राम नवमी का त्योहार हिंदू धर्म के लोग बडे़ ही उत्साह के साथ मनाते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान राम (Lord Rama) का जन्म हुआ था। लेकिन इस बार ये त्योहार ऐसे समय में पड़ा है जब देश कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते लॉकडाउन कर दिया गया है। जिस कारण लोग मंदिरों में नहीं जा पायेंगे और ना ही घर पर पुरोहित को बुलाकर हवन करवा पाना संभव है। तो ऐसे में आपको खुद ही हवन करना होगा। कई लोग इस दिन कन्या पूजन भी करते हैं। जानिए घर पर खुद कैसे मनाएं राम नवमी, कैसे करें पूजा पाठ…
रामनवमी 2020 पूजा मुहूर्त (Ram Navami Puja Muhurat):
2 अप्रैल, गुरुवार सुबह 11:10 बजे से दोपहर 1:38 बजे तक
नवमी तिथि आरंभ – 03:39 (2 अप्रैल 2020)
नवमी तिथि समाप्त – 02:42 (3 अप्रैल 2020)
हवन सामग्री: आम की लकड़ी और आम का पल्लव। पीपल का तना और छाल, बेल, नीम, पलाश गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा ब्रह्मी, मुलैठी की जड़, कर्पूर, तिल, चावल, लौंग, गाय का घी, गुग्गल, लोबार, इलाइची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, पंचमेवा, सूखा नारियल और गोला और जौ। ये सब जरूरी चीजें आपको आसानी से उपलब्ध हो जायेंगी। क्योंकि सरकार ने जरूरी सामान की दुकानें खुली रहने की इजाजत दी है।
कैसे करें हवन: जिन जिन लोगों को हवन करना है वो लोग नहा धोकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके लिए सभी वस्तुओं को शहद और घी के साथ मिलाकर हवन सामग्री बना लें। फिर हवन कुंड को साफ स्थान पर स्थापित कर लें। अब आम की लकड़ी और कर्पूर से हवन कुंड में अग्नि को प्रज्जवलित कर लें। इसके बाद घी से ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः’ मंत्र से माता के नाम से आहुति दें फिर सभी देवी-देवताओं को 3 या 5 बार आहुति दें। इसके बाद संपूर्ण हवन सामग्री से 108 बार हवन करें। इस विधि से हवन करने के बाद माता की कपूर और घी के दीपक से आरती उतारें। माता रानी को खीर, हलवा, पूरे और चने का भोग लगाएं। इसके बाद घर में ही मौजूद कन्या को भोजन करवायें।
कैसे मनायी जाता है राम नवमी? रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की उपासना की जाती है। कई लोग इस दिन रामायण का पाठ कराते हैं। भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है। घर पर भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है। जिसके लिए श्रीराम की मूर्तियों को गंगा जल से स्नान कराया जाता है। उनकी मूर्ति को पालने में झुलाया जाता है। भक्त उनके स्मरण में रामरक्षा स्तोत्र का भी पाठ करते हैं। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं।
1. ॐ राम ॐ राम ॐ राम ।
2. ह्रीं राम ह्रीं राम ।
3. श्रीं राम श्रीं राम ।
4. क्लीं राम क्लीं राम।
5. फ़ट् राम फ़ट्।
श्री राम जय राम जय जय राम ।
श्री रामचन्द्राय नमः ।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।
- घर के मंदिर में राम दरबार की तस्वीर या मूर्ति की स्थापना कर उसमें गंगाजल छिड़कें.
- अब तस्वीर या मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाकर रखें.
- अब रामलला की मूर्ति को पालने में बैठाएं.
- अब रामलला को स्नान कराकर वस्त्र और पाला पहनाएं.
- इसके बाद रामलला को मौसमी फल, मेवे और मिठाई समर्पित करें. खीर का भोग लगाना अति उत्तम माना जाता है.
- अब रामलला को झूला झुलाएं.
- इसके बाद धूप-बत्ती से उनकी आरती उतारें.
- आरती के बाद रामायण और राम रक्षास्त्रोत का पाठ करें.
- अब नौ कन्याओं को घर में बुलाकर उनको भोजन कराएं. साथ ही यथाशक्ति उपहार और भेंट देकर विदा करें.
- इसके बाद घर के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटकर व्रत का पारण करें.
आज पूरे देश में राम नवमी का त्योहार मनाया जा रहा है। लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस बार राम मंदिरों में भक्त दर्शन के लिए नहीं जा पायेंगे। तो ऐसे में घर पर ही भगावन राम की विधिवत पूजा करनी होगी। राम नवमी इसलिए खास है क्योंकि इस दिन को भगवान राम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। खासतौर से भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में इस पर्व की खास रौनक देखने को मिलती है। राम नवमी के त्योहार को भगवान श्री राम के इन भजनों को सुनकर मना सकते हैं खास…
श्री राम जय राम जय जय राम ।
श्री रामचन्द्राय नमः ।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।
आज के अशुभ मुहूर्त (Today Ashubh Muhurat): राहुकाल- 01:34 पी एम से 03:06 पी एम, गुलिक काल- 08:57 ए एम से 10:29 ए एम, यमगण्ड- 05:52 ए एम से 07:24 ए एम, दुर्मुहूर्त -09:58 ए एम से 10:48 ए एम, दुर्मुहूर्त – 02:54 पी एम से 03:43 पी एम, वर्ज्य – 07:29 ए एम से 09:05 ए एम।
आज की राम नवमी इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह गुरुवार के दिन पड़ी है. गुरुवार का दिन भगवान विष्णु का दिन माना जाता है और इस दिन उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है. भगवान श्री राम विष्णु के ही अवतार हैं। इस दिन मां दुर्गा को भी विदाई दी जाती है. नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है. मां सिद्धिदात्री की पूर्ण भक्ति भाव के साथ पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार की सिद्धि प्रदान हो सकती है. इसी कारण देवी का नाम सिद्धिदात्री पड़ा है. मां सिद्धिदात्री सभी दुखों का नाश करती हैं. नवरात्रि के नौवें दिन इनकी पूजा करके नव ग्रहों को शांत किया जा सकता है.
सुबह 6 बजे से 07:30 बजे तक। शुभ
सुबह 10:30 बजे से 12 बजे तक चार
दिन में 12 बजे से 1:30 बजे तक लाभ
04:30 से 6:00 बजे शाम तक
गोस्वामी तुलसीदास ने महाकाव्य रामचरितमानस की रचना में अयोध्या में इसी शुभ मौके पर शुरू की थी। इसलिए अयोध्या नगरवासियों और रामभक्तों के लिए इस दिन का विशेष महत्व होता है। भारत ही नहीं विदेश में यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रामनवती के मुहूर्त को शुभ कार्यों के लिए बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन सभी मांगलिक कार्य बिना सोचे समझे कर सकते हैं। गृह प्रवेश, दुकान या व्यवसाय का मुहूर्त भी इस दिन लोग करवाते हैं।
हिंदू धर्म ग्रथों में भगवान राम और उनके तीनों भ्राताओं के जन्म को लेकर एक पौराणिक कथा बताई गई है। इसके अनुसार राजा दशरथ की तीनों रानियों कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी में से तीनों को जब पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई थी तो राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। प्रसाद में यज्ञ से निकली खीर को तीनों रानियों को खिला दिया गया। कुछ समय के पश्चात राजा दशरथ के घर में खुशखबरी सुनने को मिली यानी तीनों रानियों ने गर्भधारण किया। उसके बाद चैत्र शुक्ल नवमी के दिन कौशल्या माता ने राम, कैकयी ने भरत और सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। राजा दशरथ को अब उनके उत्तराधिकारी मिल चुके थे। तब से यह तिथि राम नवमी के रूप में मनाई जाती है।
अब आप नारियल के गोले में कलावा या फिर लाल कपड़ा बांध दें। उस पर पूरी, खीर, पान, सुपारी, लौंग, बतासा आदि स्थापित करके हवन कुंड में उसे बीचोबीच रख दें। इसके बाद बचे हुए हवन सामग्री को समेट कर पूर्ण आहुति मंत्र का उच्चारण करें- ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा। और उनको हवन कुंड में डाल दें।
ओम आग्नेय नम: स्वाहा
ओम गणेशाय नम: स्वाहा
ओम गौरियाय नम: स्वाहा
ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा
ओम दुर्गाय नम: स्वाहा
ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा
ओम हनुमते नम: स्वाहा
ओम भैरवाय नम: स्वाहा
ओम कुल देवताय नम: स्वाहा
ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा
ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा
ओम विष्णुवे नम: स्वाहा
ओम शिवाय नम: स्वाहा
ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा
स्वधा नमस्तुति स्वाहा।
ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा
ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।
ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।
रामनवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद पीले स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत करने का संकल्प करें। घर के पूजा स्थल में पूजा से जुड़ी सभी सामग्री लेकर बैठें। विष्णु अवतार होने के कारण भगवान राम की पूजा में तुलसी और कमल का फूल अनिवार्य माना जाता है। घर के पूजा स्थल में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर राम दरबार की तस्वीर या फिर मूर्ति स्थापित करें। पूजा आरंभ करने के लिए भगवान की प्रतिमा पर सबसे पहले गंगाजल से छीटें दें। तांबे का कलश चावल के ढेर पर रखें और उस पर चौमुखी दीया जलाकर रखें।
त्रेता युग में रावण का आतंक बहुत बढ़ गया था। सभी देवी-देवता और पृथ्वी वासी रावण की वजह से त्रस्त थे। उस समय अयोध्या के राजा दशरथ थे। राजा दशरथ के यहां कोई पुत्र नहीं था। तब उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ से खीर उत्पन्न हुई। इस खीर का सेवन दशरथ की तीनों रानियों कौशल्या, कैकयी और सुमित्रा ने किया। इसके प्रभाव से कौशल्या ने श्रीराम को, कैकयी ने भरत को, सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने रावण का अंत करने के लिए श्रीराम के रूप में अवतार लिया।
राम चंद्र जी और कृष्ण भगवान दोनों एक ही हैं। दोनों ने अलग-अलग युगों में मानव कल्याण के लिए मनुष्य रूप में जन्म लिया था। दोनों भगवान ने अपनी लीलाओं से जीवन के उद्देश्य को सार्थक करने और मानवता के उच्च मानदंडों - उच्च चरित्र, आत्म विकास और परोपकार को जीवन में उतारने के लिए संदेश दिया।
भगवान राम विश्व के स्वामी हैं। मर्यादा के रक्षक हैं। जगत पालक हैं। उनकी आराधना और पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। रामजी के भक्त हनुमान जी की पूजा करने से भी उतना ही फल मिलता है। राम जी को पूजा, हनुमान जी को पूजा, दोनों के फल बराबर मिलते हैं।
हर ओर है राम की ही गूंज
सब ओर चल रही वायु उन्हीं की
फिर चिंता में क्यों पड़े हुए हो
उनके मन में बातें हैं तुम्ही की
राम कहोगे तो आराम मिलेगा,
खाने को पकवान मिलेगा
रहने को पक्का मकान मिलेगा
जीवन में खूब सम्मान मिलेगा
राम न जाने हिन्दू क्या, राम न जाने मुस्लिम,
राम तो सुनते उन भक्तों की, जिनके कर्मों में धर्म है,
जिनकी वाणी में सत्य है, जिनके कथन से कोई दिल ना दुखे,
जिसके जीवन में पाप ना बसे, जो सदमार्ग पर चलता है,
राम तो बस उसी में मिलता हैं
गोस्वामी तुलसीदास ने अपने अमर काव्य रामचरितमानस की रचना भी इसी दिन अयोध्या में शुरू की थी। अयोध्या नगर और रामभक्तों के लिए तो यह पर्व काफी महत्वपूर्ण है ही और इस पर्व को देश ही नहीं विदेशों में भी हिंदुओं के बीच खुशी-खुशी मनाया जाता है।
पौराणिक ग्रंथों में जो कथाएं हैं उनके अनुसार भगवान राम त्रेता युग में अवतरित हुए। उनके जन्म का एकमात्र उद्देश्य मानव मात्र का कल्याण करना, मानव समाज के लिए एक आदर्श पुरुष की मिसाल पेश करना और अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करना था। यहां धर्म का अर्थ किसी विशेष धर्म के लिए नहीं बल्कि एक आदर्श कल्याणकारी समाज की स्थापना से है।
भगवान श्री राम का जन्मोत्सव देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री राम की भक्ति में डूबकर भजन कीर्तन किये जाते हैं। श्री रामकथा सुनी जाती है। रामचरित मानस का पाठ करवाया जाता है। श्री राम स्त्रोत का पाठ किया जाता है।
भगवान श्री राम को मर्यादा का प्रतीक माना जाता है। उन्हें पुरुषोत्तम यानि श्रेष्ठ पुरुष की संज्ञा दी जाती है। वे स्त्री पुरुष में भेद नहीं करते। अनेक उदाहरण हैं जहां वे अपनी पत्नी सीता के प्रति समर्पित व उनका सम्मान करते नज़र आते हैं। वे समाज में व्याप्त ऊंच नीच को भी नहीं मानते। शबरी के झूठे बेर खाने का उदाहरण इसे समझने के लिये सर्वोत्तम है।
राम नवमी 2020- 2 अप्रैल
राम नवमी पूजा मुहूर्त – 11:10 से 13:38
नवमी तिथि आरंभ – 03:39 (2 अप्रैल 2020)
नवमी तिथि समाप्त – 02:42 (3 अप्रैल 2020)
'कवन सो काज कठिन जग माही।
राम जी के इस दोहे के जाप से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
श्री रामचन्द्र कृपालु भज मन हरण भवभय दारुणम्।
नवकंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्।
"ॐ नमो भगवते रामचंद्राय" - भगवान राम के इस मंत्र के जाप से सारी विपत्तियां दूर होने लगती है और जीवन में आनंद की अनुभूति होने लगती है।
"राम"- भगवान राम का नाम सबसे बड़ा और अचूक मंत्र है। राम नाम का जाप करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इस मंत्र की सबसे खास बात यह है कि आप इसका जाप कहीं पर भी और कभी भी कर सकते हैं। राम नाम का जाप सभी मंत्रों में श्रेष्ठ है।
ऐसी मान्यता है कि रामनवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन घरों में विशेष पूजा पाठ और हवन किया जाता है। इस दिन चैत्र नवरात्रि भी समाप्त होते हैं और मां दुर्गा को विदाई दी जाती है। नवरात्र का पारण दशमी तिथि 2 अप्रैल को किया जाएगा। नवमी का व्रत एवं हवन गुरुवार 02 अप्रैल को किया जाएगा। गुरुवार को नवमी तिथि को मध्याह्न बेला में श्रीराम चन्द्र जी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
दोपहर 12 बजे घर में घंटे-घड़ियाल से आरती और शाम को छत पर दीपदान करें। घर में मौजूदा सामान से पूजा करें, नहीं है तो भगवान श्री राम के नाम का जाप कर लें।
रामनवमी पर सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी की प्रतिमाओं को रोली का तिलक करें, फिर चावल, फूल, घंटी और शंख भगवान श्री राम को अर्पित करने के बाद भगवान श्रीराम की विधिवत पूजा करें। श्रीराम के मंत्रों का जाप करें, रामायण पढ़ें और रामचरितमानस का भी पाठ करें। अंत में सभी की आरती उतारें। इस दिन भगवान श्रीराम को झूला अवश्य झुलाएं और किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को गेहूं और बाजरा अवश्य दान में दें।
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- अब भगवान राम का नाम लेते हुए व्रत का संकल्प लें.
- अब घर के मंदिर में राम दरबार की तस्वीर या मूर्ति की स्थापना कर उसमें गंगाजल छिड़कें.
- अब तस्वीर या मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाकर रखें.
- अब रामलला की मूर्ति को पालने में बैठाएं.
- अब रामलला को स्नान कराकर वस्त्र और पाला पहनाएं.
- इसके बाद रामलला को मौसमी फल, मेवे और मिठाई समर्पित करें. खीर का भोग लगाना अति उत्तम माना जाता है.
- अब रामलला को झूला झुलाएं.
- इसके बाद धूप-बत्ती से उनकी आरती उतारें.
- आरती के बाद रामायण और राम रक्षास्त्रोत का पाठ करें.
- अब नौ कन्याओं को घर में बुलाकर उनको भोजन कराएं. साथ ही यथाशक्ति उपहार और भेंट देकर विदा करें.
- इसके बाद घर के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटकर व्रत का पारण करें.
हिन्दू धर्म में राम नवमी का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजा दशरथ की पहली पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान राम के रूप में मनुष्य जन्म लिया था. हिन्दू मान्यताओं में भगवान राम को सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है. कहा जाता है कि श्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने जिस राम चरित मानस की रचना की थी, उसका आरंभ भी उन्होंने इसी दिन से किया था.
2 अप्रैल
राम नवमी पूजा मुहूर्त – 11:10 से 13:38
नवमी तिथि आरंभ – 03:39 (2 अप्रैल 2020)
नवमी तिथि समाप्त – 02:42 (3 अप्रैल 2020)
चैत्र माह के नौवें दिन राम नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन का हिंदू धर्म के लोगों के लिए विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। रामनवमी के दिन मां दुर्गा और श्री राम और मां सीता का पूजन किया जाता है। इस दिन देवी मां के 9वें स्वरूप सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। राम नवमी की कथा
सफलता पाने के लिए श्री राम के इन मंत्रो का जाप करना चाहिए:
ॐ राम ॐ राम ॐ राम ।
ह्रीं राम ह्रीं राम ।
श्रीं राम श्रीं राम ।
रामाय नमः ।
रां रामाय नमः
सौभाग्य और सुख की प्राप्ति के लिए श्री राम के मंत्र:
श्री राम जय राम जय जय राम ।
श्री रामचन्द्राय नमः ।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।
*नवमी के दिन प्रातः जल्दी उठें।
*इसके पश्चात स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहने।
*तत्पश्चात् व्रती अब पूजा स्थल पर पूजा की सामग्री के साथ बैठें।
*व्रती पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य रखें।
*उसके बाद भगवान् श्रीराम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
*खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
*पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाएं।
अयोध्या के महाराजा दशरथ की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने की योजना बनाई। यज्ञ प्रारंभ के समय उन्होंने अपनी चतुरंगिनी सेना के साथ श्यामकर्ण नामक घोड़ा छोड़ दिया। अब उनका यज्ञ प्रारंभ हुआ। उनके यज्ञ में सभी ऋषि-मुनि, तपस्वी, विद्वान, राजा-महाराजा, मित्र और उनके गुरु वशिष्ठ जी भी शामिल हुए। सभी लोगों की उपस्थिति में यज्ञ प्रारंभ हो गया। मंत्रोच्चार से चारों दिशाएं गूंज उठीं और यज्ञ की आहुति से महकने लगीं। यज्ञ के लिए विशेष खीर बनाया गया। यज्ञ के समापन के समय महाराज दशरथ ने अपने सभी अतिथियों, ऋषि-मुनियों, ब्राह्मणों आदि को दान देकर सकुशल विदा किया। यज्ञ के समापन के बाद दशरथ जी ने यज्ञ के समय बने खीर को अपनी तीनों रानियों को प्रसाद सवरूप खिलाया। उसके प्रभाव से उनकी तीनों रानियां गर्भवती हो गईं। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने एक शिशु को जन्म दिया। वह शिशु बेहद आकर्षक, तेजस्वी और नील वर्ण वाला था। वह और कोई नहीं, साक्षात् श्रीहरि विष्णु के स्वरुप राम थे।
इस दिन लोग भजन कीर्तन करते हैं। राम जी के जन्म की कथा सुनी जाती है। रामचरित मानस का पाठ करवाया जाता है। कई जगह राम स्त्रोत का पाठ भी किया जाता है। श्री राम जी की प्रतिमा को झूला भी झुलाया जाता है। इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं। माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने से सुख समृद्धि आती है।