शनि जब भी अपनी चाल बदलते हैं तो इसका असर सभी राशियों पर पड़ता है। शनि मई में वक्री हो जाएंगे। शनि वक्री का मतलब है शनि की उल्टी चाल। 23 मई से मकर राशि में शनि धीमी गति से पीछे की ओर चलने लगेंगे और 11 अक्टूबर तक शनि की यही स्थिति रहेगी। शनि की इस चाल का सबसे ज्यादा असर शनि साढ़े साती (Shani Sade Sati) और शनि ढैय्या से पीड़ित जातकों पर पड़ेगा।
वक्री शनि का राशियों पर प्रभाव: धनु, मकर और कुंभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़े साती चल रही है। अत: इन राशि वालों को शनि की ये चाल काफी परेशान कर सकती है। आपको अपने कार्यों में सफलता पाने के लिए अत्याधिक मेहनत करनी पड़ेगी। मान-प्रतिष्ठा में गिरावट आने के आसार रहेंगे। दुश्मनों की संख्या अचानक से बढ़ जाएगी। आर्थिक स्थिति बिगड़ने से मानसिक तनाव रहेंगे। वहीं मिथुन और तुला वालों के लिए भी शनि की वक्री चाल अच्छी नहीं मानी जा रही है। आपके कष्टों में बढ़ोतरी होगी। इस दौरान किसी पर भी जल्दी से विश्वास न करें। धोखा मिलने के प्रबल आसार हैं।
कैसे करें बचाव: शनि की वक्री चाल शुरू होने से पहले ही कुछ ज्योतिषीय उपाय आप कर लें। जिससे आप पर इसका बुरा असर न पड़े। जानिए शनि की बुरी दृष्टी से बचने के उपाय…
-शमी के पेड़ की जड़ को काले कपड़े में बांधकर शनिवार के दिन शाम के समय दाहिने हाथ में बांध लें। इससे शनि दोष से बचा जा सकता है। इसके बाद ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम: मंत्र का तीन माला जप करें।
-ऐसी भी मान्यता है कि शिव का पूजन करने से भी शनि देव परेशान नहीं करते। नियमपूर्वक शिव सहस्त्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करने से आपको लाभ मिलेगा। यह भी पढ़ें- क्या आपके ऊपर चल रही है शनि महादशा? ज्योतिष शास्त्र अनुसार ऐसे लगाएं पता
-हर शनिवार शनि मंदिर जाकर शनिदेव की मूर्ति पर सरसो का तेल चढ़ाएं और तिल के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से शनि का प्रकोप न पड़ने की मान्यता है।
-शनि दोष से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा भी काफी फलदायी बतायी जाती है। इसलिए शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी के भक्तों को शनि परेशान नहीं करते हैं क्योंकि शनि ने हनुमान जी को वचन दिया था। यह भी पढ़ें- आपके करियर के बारे में बताती है हाथ में मौजूद शनि रेखा

