Sheetala Ashtami (Basoda Puja) 2021 Date And Puja Vidhi: बसौड़ा पूजा माता शीतला को समर्पित है। जिसे शीतला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। ये पर्व होली के 8 दिन बाद मनाया जाता है। अधिकतर गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के लोग इस पर्व को मनाते हैं। जो लोग इस पर्व को मनाते हैं उनके अनुसार इस दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता है। शीतला अष्टमी पर एक दिन पहले बने हुए बासी भोजन का भोग लगाया जाता है और उसे ही प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता है।
महत्व: मान्यता है कि शीतला माता की पूजा करने से माता के आशीर्वाद से चेचक, छोटी माता, फुंसी, फोड़े, नेत्र विकार जैसी बीमारियां नहीं होती हैं। शीतला माता दिगम्बरा हैं और गधे पर सवार रहती हैं। ये अपने एक हाथ में झाड़ू और दूसरे हाथ से शीतल जलघट उठाए हुए हैं। शीतला माता की पूजा गर्मी के मौसम में की जाती है। ये पर्व मौसम में बदलाव होने का संकेत देता है। इस दिन के बाद से बासी भोजन नहीं खाया जाता है। शीतला अष्टमी व्रत रोगों से मुक्ति दिलाता है और आरोग्य प्रदान करता है।
मुहूर्त: शीतला अष्टमी 4 अप्रैल को मनाई जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:08 AM से शाम 06:41 PM तक रहेगा। कुल अवधि 12 घण्टे 33 मिनट की होगी। शीतला सप्तमी शनिवार को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 4 अप्रैल को 04:12 AM बजे से होगा और इसकी समाप्ति 5 अप्रैल 2:59 AM बजे होगी।
पूजा विधि: शीतला अष्टमी से एक दिन पहले यानि शीतला सप्तमी को किचन की साफ-सफाई करके प्रसाद तैयार कर लें। अगले दिन यानी बसौड़ा पर्व के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें और शीतला माता के मंदिर में जाकर पूजा करें और फिर बासी भोजन का भोग लगाया है। अगर आस-पास मंदिर नहीं है तो घर पर ही माता की पूजा कर उन्हें भोग लगाएं। इस दिन दही, रबड़ी, चावल, हलवा, पूरे आदि चीजों का भोग माता को लगाया जाता है। इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता। पूरे दिन बासी भोजन ही किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पूजा से प्रसन्न होकर माता शीतला अपने भक्तों की गर्मी के दिनों में होने वाली बीमारियों से रक्षा करती हैं।

