रमजान का महीना रविवार (28मई) से शुरु हो रहा है। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे महीने रोजे रखते हैं। इसमें मुस्लिम सुबह सहरी के वक्त खाना खाते हैं और फिर पूरे दिन कुछ भी खाते पीते नहीं। फिर शाम को इफ्तार के बाद रोजा खोला जाता है। रोजे में खजूर का सेवन बहुत ज्यादा किया जाता है। खजूर खाकर ही रोजे खोले जाते हैं, हालांकि, किसी के पास खजूर उपलब्ध नहीं है तो वह पानी पीकर भी रोजे खोल सकता है। इफ्तार के वक्त खजूर खाना ‘सुन्नत’ माना जाता है। (पैगंबर मोहम्मद जो भी काम करते थे, उन्हें सुन्नत करार दिया गया है।) रमजान में खजूर खाने की एक वजह यह भी है।

रोजा खोलने के वक्त कई लोग बहुत ज्यादा खाना खा लेते हैं, जिससे कई सारी दिक्कतें पैदा हो सकती है। ऐसे में उस वक्त खजूर खाने से वह शरीर को काफी शक्ति दे देता है, जिससे भूख कम लगती है और कोई परेशानी नहीं होती। खजूर खाने से पाचन तंत्र मजबूत रहता है। इसमें काफी मात्रा में फायबर पाया जाता है, जो कि शरीर के लिए बहुत जरूरी होती है। सारा दिन भूखा और प्यासा रहने की वजह से शरीर में कमजोरी आ जाती है, ऐसे में खजूर खाने से शरीर को ताकत मिलती है।

खजूर में ग्लूकोज, सुक्रोज और फ्रुक्टोज पाए जाते हैं, जिससे शरीर को तुरंत एनर्जी मिलती है। खजूर का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम होता है, जिससे दिल की बीमारियां होने का खतरा नहीं रहता। इसके अलावा इसमें पोटेशियम काफी मात्रा में पाया जाता है, वहीं सोडियम की मात्रा कम होती है, ये नर्वस सिस्टम के लिए फायदेमंद होता है। खजूर में आयरन पाया जाता है, जो कि खून से संबंधित बीमारियों से निजात दिलाता है।

वहीं कुछ लोगों का कहना है कि इस्लाम अरब से शुरू हुआ था और वहां पर खजूर आसानी से उपलब्ध फल था। ऐसे में रोजे में खजूर का इस्तेमाल शुरु किया गया। अरब में खजूर हर एक के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाता था। इसके साथ ही यह शरीर के लिए भी काफी गुणकारी है, ऐसे में रोजे में खजूर का सेवन करने की परंपरा शुरू हुई।