Rudrabhishek Pooja: शिव अराधना का विशेष महीना सावन चल रहा है। जिसकी समाप्ति 22 अगस्त को होगी। इस महीने लोग शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए सावन सोमवार व्रत रखते हैं और रुद्राभिषेक भी कराते हैं। वैसे को इस पूरे महीने में कभी भी रुद्राभिषेक कराया जा सकता है लेकिन सावन सोमवार, शिवरात्रि और नाग पंचमी का दिन इस कार्य के लिए विशेष रूप से फलदायी माना गया है। जानिए धन-दौलत और व्यापार में वृद्धि के लिए किन चीजों से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
क्यों किया जाता है रुद्राभिषेक? मान्यता है शिव के रूद्र अवतार का विधिवत अभिषेक करने से व्यक्ति को अपने तमाम कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। अशुभ ग्रह शुभ फल प्रदान करने लगते हैं। ज्योतिष अनुसार रुद्राभिषेक मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे अचूक उपाय माना जाता है। अर्थात इससे भगवान शिव की शीघ्र कृपा प्राप्त होती है। शनि पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए भी इसका विशेष महत्व बताया जाता है।
कब किया जाना चाहिए रुद्राभिषेक? हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार शिव जी का रुद्राभिषेक सावन के महीने में सबसे फलदायी माना जाता है। खासकर इस महीने में पड़ने वाले सोमवार, नाग पंचमी, शिवरात्रि और सावन त्रयोदशी के दिन रुद्राभिषेक कराना सबसे उत्तम होता है। इसके अतिरिक्त रुद्राभिषेक करने के लिए महाशिवरात्रि का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। (यह भी पढ़ें- कब है नाग पंचमी? मान्यता है इस दिन विशेष उपायों को करने से राहु-केतु और शनि ग्रह होता है मजबूत)
किस कामना की पूर्ति के लिए किस चीज से करें शिव रुद्राभिषेक:
धन प्राप्ति के लिए शिव जी का रुद्राभिषेक जल से किये जाने की मान्यता है।
घर या प्रॉपर्टी से जुड़े लाभ प्राप्त करने के लिए दही से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
धन-दौलत में वृद्धि के लिए रुद्राभिषेक शहद और घी से किया जाता है।
रोग से निजात पाने के लिए शिव जी का कुशोदक से अभिषेक करना उत्तम माना गया है।
पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए शिव का रुद्राभिषेक गाय के दूध से करना फलदायी माना जाता है।
शत्रुओं से मुक्ति के लिए शिव जी का अभिषेक सरसों के तेल से किया जाना चाहिए।
ज्योतिष अनुसार परीक्षा में अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए छात्रों को दूध में शक्कर मिलाकर शिव जी का अभिषेक करना चाहिए।
धन प्राप्ति या कर्जे से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव का अभिषेक गन्ने के रस से किये जाने की मान्यता है।
रुद्राभिषेक की सामग्री: दीपक, घी, तेल, कपूर, बाती, फूल, सिन्दूर, अगरबत्ती, चंदन का लेप, धूप, सफ़ेद फूल, बेल पत्र, भांग, धतूरा, दूध, गंगा जल, द्रव्य, गुलाब जल, पान का पत्ता, गंध, कपूर, मिठाई, फल, शहद, दही, ताजा दूध, मेवा, पंचामृत, गन्ने का रस, सुपारी, नारियल, श्रृंगी (गाय के सींग से बना अभिषेक का पात्र)।
रुद्राभिषेक की सही पूजा विधि: सबसे पहले भगवान गणेश को याद करें। फिर रुद्राभिषेक करने का संकल्प लें और फिर आगे की विधि शुरू करें। इसके साथ ही भगवान शिव, माता पार्वती समेत सभी देवता और नौ ग्रहों की भी पूजा की जाती है और रुद्राभिषेक का उद्देश्य बताया जाता है। ऐसा करने के बाद रुद्राभिषेक की प्रक्रिया शुरू की जाती है। अब शिवलिंग की उत्तर दिशा में स्थापना करें और खुद पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठें। गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हुए रुद्राभिषेक की विधि शुरू करें। इसके बाद रुद्राभिषेक में इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजों को शिवलिंग पर चढ़ाएं। इस दौरान विशेष रूप से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप जरूर करें। अंत में भोग लगाएं और शिव जी की आरती करें। रुद्राभिषेक खासतौर से किसी विद्वान पंडित के द्वारा करवाना अत्यंत फलदायी माना जाता है। हालाँकि आप स्वयं भी रुद्राष्टाध्यायी का पाठ कर इसे कर सकते हैं।