महर्षि वाल्मीकि भारतीय महाकाव्य रामायण का रचयिता हैं। माना जाता है कि संस्कृत के पहले श्लोक की रचना महर्षि वाल्मीकि ने ही की थी। महर्षी वाल्मीकि के काव्य रचना की प्रेरणा के बारे में उन्होंने खुद लिखा है। हुआ यूं कि एक बार महर्षि क्रौंच पक्षी के मैथुनररत जोड़े को निहार रहे थे। वो जोड़ा प्रेम में लीन था तभी उनमें से एक पक्षी को किसी बहेलिये का तीर आकर लग गया और उसकी वहीं मृत्यु हो गई। ये देख महर्षि बहुत ही दुखी और क्रोधित हुए। इस पीड़ा में महर्षि के मुख से एक श्लोक फूटा जिसे संस्कृत का पहला श्लोक माना जाता है। वाल्मीकि जी एक महान आदि कवि थे इसलिए वाल्मीकि जयंती को प्रगट दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। वो श्लोक नीचे यूं है-
मां निषाद प्रतिष्ठां त्वगम: शाश्वती: समा: । यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधी: काममोहितम् ।।
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रची रामायण वाल्मीकि रामायण कही जाती है। रामायण एक महाकाव्य है जो कि भगवान श्रीराम के जीवन के माध्यम से हमें जीवन के सत्य से, कर्तव्य से, परिचित करवाता है। वाल्मीकि रामायण में भगवान राम को एक साधारण मनुष्य के रुप में दिखाया गया है। एक ऐसा मनुष्य जिन्होनें संपूर्ण मानव जाति के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत किया था। रामायण प्राचीन भारत और हिंदुओं का पवित्र और महत्वपूर्ण ग्रंथ है।