शनि (Shani) को एक क्रूर ग्रह माना जाता है। मान्यता है कि ये लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। अगर व्यक्ति के कर्म अच्छे हैं तो शनि अपनी दशा के समय अच्छे फल ही देंगे और अगर व्यक्ति के कर्म बुरे हैं तो शनि की दशा बेहद ही कष्टदायी साबित होगी। हर व्यक्ति को अपने जीवनकाल में शनि साढ़े साती (Shani Sade Sati) और ढैय्या का सामना करना ही पड़ता है। शनि अभी मकर राशि (Makar Rashi) में गोचर हैं और इनका प्रभाव मिथुन, तुला, मकर, धनु और कुंभ राशि वालों पर है।

क्या है शनि साढ़े साती और ढैय्या: शनि जब चंद्र राशि से आठवें या चौथे भाव में हों तो यह अवस्था शनि की ढ़ैय्या कहलाती है। तो वहीं जब शनि चंद्र राशि के अनुसार प्रथम, द्वितीय या द्वादश स्थान मे हो तो यह अवस्था शनि साढ़ेसाती कहलाती है। शनि की साढ़े साती और ढैय्या दोनों के समय ही लोगों को काफी हानि उठानी पड़ती है। काम देरी से पूरे होते हैं।

इन राशियों को शनि की दशा से मिलेगी मुक्ति: वर्तमान में मिथुन और तुला वालों पर शनि ढैय्या चल रही है। वहीं धनु, मकर और कुंभ वालों पर शनि साढ़े साती चल रही है। शनि 29 अप्रैल 2022 में कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। जिससे धनु वालों पर से शनि साढ़े साती का प्रकोप हट जाएगा तो वहीं मिथुन और तुला जातक भी शनि ढैय्या से मुक्त हो जायेंगे। मीन वालों पर शनि साढ़े साती आरंभ हो जाएगी और शनि ढैय्या कर्क और वृश्चिक जातकों पर लग जाएगी। (यह भी पढ़ें- इन 4 राशि के लड़के माने जाते हैं सबसे ज्यादा चार्मिंग, लड़कियां इनसे जल्दी हो जाती हैं इंप्रेस)

शनि दोष से कैसे बचें: शनि देव के बुरे प्रभावों से बचने के लिए शनि देव की पूजा करनी चाहिए। तेल, राई, उड़द दाल, काले कपड़े-जूते आदि का दान करना चाहिए। हनुमान जी की पूजा करने से शनि पीड़ा से राहत मिलती है। शिव मंत्रों के जाप से भी शनिदोष खत्म होने की मान्यता है। पीपल के पेड़ की पूजा करने से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा शनि चालीसा का पाठ करने से भी शनि ग्रह मजबूत होने की मान्यता है। (यह भी पढ़ें- 17 अगस्त से सिंह राशि में बनेगा शुभ बुधादित्य योग, 5 राशि वालों को करियर में जबरदस्त लाभ मिलने की संभावना)