Happy Krishna Janmashtami 2018 Wishes Images, Quotes, Messages, Shayari, SMS, Status, Photos in Hindi, हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी विशेस इमेजेज: भादो मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को जन्मे भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु का 8वां अवतार माना जाता है। धरती को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए कृष्ण का जन्म हुआ था। कंस का वध करने के अलावा कृष्ण ने महाभारत संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था। श्रीकृष्ण पांडवों की ओर से मैदान में थे लेकिन उन्होंने युद्ध से पहले ही यह घोषणा कर दी थी कि वह युद्ध में शस्त्र नहीं उठाएंगे। बाद में अर्जुन के निवेदन पर उन्होंने उनके रथ का सारथि बनना स्वीकार कर लिया
महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले दूसरे पक्ष में अपने रिश्तेदारों को सामने देखकर अर्जुन युद्ध लड़ने से मना करने लगे। फिर श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया जिसके बाद अर्जुन ने फिर शस्त्र उठा लिए। गीता को हिंदू पंथ में बेहद पवित्र ग्रंथ माना जाता है। इसे स्वयं भगवान के द्वारा उच्चरित ग्रंथ कहा जाता है। इसमें श्रीकृष्ण ने जीवन-मरण के तमाम रहस्यों, जीवन जीने की कला तथा कर्म-संन्यास योग के बारे में बड़ी ही गूढ़ व्याख्या की है। आज हम उसी गीता-ग्रंथ से कुछ चुनिंदा श्लोक आपके लिए लेकर आए हैं जो जीवन जीने की कला के बारे में हमें बताते हैं। आप इसे अपने दोस्तों, करीबियों तथा रिश्तेदारों को भेजकर जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दे सकते हैं।
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥ (3/21)
भावार्थः श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण यानी जो-जो काम करते हैं, दूसरे मनुष्य (आम इंसान) भी वैसा ही आचरण, वैसा ही काम करते हैं। वह (श्रेष्ठ पुरुष) जो प्रमाण या उदाहरण प्रस्तुत करता है, समस्त मानव-समुदाय उसी का अनुसरण करने लग जाते हैं।
नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥ (2/23)
भावार्थः आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। (यहां भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मा के अजर-अमर और शाश्वत होने की बात की है।
श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥ (4/39)
भावार्थः श्रद्धा रखने वाले मनुष्य, अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने वाले मनुष्य, साधनपारायण हो अपनी तत्परता से ज्ञान प्राप्त कते हैं, फिर ज्ञान मिल जाने पर जल्द ही परम-शान्ति (भगवत्प्राप्तिरूप परम शान्ति) को प्राप्त होते हैं।
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:॥ (18/60)
भावार्थः (हे अर्जुन) सभी धर्मों को त्याग कर अर्थात हर आश्रय को त्याग कर केवल मेरी शरण में आओ, मैं (श्रीकृष्ण) तुम्हें सभी पापों से मुक्ति दिला दूंगा, इसलिए शोक मत करो।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ (2/47)
भावार्थः कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फलों में कभी नहीं… इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो और न ही काम करने में तुम्हारी आसक्ति हो। (यह श्रीमद्भवद्गीता के सर्वाधिक महत्वपूर्ण श्लोकों में से एक है, जो कर्मयोग दर्शन का मूल आधार है।
Highlights
-जन्माष्टमी पर दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। इस उपाय से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। ये उपाय करने वाले की आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।
-जन्माष्टमी को शाम के समय तुलसी को गाय के घी का दीपक लगाएं और ऊं वासुदेवाय नम: मंत्र बोलते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें।
-जन्माष्टमी से शुरू कर 27 दिन तक लगातार नारियल व बादाम किसी कृष्ण मंदिर में चढ़ाने से सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।
-जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को पान का पत्ता भेंट करें और उसके बाद इस पत्ते पर रोली से श्री मंत्र लिखकर तिजोरी में रख लें। इस उपाय से धन वृद्धि के योग बन सकते हैं।
-जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं। इसमें तुलसी के पत्ते अवश्य डालें। इससे भगवान श्रीकृष्ण जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं।
-लक्ष्मी कृपा पाने के लिए जन्माष्टमी पर कहीं केले के दो पौधे लगा दें। बाद में उनकी नियमित देखभाल करते रहें।
-यदि पैसों की समस्या चल रही हो तो जन्माष्टमी पर सुबह स्नान आदि करने के बाद राधा-कृष्ण मंदिर जाकर दर्शन करें व पीले फूलों की माला अर्पण करें। इससे आपकी परेशानी कम हो सकती है।
-जन्माष्टमी की रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें तो जीवन में सुख-समृद्धि आने के योग बनते हैं।
- जन्माष्टमी पर 7 कन्याओं को घर बुलाकर खीर या सफेद मिठाई खिलाएं। इसके बाद लगातार 5 शुक्रवार तक 7 कन्याओं को खीर बांटें। इससे धन वृद्धि बढ़ती है। रोजगार की बढ़ोतरी के लिए भी अच्छा है।
-सुख-समृद्धि पाने के लिए जन्माष्टमी पर पीले चंदन या केसर में गुलाब जल मिलाकर कृष्ण जी के लगाये फिर अपने माथे पर टीका अथवा बिंदी लगाएं। ऐसा रोज करें। इस उपाय से मन को शांति प्राप्त होगी और जीवन में सुख-समृद्धि आने के योग बनेंगे।
जन्माष्टमी के शुभ मौके पर हम आपके लिए लाए हैं कुछ विशेष भजन और गाने। नीचे दिए गए वीडियो चलाकर आप घर, ऑफिस, कार या अन्य जगह माहौल को कृष्णमय बना सकते हैं।
कहते हैं कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में अत्याचारी मामा कंस के विनाश के लिए भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में अवतार लिया था। इसलिए इस दिन मथुरा में काफी हर्षोउल्लास से जन्माष्टमी मनाई जाती है। दूर-दूर से लोग इस दिन मथुरा आते हैं। इस दिन मथुरा नगरी पूरे धार्मिक रंग में रंगी होती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है और झांकियां सजाई जाती हैं। इसके अलावा मंदिरों में रासलीला का आयोजन भी किया जाता है। मथुरा के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी काफी धूम-धाम से जन्माष्टमी मनाई जाती है।
माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने वृन्दावन में अपना बचपन व्यतीत किया था। यहां रहने वाली करीब 3,000 विधवाओं में से गायत्री भी एक हैं। इनमें से अधिकांश लोग पूरे शहर में स्थित आश्रमों में रहते हैं और जीवन जीने के लिए मंदिरों के बाहर भिक्षाटन करते हैं। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल वृंदावन में रहने वाली विधवाओं की दुर्दशा पर संज्ञान लिया था और केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को वृंदावन की विधवाओं के पुनर्वास के लिए सभी कदम उठाने का आदेश दिया था ताकि उन्हें गरिमापूर्ण जीवन मिल सके। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘स्वाधार गृह’ योजना के तहत 1.4 हेक्टेयर भूमि पर ‘कृष्णा कुटीर’ का निर्माण किया है। इस कुटीर में एक बड़ा आधुनिक रसोई घर और विधवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए अन्य चीजों के साथ सिलाई, कढ़ाई, सिखाने के लिए एक कौशल-सह-प्रशिक्षण केंद्र भी है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, इमारत के निर्माण के लिए केन्द्र सरकार ने राशि दिया है और इसके प्रबंधन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
दुनिया में अकेले छोड़ दिये जाने के बाद भी भगवान कृष्ण ने वृंदावन की विधवाओं को जीवन जीने का एक लक्ष्य दिया है। ऐसे आशा भरे शब्द किसी नवयौवना के नहीं बल्कि वृंदावन में विधवा का जीवन गुजार रहीं 88 वर्षीय गायत्री देवी का है, जिनके लिए यह जन्माष्टमी त्यौहार ‘घर’ लेकर आया है। मूल रूप से ओडिशा में बिरसा की रहने वाली गायत्री के पति के निधन के बाद 17 साल पहले बच्चों ने घर से बेघर कर दिया। यहां बांके बिहारी मंदिर के पास कुछ सालों तक भीख मांगने और अगरबत्ती बेचने के बाद आखिरकार उन्हें ‘कृष्णा कुटीर’ के रूप में अब अपना घर मिल गया है। विधवाओं के लिए 1,000 बिस्तरों की सुविधा वाले इस कुटीर का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने शुक्रवार को किया।
दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर में सोमवार रात जन्मोत्सव मनाने के बाद अगले दिन नंदोत्सव के दौरान लट्ठा के मेला का आयोजन होगा। अन्य मंदिरों में जन्माष्टमी के लिए तैयारियां की गयी हैं। इस्कॉन मंदिर के प्रवक्ता ने बताया कि जन्मोत्सव पर अष्टप्रहर आरती होगी। लंदन में तैयार हुई ठाकुरजी की पोशाक धारण कराई जाएगी। रात 9 बजे से हरिनाम संकीर्तन के साथ बारह बजे तक ठाकुरजी का महाभिषेक होगा। इसके बाद महाआरती होगी। ब्रज के हर घर में कान्हा के जन्म का उत्सव मनाया जाएगा। यहां परंपरा है कि दिन भर व्रत रखकर मध्य रात्रि में खीरे का चीरा लगाकर शालिग्राम की बटिया के रूप में ठाकुर के जन्म की परंपरा निभाई जाती है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सुरक्षा के खासे प्रबंध किए गए हैं। मथुरा-वृन्दावन नगर निगम की ओर से श्रीकृष्ण जन्मस्थान की ओर जाने वाले हर चौराहे- रास्ते को बड़ी ही शिद्दत से सजाया गया है। सोमवार की रात्रि में भगवान के जन्म के अवसर 12.00 बजे से 12.10 बजे तक प्रकट्योत्सव, 12.15 से 12.30 बजे तक महाभिषेक कराया जाएगा। तत्पश्चात 12.40 से 12.50 बजे तक श्रृंगार आरती और फिर 1.30 बजे तक दर्शन होंगे। द्वारिकाधीश मंदिर में सुबह 6.00 से 6.15 बजे मंगला, 6.30 से श्रृंगार और 8.30 बजे से ग्वाल राजभोग के दर्शन होंगे। शाम को 7.30 बजे से भोग संध्या आरती और शयन के दर्शन होंगे। रात को 10 बजे से जागरण और 11.45 बजे भगवान जन्म के दर्शन होंगे।
मथुरा में देश के विभिन्न हिस्सों से आ रहे श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। मथुरा-वृन्दावन की ओर आने वाले हर मार्ग पर लगातार जाम की स्थिति बनी हुई है। लोग मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान, द्वारिकाधीश मंदिर, वृन्दावन के बांकेबिहारी, राधावल्लभ लाल, शाहबिहारी, राधारमण, अंग्रेजों के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस्कॉन मंदिर, 21वीं सदी में बनाए गए स्रेह बिहारी व प्रेम मंदिर, बरसाना के लाड़िली जी, नन्दगांव के नन्दबाबा मंदिर, गोकुल के नन्दभवन आदि की ओर पैदल ही जा रहे हैं। हर तरफ कान्हा के जन्म को लेकर उल्लास छाया हुआ है। जगह-जगह प्रभु का प्रसाद बांटा जा रहा है।
वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और “मैं ” और “मेरा ” की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांति प्राप्त होती है। जो इस लोक में अपने काम की सफलता की कामना रखते हैं वे देवताओं का पूजन करें। मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय किन्तु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं, वो मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ हूँ। बुरे कर्म करने वाले, सबसे नीच व्यक्ति जो राक्षसी प्रवित्तियों से जुड़े हुए हैं, और जिनकी बुद्धि माया ने हर ली है वो मेरी पूजा या मुझे पाने का प्रयास नहीं करते। जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ कर देता हूँ। केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है। वह जो मृत्यु के समय मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है। इसमें कोई शंशय नहीं है।
कर्म योग वास्तव में एक परम रहस्य है। कर्म उसे नहीं बांधता जिसने काम का त्याग कर दिया है। बुद्धिमान व्यक्ति को समाज कल्याण के लिए बिना आसक्ति के काम करना चाहिए। जो व्यक्ति आध्यात्मिक जागरूकता के शिखर तक पहुँच चुके हैं, उनका मार्ग है निःस्वार्थ कर्म जो भगवान् के साथ संयोजित हो चुके हैं उनका मार्ग है स्थिरता और शांति।
कभी ऐसा समय नहीं था जब मैं, तुम,या ये राजा-महाराजा अस्तित्व में नहीं थे, ना ही भविष्य में कभी ऐसा होगा कि हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाये। कर्म मुझे बांधता नहीं, क्योंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं। वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है। अपने परम भक्तों, जो हमेशा मेरा स्मरण या एक-चित्त मन से मेरा पूजन करते हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से उनके कल्याण का उत्तरदायित्व लेता हूँ।
मेरी कृपा से कोई सभी कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए भी बस मेरी शरण में आकर अनंत अविनाशी निवास को प्राप्त करता है। बुद्धिमान व्यक्ति कामुक सुख में आनंद नहीं लेता। भगवान प्रत्येक वस्तु में है और सबके ऊपर भी। मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ। मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम हूँ। तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नहीं हैं, और फिर भी ज्ञान की बाते करते हो। बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं। मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ। मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम हूँ।
जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो। अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करता है। सभी अच्छे काम छोड़ कर बस भगवान में पूर्ण रूप से समर्पित हो जाओ। मैं तुम्हे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा। शोक मत करो। किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें, भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े। मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ जो सदा मुझसे जुड़े रहते हैं और जो मुझसे प्रेम करते हैं। मैं सभी प्राणियों को सामान रूप से देखता हूँ; ना कोई मुझे कम प्रिय है ना अधिक। लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूँ।
सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और। प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर, और सोना सभी समान हैं। निर्माण केवल पहले से मौजूद चीजों का प्रक्षेपण है। व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे। उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था ना कभी होगा। जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता। ज्ञानी व्यक्ति को कर्म के प्रतिफल की अपेक्षा कर रहे अज्ञानी व्यक्ति के दीमाग को अस्थिर नहीं करना चाहिए। हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है।
लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे। सम्मानित व्यक्ति के लिए, अपमान मृत्यु से भी बदतर है। मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है। इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है। नर्क के तीन द्वार हैं, वासना, क्रोध और लालच। मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है।
क्रोध से भ्रम पैदा होता है। भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है। ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है। अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है। आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो। अनुशासित रहो। उठो। मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।
कमल की तरह पवित्र- कमल का फूल कीचड़ में खिलता है, लेकिन वह उससे अलग ही रहता है। इस फूल को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। कमल से हमें पवित्र रहने की सीख मिलती है।
वैजयंती माला- भगवान श्री कृष्ण अपने गले में वैजयंती माला पहनते थे। यह माला कमल के बीजों से बनी हुई होती है। कमल के बीज ऐसे होते हैं, वे कभी ना सड़ते हैं और ना ही टूटते हैं। उनकी चमक हमेशा बरकरार रहती है। इससे सीधा-सीधा संदेश मिलता है कि आप जिंदगी भर सदाबहार रहें।
मोर पंख से प्रेम- भगवान श्री कृष्ण को मोर पंख भी पसंद था। वे प्रेम में ब्रह्राचर्य की भावना को समाहित करने के लिए प्रतीक के रूप में मोर पंख धारण करते थे।
हम आपको उन चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे भगवान श्री कृष्ण को बेहद प्रेम था। इनमें बांसुरी, माखन-मिश्री, गाय, कमल, मोर पंख शामिल हैं। इन सबके पीछे एक संदेश भी छुपा हुआ है।
गाय- भगवान श्रीकृष्ण को गायों से बहुत ज्यादा प्रेम था, वे उन्हें अपने सखे मानते थे। गाय का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी बहुत ही उपयोगी है। इन पाचों को पंचगव्य कहते हैं। इन्हें शुद्ध माना गाय है। गाय को सभी गुणों से संपन्न माना जाता है।
मिश्री- मिश्री भगवान श्रीकृष्ण को बेहद पसंद है। वे बड़े ही चाव से मिश्री का सेवन करते थे। मिश्री को जब माखन में मिलाया जाता है तो यह उसके हर हिस्से में समा जाती है। मिश्री अच्छे से घुल मिल जाने की सीख देती है।
हर जगह मंदिर और घरों में भगवान श्री कृष्ण का प्रतीक के तौर पर जन्म करवाया जाता है। प्रतीक के तौर पर एक थाली में खीरे को रखकर काटा जाता है। यह वैसे ही काटा जाता है, जैसे प्रसव के बाद बच्चे की नाल काटी जाती है।
प्यार में कितनी बाधा देखी
फिर भी कृष्ण के साथ राधा देखी।
हैप्पी जन्माष्टमी
श्री कृष्णा जन्माष्टमी मंगलमय हो
ओम नमो भगवते वासुदेवाय
जय श्री राधे जय श्री कृष्णा
हैप्पी जन्माष्ठमी
चन्दन की खुशबू को रेशम का हार
सावन की सुगंध और बारिश की फुहार
राधा की उम्मीद को कन्हैया का प्यार
मुबारक हो आपको
हैप्पी जन्माष्टमी
जोर से बोलो!
कान्हा- कान्हा!!
सारे बोलो
कान्हा कान्हा
मन से बोलो
कान्हा कान्हा
राधे-राधे!
हैप्पी जन्माष्टमी!
कृष्णा का नाम लो सहारा मिलेगा,
ये जीवन आपको न दोबारा मिलेगा।
हैप्पी जन्माष्टमी मेरे सब दोस्तों के लिए।।
चंदन की ख़ुशबू को रेशम का हार सावन की सुगंध और बारिश की फुहार राधा की उम्मीद को कन्हैया का प्यार मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्यौहार
भगवान् श्री कृष्ण स्वयं आप के घर आये आप ख़ुशी से दिए जलाये इस महोत्सव को आप बड़े धूम-धाम से मनाये हमारी तरफ से कृष्ण जन्मोत्सव की ढेर सारी शुभकामनाये हैप्पी जन्माष्टमी
सोचा किसी अपने से बात करें अपने किसी खास को याद करें किया जो फैसला जन्माष्टमी की शुभकामना देने का दिल ने कहा क्यों न आपसे शुरूआत करें जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है। करते हो तुम कन्हैया, मेरा नाम हो रहा है। Happy janamashtami!
श्री कृष्ण के कदम आपके घर आएं, आप खुशियों के दीप जलाएं, परेशानी आपसे आंखे चुराएं, कृष्ण जन्मोत्सव की आप सबको शुभकामनाएं।
माखन -चोर नन्द -किशोर, बाँधी जिसने प्रीत की डोर, हरे कृष्णा हरे मुरारी, पूजती जिन्हें दुनिया सारी, आओ उनके गुण गायें, सब मिलके जन्माष्टमी मनाएँ।
प्रेम से श्री कृष्ण का नाम जपो, दिल की हर इच्छा पूरी होगी, कृष्ण आराधना में तल्लीन हो जाओ, उनकी महिमा जीवन खुशहाल कर देगी। Happy Janmashtami
माखन का कटोरा, मिश्री का थाल, मिट्टी की खुशबू, बारिश की फुहार, राधा की उम्मीद कन्हैया का प्यार, मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्यौहार।
राधे जी का प्रेम, मुरली की मिठास, माखन का स्वाद, गोपियों का रास, इन्ही से मिलके बनता है जन्माष्टमी का दिन ख़ास। Happy janamashtami!
कन्हैया की महिमा, कन्हैया का प्यार, कन्हैया में श्रद्धा, कन्हैया से संसार, मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्यौहार। बोलो राधे राधे। HAPPY JANAMASHTMI
राधा की चाहत है कृष्णा, उनके दिल की विरासत है कृष्णा, चाहे कितना भी रास रच ले कृष्णा, दुनिया तो फिर भी यही कहती है ” राधे – कृष्णा ” HAPPY JANAMASHTMI
बाल रूप है सब को भाता माखन चोर वो कहलाया है, आला आला गोविंदा आला बाल ग्वालों ने शोर मचाया है, झूम उठे हैं सब ख़ुशी में, देखो मुरली वाला आया है, कृष्णा जन्माष्टमी की बधाई!
माखन चोर नन्द किशोर, बांधी जिसने प्रीत की डोर,हरे कृष्ण हरे मुरारी,पुजती जिन्हें दुनिया सारी, आओ उनके गुण गाएं सब मिल के जन्माष्टमी मनाये!”
ओ पालन हारे निर्गुण ओ न्यारे… तुमरे बिन हमरा कउनु नाहीं … हमारी उलझन सुलझाओ भगवन .. तुम्हे हमको है संभाले , तुम्ही हमारे रखवाले
माखन चुराकर जिसने खाया , बंसी बजाकर जिसने नचाया , ख़ुशी मनाओ उनके जन्मदिन की , जिसने दुनिया को प्रेम का रास्ता दिखाया। .. Wish u very happy shri krishan janmastami 2018