Jain Paryushan 2019: क्षमा, अहिंसा और मैत्री का पर्व है संवत्सरी। यह पर्व जैन धर्म के लोगों द्वारा 3 सितंबर यानी आज के दिन पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस पर्व पर जैन धर्म के लोग जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा मांगते हैं। इस पर्व को जैन धर्म के पर्वों का राजा माना जाता है। यह पर्व भगवान महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जिओ और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है और मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है। इस दिन लोग उपवास रखते हैं और स्वयं के पापों की आलोचना करते हुए भविष्य में उनसे बचने का संकल्प लेते हैं।

इस दिन चौरासी लाख योनियों में विचरण कर रहे समस्त जीवों से क्षमा मांगी जाती है और कहा जाता है कि उनकी किसी से कोई शत्रुता नहीं है। इस दिन जैन समाज के लोग विश्व शांति के लिए व्रत रखते हैं तथा इसे अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व पर जिओ और जीने दो के सिद्धांत पर चलते हुए संसार के सभी मनुष्य, पशु-पक्षियों के कल्याण के लिए प्रार्थना की जाती है तथा सभी के जीवन में सुख-शांति बनी रहे ऐसी मंगलकामना की जाती है। जैन धर्म की परंपरा के अनुसार पर्युषण पर्व के अंतिम दिन क्षमावाणी दिवस पर सभी एक-दूसरे से ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ कहकर क्षमा मांगते हैं, साथ ही यह भी कहा जाता है कि मैंने मन, वचन, काया से जाने-अनजाने अगर आपका दिल दुखाया हो तो मैं उसके लिए हाथ जोड़कर आपसे क्षमा मांगता हूं।

‘मिच्छामी दुक्कड़म’ प्राकृत भाषा का शब्द है। इसी भाषा में काफी जैन ग्रंथों की रचना हुई है। इस पर्युषण पर्व पर आत्मशुद्धि के साथ मनोमालिन्य दूर करने का अवसर प्राप्त होता है। पर्यूषण पर्व यानी कि संवत्सरी पर्व आत्मचिंतन और सन्मार्ग पर चलने का पर्व है। भारत के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान समेत विभिन्न देशों में जैन समाज के लोग इस पर्व को मनाते हैं।