Shani Dhaiya On Mithun And Tula Rashi: वैदिक ज्योतिष अनुसार शनि को पापी और क्रूर ग्रह माना गया है। इन्हें न्यायाधीश का दर्जा प्राप्त है। अगर कुंडली में शनि मजबूत स्थिति में हैं तो जातक को सारे सुख प्राप्त होते हैं वहीं अगर ये कमजोर स्थिति में हैं तो जीवन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुंडली में मौजूद सभी 12 भावों में शनि का प्रभाव अलग-अलग पड़ता है। शनि हर ढाई साल में अपनी राशि बदलते हैं। जानिए शनि के राशि परिवर्तन के साथ किन राशियों पर शुरू हो जाएगी शनि ढैय्या…

इन पर है शनि ढैय्या: शनि एक राशि में ढाई साल तक रहते हैं और इस तरह से ये अपना राशि चक्र 30 सालों में पूरा करते हैं। जब शनि गोचर काल में राशि से चौथे या आठवें भाव में विराजमान होता है तब ये स्थिति शनि ढैय्या कहलाती है। वर्तमान में मिथुन और तुला जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही है। शनि तुला राशि में उच्च के होते हैं इसलिए इस राशि वालों को शनि ढैय्या के दौरान उतने कष्टों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इन्हें शनि ढैय्या के दौरान काफी लाभ भी प्राप्त हो सकते हैं। वहीं मिथुन राशि वालों के जीवन में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।

इन पर शुरू होगी शनि ढैय्या: शनि 29 अप्रैल 2022 में कुंभ राशि में प्रवेश कर जायेंगे जिससे मिथुन और तुला जातकों को शनि ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। वहीं कर्क और वृश्चिक वाले इसकी चपेट में आ जायेंगे। इन दोनों राशियों को शनि ढैय्या से मुक्ति 29 मार्च 2025 में मिलेगी। बता दें कि शनि ढैय्या के दौरान जीवन में काफी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। बनते हुए काम बिगड़ जाते हैं। इसलिए इस दौरान शनि को मजबूत करने के उपाय करने चाहिए। (यह भी पढ़ें- मंगल का सिंह राशि में गोचर इन 5 राशियों के जीवन में लाएगा बड़े बदलाव, आय में हो सकती है वृद्धि)

शनि के उपाय: शनि के बुरे प्रभाव से बचने के लिए गरीबों व जरूरतमंद की मदद करनी चाहिए। शनि मंदिर में जाकर शनि देव की पूजा करनी चाहिए। शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल अर्पित करना चाहिए। शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। रामचरित मानस के सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। शनि से संबंधित चीजों का दान करने से भी शनि दोष से राहत मिलती है।