Shani Dhaiya 2021: अधिकतर लोग ऐसा मानते हैं कि शनि देव की सदैव बुरी दृष्टि ही पड़ती है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र अनुसार ऐसा बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि शनि देव कर्मफल दाता हैं। वो लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। यानी देखा जाए तो व्यक्ति के कर्म ही निर्धारित करते हैं कि उनके लिए शनि की महादशा कैसी रहेगी। अगर कुंडली में शनि मजबूत स्थिति में हैं तो व्यक्ति को अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं और वहीं अगर शनि कमजोर स्थिति में विराजमान हैं तो व्यक्ति परेशान रहता है। लेकिन एक राशि ऐसी है जिस पर शनि देव की विशेष कृपा रहती है।

शनि देव की सबसे प्रिय राशि: तुला राशि शनि देव की प्रिय राशि मानी जाती है। क्योंकि इस राशि में शनि उच्च के होते हैं। जिस कारण इस राशि के जातकों को शनि की महादशा के समय उतने कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता जितना की अन्य राशि वालों को करना पड़ता है। तुला वालों पर 24 जनवरी 2020 से शनि ढैय्या चल रही है और इससे मुक्ति 29 अप्रैल 2022 को मिलेगी। शनि तुला वालों के चतुर्थ भाव में विराजमान हैं तो इनको अर्धाष्टम शनि भी कहते हैं। (यह भी पढ़ें- अगले 10 साल तक इस राशि के जातक शनि साढ़े साती से रहेंगे मुक्त, इस राशि के स्वामी हैं सूर्य देव)

योग कारक की भूमिका निभाएंगे शनिदेव: तुला राशि वालों पर शनि ढैय्या का अनुकूल प्रभाव बना रहेगा। शनिदेव इनके लिए योग कारक की भूमिका निभाएंगे। इस दौरान तुला वालों को काफी लाभ भी प्राप्त होंगे और इन्हें कई समस्याओं से छुटकारा मिलने की भी संभावना रहेगी। शनि ढैय्या के दौरान तुला जातकों को अचानक से कोई लाभ भी मिल सकता है। करियर में तरक्की मिलने की भी संभावना रहेंगी। (यह भी पढ़ें- इस राशि की लड़कियां मानी जाती हैं स्वाभिमानी, सहनशील और आत्मनिर्भर, शनि देव हैं इस राशि के स्वामी)

ज्योतिष अनुसार शनि ग्रह: शनि अन्य ग्रहों की तुलना में सबसे धीमी गति से चलते हैं। ये एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग ढाई साल का समय लेते हैं। ऐसे में शनि अपना पूरा चक्र करीब 30 साल में पूरा करते हैं। जब शनि जन्म राशि से चौथे या आठवें भाव में विराजमान हों तो उस स्थिति में शनि की ढैय्या लगती है। शनि ढैय्या एक साथ 2 राशियों पर चलती है। अगर शनि जन्म राशि से तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में हो तो शनि ढैय्या शुभ परिणाम देती है।