Sadesati Ke Upay/ Dhaiyya Ke Upay : शनिदेव की पूजा हमेशा दिन ढलने के बाद करनी चाहिए। कहते हैं कि शनिदेव की वही पूजा सफल होती है जो अंधेरे में की जाती है। माना जाता है कि शनि साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभावों से बचने के लिए भी रात या शाम के समय पूजा करनी चाहिए।

शाम के समय शनिदेव की पूजा करने से और अधिक असरदार साबित होती है। ज्योतिष शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभावों से बचने के लिए शनिवार की शाम को उपाय किए जाएं तो वह और भी अधिक असरदार साबित होते हैं।

शनि साढ़ेसाती और ढैय्या के उपाय (Shani Sadesati Aur Dhaiya Ke Upay)
एक घड़ा लें। उसमें ढाई किलो उड़द की दाल डाल दें। फिर इस घड़े को एक काले रंग के कपड़े से ढक दें। इस घड़े को अपनी गोद में रखकर ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: का एक माला जाप करें। संभव हो तो 11 माला जाप करें। फिर इस घड़े को किसी कुष्ठ रोगी या जरूरतमंद को दान कर दें।

शनिवार की शाम ढाई किलो काले चने उबालकर शनिदेव की पूजा करें। फिर उन्हें इन चनों का भोग लगाएं। शनिदेव को भोग लगाने के बाद गरीबों और जरूरतमंदों में यह काले चने बांट दें। जरूरतमंदों की मदद करने से बहुत जल्द शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। इसलिए इस उपाय को बहुत असरदार माना जाता है।

शुक्रवार की शाम काले रंग की चप्पल खरीदें। फिर शनिवार की शाम आने पर उन चप्पलों को किसी कुष्ठ रोगी को दान दें। अगर कुष्ठ रोगी न मिल पाए तो गरीब या जरूरतमंद को भी दान किया जा सकता है। यह उपाय बहुत आसान है लेकिन इस उपाय को बहुत असरदार माना जाता है। जो लोग भी ढैय्या के दुष्प्रभावों को झेल रहे हैं उन्हें यह उपाय जरूर करना चाहिए।

शनिवार को दिन ढलने के बाद अपने पहने हुए कपड़ों को गरीबों में दान करें। इस उपाय को करने से शनि साढ़ेसाती और ढैय्या से होने वाले शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि पहने हुए कपड़ों का दान करने से साढ़ेसाती और ढैय्या का भार कम हो जाता है। इसलिए जो लोग साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रकोप को सह रहे हैं उन्हें यह उपाय करना चाहिए।