Pukhraj Stone: ज्योतिष शास्त्र अनुसार गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है। गुरु ग्रह ज्ञान, धन, मान-सम्मान प्रदान करने वाला ग्रह माना जाता है। गुरु के कमजोर होने से जीवन में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए कई ज्योतिषी ऐसे में पुखराज पहनने का सुझाव देते हैं। पुखराज काफी कीमती रत्न होता है इसलिए इसे खरीदते समय ठगे जाने की संभावना भी अधिक रहती है। ऐसे में जानिए असली पुखराज की कैसे करें पहचान और किन्हें ये करता है सूट…
पुखराज के ये हैं फायदे: मान्यता है कि पुखराज रत्न धारण करने से व्यापार में वृद्धि होती है। इसे पहनने से शिक्षा संबंधित क्षेत्रों में भी उन्नति मिलने की संभावना रहती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले वैवाहिक जातकों के लिए भी ये रत्न लाभकारी माना जाता है। ऐसी मान्यता है पुखराज व्यक्ति के धन-वैभव में वृद्धि करता है।
असली पुखराज की कैसे करें पहचान:
-असली पुखराज की पहचान करने के लिए शीशे के गिलास में गाय का दूध डालें। अगर पुखराज असली है तो 1 से डेढ़ घंटे के अंदर पुखराज की किरणें दूध के ऊपर छिटकती हुई दिखने लगेंगी।
-दूसरा तरीका ये है कि पुखराज को हथेली पर रखें और इसे हल्का से हिलाकर देखें। अगर पुखराज असली है तो आपको हाथ में कुछ भारीपन सा महसूस होगा। सिर्फ भारी ही नहीं बल्कि पुखराज बाकी रत्नों के मुकाबले गर्म भी होता है। अगर पुखराज असली है तो हथेली पर रखने के कुछ देर बाद आपको हाथ में कुछ गर्मी महसूस होगी।
-असली पुखराज की पहचान करना का एक उपाय ये है कि इसे 1 सफेद कपड़े पर सूरज की किरणों के विपरीत रखें। अगर कुछ देर बाद रुमाल के पीछे गहरे पीले रंग की रौशनी दिखाई देती है तो इसका मतलब पुखराज असली है। अगर पुखराज नकली है तो ये रौशनी काफी हल्की दिखेगी या फिर बिल्कुल भी नहीं दिखाई देगी।
-असली पुखराज बहुत चिकना, चमकदार, पानीदार, पारदर्शी और अच्छे पीले रंग का होता है। असली पुखराज इतना हार्ड और कठोर होता है कि इसपर स्क्रैच तक नहीं पड़ते। (यह भी पढ़ें- इन सात राशि वालों पर सात साल तक नहीं रहेगी शनि साढ़े साती, जानें आपकी राशि भी है इसमें शामिल?)
पुखराज धारण करने की विधि:
-पुखराज रत्न को सोने की अंगूठी में जड़वाकर शुक्लपक्ष के गुरुवार को स्नान-ध्यान के बाद दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में धारण किया जाता है। लेकिन अंगूठी बनवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसमें पुखराज इस प्रकार से जड़वाएँ की रत्न का निचला सिरा खुला रहे जिससे रत्न आपकी उंगली से स्पर्श भी करता रहे। कम से कम चार कैरट यानी चार रत्ती के वजन का पुखराज जरूर होना चाहिए।
-अंगूठी पहनने से पहले इसे गंगाजल से, फिर कच्चे दूध से तथा फिर से गंगाजल से धोकर बृहस्पति के मंत्र ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः का जाप करते हुए धारण करें। ध्यान रखें की अंगूठी धारण करने के बाद ब्राह्मण को कुछ न कुछ दान अवश्य करें। (यह भी पढ़ें- ज्योतिष शास्त्र: इस राशि वाले खूब कमाते हैं पैसा, पर होता है खर्चीला स्वभाव, इस क्षेत्र में पाते हैं सफलता)

