धनतेरस पर महालक्ष्मी के सचिव कुबेर की पूजा होती है। तो दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है गोवर्धन का पर्व। इस दिन लोग गौमाता के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए उनकी पूजा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार गाय माता को देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है। गोवर्धन के अगले दिन भाईदूज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की खुशहाली के लिए कामना करते हुए उनके माथे पर चंदन का तिलक लगाती हैं। इसी के साथ अक्टूबर महीने के अंत में छठ का महापर्व भी शुरू हो जायेगा। जानिए धनेरस से लेकर छठ तक के सभी त्योहार और उसका महत्व…

धनतेरस – इसे गोवत्स द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। जो इस बार 25 अक्टूबर दिन शुक्रवार को है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान धन्वन्तरि अपने हाथो में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए ही इस दिन बर्तन खरीदना या सोने-चांदी की खरीदारी करना शुभ माना जाता है।

धनतेरस पूजा मुहूर्त – 07:08 पी एम से 07:52 पी एम

छोटी दिवाली, नरक चतुर्दशी, हनुमान जयंती – दिवाली के एक दिन पहले पड़ती है नरक चतुर्दशी जिसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी इस बार 26 अक्टूबर, शनिवार को है। इस दिन लोग अपने घरों के बाहर यम के नाम का दीपक जलाते हैं। मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु टल जाती है। इस दिन हनुमान जयंती भी पड़ रही है।

यम दीपम सायान्ह सन्ध्या – 05:18 पी एम से 06:35 पी एम (छोटी दिवाली पर यम दीपक जलाने का समय)

दीपावली – रोशनी का त्योहार दिवाली 27 अक्टूबर को मनाया जायेगा। कार्तिक मास की अमावस्या के दिन इस पर्व को मनाया जाता है। इसे दीपों का पर्व भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं अनुसार इस दिन भगवान राम ने रावण का वध करके अयोध्या वापसी की थी। उनके आने की खुशी में अयोध्या के वासियों ने दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसे सुख समृद्धि का त्योहार भी कहा जाता है।

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 06:25 पी एम से 07:51 पी एम

गोवर्धन पूजा – 28 अक्टूबर को ये पर्व मनाया जायेगा। गोवर्धन पूजा कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। कई जगह इस पर्व को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रतीक स्वरूप गाय की पूजा की जाती है। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। जैसे दिवाली के दिन माता की पूजा करने से सुख समृद्धि की कामना की जाती है उसी तरह गोवर्धन पर गाय की पूजा करके स्वास्थ्य रूपी धन की प्राप्ति होती है।

गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त – 03:02 पी एम से 05:16 पी एम

भाई दूज – कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ये पर्व मनाया जाता है। इस बार ये भाईदूज 29 अक्टूबर को है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर घी का तिलक लगाती हैं। और उनकी सुख समृद्धि की कामना करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन यमराज बहनों द्वारा मांगी गई मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

भाई दूज अपराह्न समय – 12:48 पी एम से 03:02 पी एम

छठ पर्व आरंभ – अक्टूबर महीने के अंत यानी 31 अक्टूबर से छठ पर्व शुरू हो जायेगा। यह पर्व वैसे तो कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है लेकिन इसकी शुरुआत चतुर्थी तिथि से हो जाती है। ये व्रत चार दिन तक किया जाता है। व्रत के पहले दिन नहाय खाय होता है।