मंत्रों के जाप से हम शनिदेव को प्रसन्न करके हम जीवन में संघर्ष को कम कर सकते हैं। शनि को प्रसन्न करने की तीन विधियां हैं। इनमें पहली है आचरण से, दूसरी रत्न से और तीसरा तरीका है मंत्रों के जाप के माध्यम से। मंत्रों का जाप करने से शनिदेव जीवन की बहुत सारी मुसिबतें दूर कर सकते हैं। शनि को नियंत्रित करने और अपने जीवन में संघर्ष कम करने के लिए भगवान शनि के विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है तो हमें काफी फायदा मिल सकता है। आइये जानते हैं कब और कैसे करना चाहिए मंत्रों का जाप-

शनि की साढ़ेसाती (shani sade sati): ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव एक राशि में लगभग ढाई साल तक रहते हैं। मतलब कि शनि देव एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग ढाई वर्ष का समय लेते हैं। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि की चाल बहुत ही धीमी बताई है। इसलिए शनि का एक चक्र पूरा होने में करीब 30 साल का समय लगता है। बता दें कि शनि की साढ़े साती के तीन चरण होते हैं और एक चरण ढाई साल का माना गया है।

शनि की ढैय्या (shani ki dhaiya): ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब शनि की ढैय्या आरंभ होती है तो व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जब किसी राशि में शनि का आगमन ढाई वर्ष के लिए होता है तो उस स्थिति को शनि की ढैय्या कहा जाता है।

शनि मंत्र और जाप का तरीका: मंत्रों का जाप पूर्व-पश्चिम दिशा की तरफ मुंह करके करना उत्तम रहेगा। शनिदेव के मंत्रों के जाप का उत्तम समय समय संध्या काल है और शनिदेव के मंत्रों का जाप स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं। बताया जाता है कि शनिदेव की तस्वीर के साथ मंत्रों का जाप नहीं करना चाहिए और इनका जाप रुद्राक्ष की माला पर ही करना चाहिए इसके अलावा किसी और माला से जाप न करें। जाप करते वक्त सफेद या नीले रंग के वस्त्र धारण किए होने चाहिए।

कौन-कौन से हैं शनि के मंत्र-

  • वैदिक मंत्र- ‘ऊं शं शनैश्चराय नम:’ मंत्र का जाप सुबह-शाम 108 बार करने चाहिए। इससे शनि कभी नाराज नहीं होंगे।
  • बीज मंत्र- ‘शं’ लिखकर अपने पास रख सकते हैं या काम की जगह पर भी लगा सकते हैं।
  • पौराणिक मंत्र- शनि संबंधि किसी भी पूजा की शुरुआत करने से पहले ‘नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामी शनैश्चरम्’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • तांत्रिक मंत्र- शनि की दशा लगी है तो ‘ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • सबसे शक्तिशाली मंत्र- ‘सूर्यपुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: मंदचार: प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु में शनि:!!’ यह मंत्र सबसे शक्तिशाली है। साढ़ेसाती और ढैय्या से बचने के लिए इस मंत्र का लगातार 108 दिन तक जाप करना चाहिए।