Samudrik Shastra Back Mole Meaning : सामुद्रिक शास्त्र में शरीर की बनावट से व्यक्ति के स्वभाव, व्यवहार और भविष्य के बारे में गणना की जाती है। यह शास्त्र अन्य सभी शास्त्रों से बहुत अलग है। जहां अन्य सभी शास्त्र हिंदू धर्म की मान्यताओं और देवी-देवताओं की कथा बताते हैं। वहीं यह शास्त्र शरीर की बनावट से व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताता है।

इस शास्त्र को ऋषि समुद्र ने लिखा था। माना जाता है कि उन्होंने इस शास्त्र की रचना इसलिए की थी ताकि किसी भी मनुष्य को देखते ही सामने वाला व्यक्ति बिना उससे बात किए भी उसके स्वभाव, सोच और व्यवहार आदि को पहचान लें। शरीर के सभी अंगों की तरह ही इस शास्त्र में पीठ के बारे में भी लिखा गया है। साथ ही पीठ पर तिल होने के मतलब को भी बारीकी से बताया गया है।

पीठ के ऊपरी हिस्से पर तिल- जिस व्यक्ति की पीठ के ऊपरी हिस्से पर तिल होता है वह बहुत भावुक होता है। माना जाता है कि ऐसा व्यक्ति भावनाओं में बहकर अपने निर्णयों को भी प्रभावित कर लेता है। सामुद्रिक शास्त्र मानता है कि पीठ के ऊपरी हिस्से पर तिल व्यक्ति को रचनात्मक बनाता है। ऐसे लोगों को हमेशा किसी के साथ की जरूरत महसूस होती है। लेकिन इनको ईमानदार साथी बहुत मुश्किल से मिलता है।

पीठ के बीच में तिल- अगर किसी व्यक्ति की पीठ के बीच में तिल है तो ऐसे व्यक्ति को जिद्दी माना जाता है। ऐसे लोग अपने बारे में किसी से बात करना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन इन लोगों को दूसरे की जिंदगी के रहस्यों को जानने में रुचि होती है। ऐसे लोगों को शक करने की आदत होती है। ये वाणिज्य, व्यवसाय, कॉमर्स और गणित से जुड़े विषयों की गहरी समझ रखते हैं। ऐसे लोगों से सोच-समझ कर मित्रता करनी चाहिए।

पीठ के निचले हिस्से पर तिल- सामुद्रिक शास्त्र यह मानता है कि जिस व्यक्ति की पीठ के निचले हिस्से पर तिल होता है वह बहुत कामुक होता है। ऐसे व्यक्ति के कई प्रेम संबंध होते हैं। इनका दांपत्य जीवन सुखद होता है। इस शास्त्र में यह कहा गया है कि ऐसा व्यक्ति लोगों पर जल्दी विश्वास कर लेता है इसका फल भी उसको भुगतना पड़ता है। इन्हें धार्मिक कार्यों में बहुत अधिक रुचि होती है।