Ramayan Bali Vadh: रामायण का एक किरदार ऐसा भी था जिसका सामना करने की शक्ति रावण में भी नहीं थी। कहा जाता है कि बाली ने रावण को अपनी बगल में दबाकर कई महीनों तक समुद्र की परिक्रमा की थी। अंत में रावण को हार मानकर बाली से क्षमायाचना मांगनी पड़ी। तब जाकर बाली ने रावण को छोड़ा। वानर राज बालि किष्किंधा का राजा और सुग्रीव का बड़ा भाई था। बालि गदा और मल्ल युद्ध में पारंगत था। उसमें उड़ने की शक्ति थी। अत: धरती पर उसे सबसे शक्तिशाली माना जाता था।
बाली को अपने धर्मपिता इन्द्र से स्वर्ण का एक ऐसा हार प्राप्त हुआ था। जिसे ब्रह्मा ने मंत्रयुक्त करके यह वरदान दिया था कि इस हार को पहनकर जब भी बाली रणभूमि में दुश्मन का सामना करेगा तो उसके दुश्मन की आधी शक्ति क्षीण होकर बालि को ही प्राप्त हो जाएगी। इस कारण से बाली को जीत पाना लगभग असंभव था। बाली ने अपने भाई सुग्रीव को बलपुर्वक राज्य से निकालकर उसकी पत्नी को भी हड़प लिया था। ब्रह्मा द्वारा दिये गये वरदान के कारण सुग्रीव में बाली का सामना कर पाने की शक्ति नहीं थी। इसलिए सुग्रीव को श्रीराम का सहयोग लेना पड़ा।
हनुमानजी ने सुग्रीव को प्रभु श्रीराम से मिलाया। सुग्रीव ने भगवान को अपनी पीड़ा बताई और फिर श्रीराम ने बाली को पराजित करने की रणनीति बनाई। श्रीराम का साथ मिलने के कारण सुग्रीव बालि को युद्ध के लिए ललकारने पहुंच गया और दोनों भाईयों के बीच मल्ल युद्ध शुरू हुआ। रणनीति के अनुसार इस युद्ध के दौरान श्रीराम ने छुपकर बालि को तीर से बार दिया और इस तरह बाली की मृत्यु हुई।
पौराणिक मान्यताओं अनुसार विष्णु भगवान ने जिस तरह राम के रूप में अवतार लेकर बाली को छुपकर तीर मारा था उसी तरह कृष्ण अवतार में भगवान ने उसी बाली को जरा नामक बहेलिया बनाया और अपने लिए वैसी ही मृत्यु चुनी, जैसी कि भगवान ने बाली को दी थी। बाली ने जरा नामक बहेलिया के रूप में प्रभाव क्षेत्र में विषयुक्त तीर से श्रीकृष्ण को हिरण समझकर तब मारा जब वे एक पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे।