शनि का राशि परिवर्तन बेहद ही अहम घटना मानी जाती हैं। इस ग्रह का एक राशि से दूसरी राशि में गोचर लगभग ढाई साल बाद होता है। ज्योतिष अनुसार सभी ग्रहों में शनि की चाल सबसे धीमी मानी जाती है। इसलिए इसकी महादशा का प्रभाव लंबे समय तक किसी राशि पर रहता है। शनि 24 जनवरी 2020 से मकर राशि में गोचर हैं। अब ढाई साल बाद शनि इस राशि को छोड़ दूसरी राशि में प्रवेश करने जा रहा है। जानिए किस राशि पर शुरू होगी शनि साढ़े साती तो किस पर शनि ढैय्या…

बता दें कि इस समय धनु, मकर और कुंभ वालों पर शनि साढ़े साती चल रही है। तो वहीं मिथुन और तुला वालों पर शनि ढैय्या है। शनि साढ़े साती के तीन चरण होते हैं और हर चरण ढाई साल का होता है। धनु वालों पर इसका आखिरी चरण, मकर वालों पर दूसरा तो कुंभ वालों पर इसका पहला चरण चल रहा है। कुल मिलाकर देखा जाए तो शनि का प्रभाव एक साथ पांच राशियों पर होता है। कहते हैं कि शनि अपनी महादशा के समय व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि साढ़े साती या शनि ढैय्या किसी के लिए वरदान तो किसी के लिए अभिशाप साबित होती है।

29 अप्रैल 2022 में शनि मकर राशि छोड़ अपनी स्वामित्व वाली राशि कुंभ में प्रवेश कर जायेंगे। कुंभ राशि में शनि का गोचर होने से धनु वाले शनि साढ़े साती के प्रकोप से मुक्त हो जायेंगे। वहीं मिथुन और तुला जातकों को शनि ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। गुरु ग्रह की राशि मीन पर शनि साढ़े साती शुरू हो जाएगी जबकि मकर और कुंभ जातक पहले से ही इसकी चपेट में हैं। शनि ढैय्या की बात करें तो कर्क और वृश्चिक वालों पर ये शुरू होगी।  यह भी पढ़ें- पति के लिए भाग्यशाली मानी जाती हैं इन 4 राशि की लड़कियां, इनके रहने से धन-धान्य की नहीं होती कमी

शनि ढैय्या या साढ़े साती से पीड़ित जातकों को शनिदेव की अराधना करनी चाहिए। हर शनिवार शनि मंदिर जाकर शनि भगवान की मूर्ति पर सरसों का तेल चढ़ाएं और उनके सामने भी सरसों के तेल का दीपक जलाएं। पीपल के पेड़ की पूजा करने से भी शनि दोष में राहत मिलती है। शनि भगवान की कृपा पाने के लिए शनि से संबंधित चीजों जैसे उड़द दाल, काले कपड़े, जूते, सरसों या तिल के तेल का दान शनिवार के दिन जरूर करना चाहिए। यह भी पढ़ें- समुद्र शास्त्र: शरीर के इन स्थानों पर तिल होना आर्थिक सम्पन्नता और सुख समृद्धि का है सूचक, आप भी करें चेक