Shani Dhaiya: मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं। ये एक राशि में ढाई साल तक भ्रमण करते हैं। मान्यता है कि शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या के दौरान लोगों को उनके कर्मों का फल मिलता है। अगर कुंडली में शनि मजबूत हैं तो जातक को तमाम सुख मिलते हैं और अगर शनि कमजोर हैं तो कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। फिलहाल शनि मकर राशि में गोचर हैं। मिथुन और तुला वालों पर शनि की ढैय्या चल रही है।
शनि साढ़े साती की तरह ही शनि की ढैय्या भी काफी परेशान करती है। जन्म चंद्र से जब गोचर का शनि चौथे अथवा आठवें भाव में गोचर करता है तब शनि की ढैय्या शुरू होती है। शनि ढैय्या के अशुभ प्रभाव से बनते हुए काम बिगड़ने लगते हैं। इस दौरान जातक को ज्यादा सर्तक रहने की जरूरत पड़ती है। अगर आपके ऊपर शनि की ढैय्या चल रही है तो आप कुछ ज्योतिषीय उपाय करके इसके दुषप्रभावों से बच सकते हैं।
शनि ढैय्या के उपाय: सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें। उसके बाद उस तेल को किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान कर दें। ऐसा करने से शनिदेव का प्रकोप नहीं पड़ने की मान्यता है। पीपल के पेड़ में जल अर्पित कर उसकी सात परिक्रमा करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शाम के समय पीपल के पेड़ पर दीपक जरूर जाएं।
शनि देव को शांत करने का एक अचूक उपाय ये भी है कि आप काले घोड़े की नाल से अंगूठी बनवाकर अपने हाथ की बीच वाली उंगली में डाल सकते हैं। ध्यान रहें कि ये काम आपको शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय करना है। कहा जाता है कि भगवान हनुमान की पूजा करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। इसलिए शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें।
शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नमः का रुद्राक्ष की माला में जप करें। ध्यान रखें कि मंत्र की जप संख्या 108 होनी चाहिए। ऐसा आप हर शनिवार को करें। शनिवार के दिन काले कपड़े और काली उड़द दाल का दान काफी शुभ माना जाता है।