Padmini Ekadashi 2020/ Adhik Maas Ekadashi Vrat 2020 : अधिक मास 2020 में 18 सितंबर, शुक्रवार से शुरू हो चुका है। यह मास 16 अक्तूबर, शुक्रवार तक रहेगा। इसी बीच में अधिक मास की एकादशी यानी पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। यह व्रत 27 सितंबर, रविवार को किया जाएगा।
अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पद्मिनी एकादशी है। इसे कमला एकादशी भी कहा जाता है। कहते हैं कि इस व्रत से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हो जाते हैं। इस व्रत को मनोरथ पूर्ति के लिए शुभ माना जाता है।
पद्मिनी एकादशी का महत्व (Padmini Ekadashi Ka Mahatva/ Padmini Ekadashi Importance)
पद्मिनी एकादशी के व्रत को बहुत प्रभावशाली माना जाता है। क्योंकि यह व्रत अधिक मास में किया जाता है इसलिए इससे मिलने वाला फल भी अधिक होता है। अधिक मास भगवान विष्णु की आराधना का महीना है और एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अति प्रिय है। मान्यता है कि जो लोग भी भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें पद्मिनी एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए।
पद्मिनी एकादशी की पौराणिक कथा में इस व्रत का प्रभाव बताया गया है। कहते हैं कि त्रेता युग में राजा कीतृवीर्य एक हजार रानियां थी। लेकिन किसी एक की भी संतान नहीं था। राजा बहुत दुखी रहा करता था। संतान प्राप्ति के लिए इतने कठोर तब भी किया लेकिन कोई फल नहीं मिला। उसके बाद माता अनुसूया के कहने पर अपनी रानी के साथ मिलकर पद्मिनी एकादशी का व्रत किया और भगवान विष्णु से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा। कुछ ही समय बाद उसकी इच्छा पूरी हुई और उसे पुत्र की प्राप्ति हुई।
पद्मिनी एकादशी व्रत विधि (Padmini Ekadashi Vrat Vidhi)
एकादशी का व्रत दशमी तिथि से शुरू हो जाता है। इसलिए दशमी को सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं किया जाता है।
एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि कर पवित्र हो जाएं।
एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर स्वास्तिक बनाएं। फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा या फोटो उस पर विराजित करें।
दीपक जलाकर भगवान विष्णु को फूलों का हार पहनाएं। साथ ही तुलसी का पत्ता भी अर्पित करें।
भगवान विष्णु का चालीसा, स्तुति, स्तोत्र और मंत्रों का जाप करें। फिर आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
पूरा दिन व्रत रखकर अगले दिन सुबह व्रत का पारण करें। एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन ही किया जाता है। इसलिए द्वादशी के पहले पहर में भोजन करना न भूलें। क्योंकि ऐसा करने से व्रत के फल की प्राप्ति नहीं होती है।