Shani Vakri Effects On Zodiac Sign: वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, तकनीकी, विज्ञान, कर्मचारी, लोहा, खनिज तेल, सेवक, आदि का कारक माना जाता है। कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर होने से व्यक्ति को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है वहीं अगर शनि मजबूत हैं तो व्यक्ति तरक्की भी खूब करता है। शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। तुला इनकी उच्च राशि है जबकि मेष नीच राशि मानी गई है। शनि हर ढाई साल में अपनी राशि बदलते हैं। इस समय शनि मकर राशि में गोचर कर रहे हैं। जानिए किन राशियों पर है शनि साढ़े साती तो किन पर ढैय्या।

शनि 23 मई से वक्री चल रहे हैं और 11 अक्टूबर तक इसी स्थिति में रहेंगे। शनि की उल्टी चाल का प्रभाव वैसे तो सभी राशियों पर पड़ता है लेकिन इससे मुख्य रूप से प्रभावित शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या से पीड़ित लोग होते हैं। शनि के वक्री होने से कार्यों में मंदी आ जाती है और इस दौरान सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए धनु, मकर, कुंभ, मिथुन और तुला जातकों को इस दौरान बेहद ही सावधानी से हर काम पूरा करना होगा। क्योंकि इन राशियों पर शनि की टेढ़ी नर बनी हुई है।

शनि जब वक्री होते हैं तो कार्यों में रुकावटें आने लगती हैं, जोड़ों में दर्द रहता है, नौकरी में दिक्कतें आने लगती हैं, कोयला, स्टील और लोहे से संबंधित शेयरों में नुकसान होने लगता है। शनि वक्री होने पर और अधिक बलशाली हो जाता है और व्यक्ति को कार्य को दोहराने के लिए मजबूर कर देता है। इस दौरान बार-बार मेहनत करने से मानसिक और शारीरिक परेशानी महसूस होने लगती है। जिससे कार्यों में देरी होती है। इसलिए अगर कोई नया काम प्रारंभ करने जा रहे हैं तो शनि के वक्री होने के दौरान आपको ऐसा करने से बचना चाहिए। (यह भी पढ़ें- ज्योतिष अनुसार ये है सबसे भाग्यशाली राशि, इस राशि के लोगों पर शनि देव की रहती है विशेष कृपा)

जब शनि अपने परिक्रमण पथ पर आगे की ओर न चलकर पीछे की ओर चलता हुआ प्रतीत होता है तो उसे शनि की वक्री चाल माना जाता है। इस अवस्था में कार्य देरी से पूरे होते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि शनि अपनी वक्री अवस्था में व्यक्ति को अवसर देते हैं अपनी गलतियों को सुधारने का और आगे बढ़ने का।