिक आयु में मरा हो ऐसे व्यक्ति के लिए 11 से 14 दिनों तक शरीर में कुछ ऐसी प्रक्रियाएं होंगी जिनसे पता चलता है कि जीवन का कोई तत्व बाकी है। जैसे नाखुन बढ़ते हैं चेहरे के बाल और अगर कोई दुर्घटना से मरा है उस जीव के स्पंदन 48 से 90 दिनों तक रहेंगे। तो उस समय तक आप उस जीव के लिए कुछ चीजें कर सकते हैं।
किसी के मरने के उपरान्त बहुत सी ऐसी रस्में होती हैं जिसे लोग निभाते हैं। क्योंकि जब आत्मा शरीर से निकलती है तो वो इस भ्रम में रहती है कि वे वापस उस शरीर में जा सकती है। लेकिन इन रस्मों को करके किसी तरह उस विवेकहीन मन में मिठास की एक बूंद डाल दें ताकि वे मिठास कई गुना हो जाए। जिससे वो आराम से रह सके या अपने बनाए स्वर्ग में रह सके। रस्मों के पीछे यही मकसद है अगर सही तरीके से करें तो।

