महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह के बाणों की शय्या पर लेटे होने का प्रसंग बहुत ही प्रसिद्ध है। इस प्रसंग के मुताबिक भीष्म को बाणों की शय्या पर लेटकर अपनी मौत का इंतजार करना पड़ा था। महाभारत युद्ध से जुड़े प्रसंगों में भीष्म पितामह को बाणों की शय्या मिलने के वजह के बारे में भी बताया गया है जिसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। यह प्रसंग जानना हम सबके के लिए इसलिए भी जरूरी है ताकि हम यह समझ सकें कि हमारे बुरे कर्मों का फल हमें अगले जन्मों तक भी मिलता रहता है। भीष्म पितामह बड़े ही तपस्वी थे। वे पराक्रमी थे। उनका मानना था कि उन्होंने अपने कई जन्मों में कोई बुरा काम नहीं किया है। लेकिन सच यह नहीं था।

कहा जाता है कि महाभारत युद्ध समाप्त हो जाने के बाद भीष्म ने भगवान श्रीकृष्ण से अपने बाणों की शैय्या पर पड़े होने की वजह पूछी थी। भीष्म का कहना था कि मैंने अपने पिछले 100 जन्मों तक कोई गलत काम नहीं किया है। मैंने सदा दूसरों की मदद की है। इसलिए मुझे यह नहीं समझ आ रहा कि आखिर मुझे किस पाप का फल मिल रहा है। इस पर श्रीकृष्ण ने भीष्म से कहा कि आपने पिछले 100 जन्मों में कोई अपराध नहीं किया है, लेकिन पिछले 101वें जन्म में आपने एक अपराध अवश्य किया है। और आपको उसी अपराध की सजा मिल रही है।

श्रीकृष्ण ने बताया कि आप 101वें जन्म में जब शिकार करके लौट रहे थे, उस वक्त एक कर्केटा पक्षी आपके रथ से गलती से टकरा गया था। इस पर आपने अपने बाण से उस कर्केटे को नीचे गिरा दिया था। वह पक्षी नीचे कांटों की झाड़ियों में जा गिरा था जो उसमें 18 दिन तक फंसा रहा। उस पक्षी ने आपको श्राप दिया था कि आप भी एक दिन यह दर्द झेलेंगे। इसके अलावा इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि द्रौपदी के चीरहरण के समय चुपचाप सिर झुकाकर बैठे रहने की वजह से भी भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या मिली थी।