महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म के लोगों के लिए बड़ा ही खास होता है। इस दिन श्रद्धालु शिव की भक्ति में रंगे नजर आते हैं। शिव के मंदिरों में भक्तों का तांता लग जाता है। इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करने की भी विशेष परंपरा है। शिव और शक्ति (माता पार्वती) के मिलन की रात्रि के तौर पर इस पर्व को मनाया जाता है। अमावस्या से एक दिन पहले की रात में शिवरात्रि मनाई जाती है।
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महाशिवरात्रि के दिन शिव को पंचामृत से स्नान जरूर करवाना चाहिए। पूजा के समय भगवान शंकर को चंदन का तिलक जरूर लगाएं। इस दिन शिवलिंग पर तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, कमल गट्टे, इत्र जरूर चढ़ाएं। इसी के साथ मौसमी फल, मीठा पान और सफेद मिठाई भी शिव को अर्पित करें। भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं। पूरे दिन शिव की मन ही मन अराधना करते रहें। रात्रि के किसी भी प्रहर में विधि विधान पूजा करें। पूजा करने के बाद भगवान शिव की इस आरती का गान करना न भूलें।
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥