Saturn Retrograde/Shani Vakri 2021: न्याय के देवता शनि जब अपनी उल्टी चाल शुरू करते हैं तो उसे शनि का वक्री होना कहा जाता है। आपको बता दें कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि कुंभ राशि में वक्री (5 जून 2022) होने जा रहे हैं। शनि कुंभ राशि में वक्री 5 जून 2022, शनिवार को सुबह 4:14 बजे होंगे। वहीं फिर शनि देव 12 जुलाई को मकर राशि में वक्री हो जाएंगे। वक्री मतलब किसी भी ग्रह का उल्टी चाल से चलना है।

मतलब शनि अब कुंभ राशि से मकर राशि में वक्री होंगे, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा, लेकिन 3 राशियां ऐसीं हैं, जिनको इस समय कष्ट झेलना पड़ सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब शनि ग्रह जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो वहां पर पूरे ढाई साल विराजमान रहता है। इसीलिए शनि की सबसे धीमी चाल मानी गई है। ऐसे में कई राशियों को साढ़े साती और ढैय़्या से मुक्ति मिलती हैं, तो कई लोगों की साढ़े साती और ढैय़्या शुरू हो जाती है। आइए जानते हैं-

शनि की वक्री चाल का राशियों पर असर: शनि की उल्टी चाल का प्रभाव सबसे अधिक कर्क, सिंह, कन्या, मकर, वृश्चिक और कुंभ राशि के जातकों पर पड़ेगा। इन सभी राशि पर शनि की टेढ़ी नजर होगी। बता दें कि शनि ग्रह के गोचर से मीन राशि पर साढ़े साती आरंभ हो गई है। वहीं कुंभ राशि पर साढ़े साती का दूसरा चरण, मकर राशि पर साढ़े साती का अंतिम चरण, कर्क राशि और वृश्चिक राशि पर ढैय्या का आरंभ हो गई है।

8 राशियां शनि से होंगी प्रभावित: 29 अप्रैल 2022 में शनि के कुंभ में प्रवेश करते ही मीन जातकों पर शनि साढ़े साती तो वहीं कर्क और वृश्चिक वालों पर शनि ढैय्या शुरू हो चुकी है। लेकिन 12 जुलाई 2022 में फिर से शनि के मकर राशि में गोचर करने से धनु, मिथुन और तुला जातक फिर से शनि की महादशा की चपेट में आ जायेंगे यानि कुल मिलाकर 2022 में मिथुन, तुला, कर्क, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन इन 8 राशियों के जातकों को शनि के प्रकोप का सामना करना पड़ेगा।

शनि कब देते हैं शुभ फल: यदि आपकी जन्म कुंडली में शनि शुभ स्थिति में हैं तो आपको शनि की वक्री चाल के समय भी शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। वहीं जो व्यक्ति धर्म के काम करता है उसको भी शनि कष्ट नहीं पहुंचाते हैं। शनि के बारे में मान्यता है कि ये लोगों को उनके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। शनिदेव की पूजा करते समय नीले रंग के फूल अर्पित करें। इसके साथ ही रुद्राक्ष की माला से ऊँ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। इससे साढ़े साती और ढैय्या से राहत मिलती है।

क्या है शनि की वक्री चाल: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी की जन्म कुंडली में शनि वक्री अवस्था में बैठे हुए हैं और उस कुंडली के लिए शुभ फल कारक ग्रह है तो शनि का वक्री होना शुभ लाभकारी माना जाता है। इसी तरह यदि अशुभ होकर शनि वक्री हों तो अशुभ परिणाम देखने को मिलते हैं। वक्री शनि के शुभ होने पर कार्य क्षेत्र में तरक्की मिलती है वहीं अशुभ होने पर कार्यों में रुकावट आती हैं।