Raksha Bandhan 2021 Date, Puja Vidhi, Muhurat, Timings: भाई-बहन के खूबसूरत रिश्ते को समर्पित त्योहार रक्षाबंधन इस बार 22 अगस्त, रविवार को मनाया जायेगा। ये त्योहार हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं ( जिसे हम राखी कहते हैं) और उनके सुखी जीवन की कामना करती हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक सबसे पहले देवी लक्ष्मी ने राजा बली को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया था। जानिए कैसे मनाते हैं राखी का त्योहार और क्या रहेगा इसका शुभ मुहूर्त…
रक्षाबंधन पूजा विधि:
-राखी वाले दिन सबसे पहले सुबह स्नान कर पवित्र हो जाएं और देवताओं को प्रणाम करें। इसके बाद अपने कुल के देवी-देवताओं की पूजा करें।
-फिर एक थाली लें, आप चाहें तो चांदी, पीतल, तांबा या फिर स्टील की थाली भी ले सकते हैं। अब इस थाली में राखी, अक्षत और रोली रखें।
-सबसे पहले राखी की थाल को पूजा स्थान पर रखें और पहली राखी बाल गोपाल या फिर अपने ईष्ट देवता का चढ़ाएं।
राखी बांधने की विधि:
-अब राखी बांधने की प्रक्रिया शुरू करें। इसके लिए भाई को पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बिठाएं।
-ध्यान रखें राखी बांधते समय भाई के सिर पर एक रुमाल जरूर होना चाहिए।
-फिर बहन अपने भाई के माथे पर टीका लगाएं और उस कुछ अक्षत लगाएं।
-कुछ अक्षत भाई के ऊपर आशीर्वाद के रूप में छींटें।
-फिर दीया जलाकर भाई की आरती उतारें। मान्यता है कि ऐसा करने से बहन अपने भाई को बुरी नजरों से बचाती हैं।
-इसके बाद बहन भाई की दायीं कलाई पर राखी बांधते हुए इस मंत्र को बोलें। ‘ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।’
-अब भाई-बहन एक दूसरे का मुंह मीठा करें।
-अगर बहन बड़ी है तो भाई उसके चरण स्पर्श करे और अगर बहन छोटी है तो वो भाई के पैर छुए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करे।
-अंत में भाई बहन को कुछ न कुछ उपहार देने की परंपरा निभाते हैं। (यह भी पढ़ें- कैसे पहचाने पुखराज असली है या नकली? ये रत्न किन राशियों के लिए है लाभकारी)
राखी बांधने का मुहूर्त:
राखी बांधने का समय – सुबह 06:15 से शाम 05:31 बजे तक
राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त – दोपहर 01:42 से शाम 04:18 बजे तक
राखी वाले दिन भद्रा अंत का समय – 06:15 AM
अनोखा भी है, निराला भी है,
तकरार भी है, प्यारा भी है,
अच्छी यादों का पिटारा भी है,
ऐसे ही राखी का रिश्ता संवारा है...
बहन ने भाई को बांधा है प्यार,
कच्चा है धागा पर रिश्ते है पक्के,
यही होते है भाई-बहन के रिश्ते सच्चे...
राखी बांधने की विधि:-अब राखी बांधने की प्रक्रिया शुरू करें। इसके लिए भाई को पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बिठाएं।-ध्यान रखें राखी बांधते समय भाई के सिर पर एक रुमाल जरूर होना चाहिए।-फिर बहन अपने भाई के माथे पर टीका लगाएं और उस कुछ अक्षत लगाएं।-कुछ अक्षत भाई के ऊपर आशीर्वाद के रूप में छींटें।-फिर दीया जलाकर भाई की आरती उतारें। मान्यता है कि ऐसा करने से बहन अपने भाई को बुरी नजरों से बचाती हैं।-इसके बाद बहन भाई की दायीं कलाई पर राखी बांधते हुए इस मंत्र को बोलें। 'ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।'-अब भाई-बहन एक दूसरे का मुंह मीठा करें।-अगर बहन बड़ी है तो भाई उसके चरण स्पर्श करे और अगर बहन छोटी है तो वो भाई के पैर छुए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करे।-अंत में भाई बहन को कुछ न कुछ उपहार देने की परंपरा निभाते हैं।
न मांगे वो धन और दौलत, ना मांगे उपहार,
चाहत बहन की इतनी कि बस बना रहे ये प्यार,
गम ना कोई पास में आए खुशियां मिले हजार,
ऐसा ही संदेश है लाता राखी का ये त्योहार,
ऐसा ही संदेश है लाता राखी का ये त्योहार।
भाई-बहन के अटूट प्रेम को परिभाषित करता ये त्योहार सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई की आरती करती हैं और भैया जीवन भर के लिए बहनों की रक्षा का वचन देते हैं।
चेहरे पर तुम्हारे चांद सा नूर हो,
सदा हर गम हर मुश्किल तुमसे दूर हो,
कामयाबी सदा तुम्हारे कदम चूमे,
जीवन में हम ना कभी एक दूसरे से दूर हो,
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं!
एक कथा के अनुसार जब भगवान कृष्ण ने राजा शिशुपाल का वध किया था, तब उनकी उंगली से खून बहने लगा था। कृष्ण जी के हाथ से खून बहता देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर उनकी उंगली में बांध दिया। कहा जाता है कि यहीं से भगवान कृष्ण ने द्रोपदी को अपनी बहन मान लिया था। भगवान कृष्ण ने भी अपनी बहन की रक्षा के वादे को निभाते हुए चीर हरण के दौरान द्रौपदी की रक्षा की थी।
धार्मिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन के पावन पर्व को मनाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी। सबसे पहले माता लक्ष्मी ने ही अपने भाई को राखी बांधी थी।
राखी बांधते समय बहनें सबसे पहले भाइयों को तिलक लगाती हैं. ऐसे में तिलक लगाने के लिए रोली का होना अति आवश्यक है. रोली के स्थान पर हल्दी पाउडर से भी तिलक लगाया जा सकता है. रक्षाबंधन के दिन पूजा थाली में रोली को जरूर रखें
सावन की पूर्णिमा को विशेष माना गया है. इस दिन पितरों आदि का तर्पण भी किया जाता है. पिंडदान और श्राद्ध के लिए पूर्णिमा की तिथि को शुभ माना गया है. इस दिन दान का भी विशेष महत्व बताया गया है.
'ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।'
इस साल रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा. बहनें सूर्योदय के बाद कभी भी अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं. लेकिन इससे पहले बहनों को चहिये कि वे राखी को भगवान को अर्पित करें. हिंदू धर्म शास्त्र के मुताबिक, सबसे पहले देवताओं को राखी बांधकर उनको भोग लगाना चाहिए. तत्पश्चात भाइयों को राखी बांधें.
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, रक्षा बंधन का त्योहार राजयोग भी लेकर आएगा। इस दिन गुरु और चंद्रमा के एक ही राशि में विराजमान होने से गजकेसरी योग बन रहा है। मान्यता है कि गजकेसरी योग में व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दौरान जातक को धन, मकान और वैभव की प्राप्ति होती है।
-अब राखी बांधने की प्रक्रिया शुरू करें। इसके लिए भाई को पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बिठाएं।
-ध्यान रखें राखी बांधते समय भाई के सिर पर एक रुमाल जरूर होना चाहिए।
-फिर बहन अपने भाई के माथे पर टीका लगाएं और उस कुछ अक्षत लगाएं।
-कुछ अक्षत भाई के ऊपर आशीर्वाद के रूप में छींटें।
-फिर दीया जलाकर भाई की आरती उतारें। मान्यता है कि ऐसा करने से बहन अपने भाई को बुरी नजरों से बचाती हैं।
-इसके बाद बहन भाई की दायीं कलाई पर राखी बांधते हुए इस मंत्र को बोलें। 'ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।'
-अब भाई-बहन एक दूसरे का मुंह मीठा करें।
-अगर बहन बड़ी है तो भाई उसके चरण स्पर्श करे और अगर बहन छोटी है तो वो भाई के पैर छुए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करे।
-अंत में भाई बहन को कुछ न कुछ उपहार देने की परंपरा निभाते हैं।
-राखी वाले दिन सबसे पहले सुबह स्नान कर पवित्र हो जाएं और देवताओं को प्रणाम करें। इसके बाद अपने कुल के देवी-देवताओं की पूजा करें।-फिर एक थाली लें, आप चाहें तो चांदी, पीतल, तांबा या फिर स्टील की थाली भी ले सकते हैं। फिर इस थाली में राखी, अक्षत और रोली रखें।-सबसे पहले राखी की थाल को पूजा स्थान पर रखें और पहली राखी बाल गोपाल या फिर अपने ईष्ट देवता का चढ़ाएं।
रक्षाबंधन के पावन पर्व पर बहने भाइयों की लंबी और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं और भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं। इस साल रक्षाबंधन पर गजकेसरी योग बन रहा है। शोभन योग भी है और धनिष्ठा नक्षत्र भी। यह सभी राखी पर सुंदर योग बना रहे हैं। इस बार भद्रा का भी साया नहीं है।
रक्षा बंधन का त्योहार 22 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा। राखी का त्योहार श्रवण नक्षत्र में मनाया जाता है। लेकिन इस साल धनिष्ठा नक्षत्र में मनाया जाएगा। शोभन योग बनने से भी इस त्योहार का महत्व बढ़ रहा है। इस साल रक्षा बंधन के दिन कुंभ राशि में गुरु वक्री चाल चलेंगे और यही पर चंद्रमा भी विराजमान रहेगा।
ओस की बूंदों से भी प्यारी है मेरी बहना,
गुलाब की पंखुड़ियों से भी नाज़ुक है मेरी बहना,
आसमां से उतारी कोई राजकुमारी है मेरी बहना,
सच कहूँ तो मेरी आँखों की राजदुलारी है, मेरी बहना।
बहन का प्यार किसी दुआ से कम नही होता,
दूर रहकर भी, भाई-बहन का प्यार कम नही होता।
राखी की ढेर सारी शुभ कामनाएँ
याद हैं हमे हमारा वो बचपन, वो लड़ना, वो झगड़ना और वो मना लेना, यही होता है भाई-बहन का प्यार और इस प्यार को बढ़ाने आ रहा हैं रक्षाबंधन का त्यौहार, रक्षा बंधन की हार्दिक बधाई।
बहनों को भाइयों का साथ मुबारक हो, भाइयों की कलाइयों को बहनों का प्यार मुबारक हो, रहे ये सुख हमेशा आपकी जिन्दगीं में, आप सबको राखी का पावन त्यौहार मुबारक हो. रक्षा बंधन मुबारक हो
खुदा करे तुझे खुशियाँ हजार मिलें,जीवन तुझे खुशहाल मिले,रहे हर जन्म साथ अपना और तू ही हर जन्म मुझे भाई मिलें।
अनोखा भी है, निराला भी है, तकरार भी है तो प्रेम भी है, बचपन की यादों का पिटारा है, भाई बहन का यही प्यारा रिश्ता है।
Happy Raksha Bandhan
रक्षा बंधन का त्योहार
लाया खुशियों का बहार
हर ओर बहेगा अपना प्यार
घर-घर दिखेगा प्रेम का त्योहार
रक्षाबंधन के दिन राखी बंधवाने के बाद भाई अपनी बहन को कोई गिफ्ट देते हैं।
भाई की खुशियों की खातिर मांगे बहन दुआएं,
दुख की घडियां भाई के जीवन में कभी न आएं,
बांध रही है राखी बहना, माथे चंदन तिलक लगाए।
रक्षाबंधन के पावन दिन बहन अपने भाई के हाथ में राखी बांधती है और भाई भी हमेशा अपनी बहन की रक्षा करने का वादा करता है।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार सबसे पहले देवी लक्ष्मी ने राजा बली को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया था।
राखी बांधने का समय - सुबह 06:15 से शाम 05:31 बजे तकराखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त - दोपहर 01:42 से शाम 04:18 बजे तकराखी वाले दिन भद्रा अंत का समय - 06:15 AM
धार्मिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन के पावन पर्व को मनाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी। सबसे पहले माता लक्ष्मी ने ही अपने भाई को राखी बांधी थी।