Ramayan: राम राज्य की बात भारत की राजनीति में चर्चा के केंद्र में आती रहती है, लेकिन सही मायने में नहीं| 21 अप्रैल को दूरदर्शन पर दिखाये गए धारावाहिक उत्तर रामायण के एपिसोड में राम राज्य की असली झलक दिखाई गई| राजा राम ने प्रजा से कर वसूली और जनता को इंसाफ दिये जाने के बारे में जो संवाद कहे, वे आज भी सौ प्रतिशत प्रासंगिक हैं और सही मायने में राम राज्य इन्हीं सिद्धांतों पर चल कर कायम किया जा सकता है|
कर वसूली पर राजा राम के विचार: प्रजा से कर लेना आवश्यक है लेकिन राजा को कर उसी अनुसार लेना चाहिए जैसे सूर्य धरती से जल सोखते हैं| जलाशयों और नदियों में जहां जल अधिक है वहां से अधिक जल और भूमि पर जहां जल थोड़ा हो वहां से कम जल सोखकर उससे मेघ बनाए जाते हैं और मेघ वही जल पृथ्वी पर वापस लौटाते हैं| परंतु भूमि पर बराबर बराबर वृष्टि करके|यही राजा का कर्तव्य है कि राज्य के कुछ प्रमुख व्यक्तियों से इक्ट्ठा किया गया कर प्रजा के हित के कामों में बराबर बाँट दे|
राजा राम ने यह संवाद अपने दरबार में तब कहे जब प्रजा के एक वर्ग में इस बात की आशंका व्याप्त थी कि राजा प्रजा से अधिक मात्रा में कर वसूली करेंगे|
वहीं, इस एपिसोड में रात में न्याय मांगने आई एक महिला को सुरक्षा प्रहरी द्वारा सुबह आने की बात कह कर लौटा दिये जाने पर क्षुब्ध राजा राम ने न्याय प्रणाली को लेकर भी एक गहरी बात कही|
न्याय व्यवस्था पर राजा राम ने जो कहा- यदि न्याय में देरी की जाए तो वो न्याय नहीं अन्याय हो जाता है और कभी कभी उसका परिणाम बहुत भयानक हो जाता है। यदि प्रजा का कोई भी व्यक्ति बेआराम जागता हो तो राजा को आराम से सोने का कोई अधिकार नहीं है |
21 अप्रैल की रात दिखाये गए एपिसोड को यहाँ देख सकते हैं। जिस बात का जिक्र हम कर रहे हैं वह संवाद 45 मिनट के बाद देख सकते हैं |