Festivals In November 2019 India: साल 2019 में नवंबर का महीना छठ पर्व से प्रारंभ हो रहा है। ये पर्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत देश के कई इलाकों में मनाया जाता है। नवंबर में छठ पूजा के अलावा तुलसी विवाह, देव उठनी एकादशी, गुरु नानक जयन्ती, लाभ पंचमी, शनि त्रयोदशी, बैकुंठ चतुर्दशी, ईद-ए-मिलाद, देव दीवाली आदि त्योहार मनाए जाएंगे। इसी के साथ अक्षय नवमी, शनि त्रयोदशी, मणिकर्णिका स्नान, पुष्कर स्नान, जवाहरलाल नेहरू जयन्ती, उत्पन्ना एकादशी, कार्तिक चौमासी चौदस भी इसी महीने में पड़ रहे हैं। जानिए नवंबर माह के सभी त्योहारों की तिथि यहां…
छठ पूजा की विधि, महत्व, कथा और गाने देखें यहां
नवंबर महीने के त्योहार-व्रत (November 2019 Festival Calendar) :
1 नवंबर, शुक्रवार – लाभ पंचमी
2 नवंबर, शनिवार – छठ पूजा (सूर्यास्त अर्घ्य), स्कन्द षष्ठी, सूर सम्हारम
3 नवंबर, रविवार – छठ पूजा संपन्न (उगते हुए सूर्य को अर्घ्य), भानु सप्तमी, अष्टाह्निका विधान प्रारम्भ, जलाराम बापा जयन्ती
4 नवंबर, सोमवार – गोपाष्टमी, मासिक दुर्गाष्टमी
5 नवम्बर, मंगलवार – अक्षय नवमी, जगद्धात्री पूजा
7 नवंबर, गुरुवार – कंस वध (भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया था।)
8 नवंबर, शुक्रवार – देव उठनी ग्यारस
(एकादशी) पर्व, भीष्म पञ्चक का प्रारम्भ, योगेश्वर द्वादशी तिथि, नामदेव जयंती
9 नवंबर, शनिवार – तुलसी विवाह, प्रदोष व्रत, शनि त्रयोदशी, कालिदास जयंती
10 नवंबर, रविवार – बैकुण्ठ चतुर्दशी, विश्वेश्वर व्रत, मीलाद उन-नबी, ईद-ए-मिलाद
11 नवंबर, सोमवार – मणिकर्णिका स्नान, कार्तिक चौमासी चौदस
12 नवंबर, मंगलवार – देव दीवाली, कार्तिक पूर्णिमा, गुरु नानक जयन्ती, भीष्म पञ्चक समाप्त, कार्तिक रथ यात्रा, पुष्कर स्नान, अन्वाधान, कार्तिक अष्टाहिन्का विधान पूर्ण
13 नवंबर, बुधवार – मार्गशीर्ष मास प्रारम्भ (उत्तर), मासिक कार्तिगाई, इष्टि
14 नवंबर, गुरुवार – जवाहरलाल नेहरू जयन्ती, बाल दिवस, रोहिणी व्रत
15 नवंबर, शुक्रवार – मासिक संकष्टी चतुर्थी
17 नवंबर, रविवार – वृश्चिक संक्रान्ति, मण्डला पूजा प्रारम्भ
19 नवंबर, मंगलवार – कालाष्टमी, कालभैरव जयन्ती
22 नवंबर, शुक्रवार – उत्पन्ना एकादशी<br />23 नवंबर, शनिवार – गौण उत्पन्ना एकादशी, वैष्णव उत्पन्ना एकादशी
24 नवंबर, रविवार – प्रदोष व्रत
25 नवंबर, सोमवार – मासिक शिवरात्रि<br />26 नवंबर, मंगलवार – मार्गशीर्ष अमावस्या, दर्श अमावस्या, अन्वाधान
27 नवंबर, बुधवार – चन्द्र दर्शन, इष्टि
30 नवम्बर, शनिवार – मासिक विनायक चतुर्थी
इस साल देवउठनी ग्यारस का पर्व 8 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यतानुसार चार माह विश्राम करने के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देव जागते हैं, जिसे देव उठनी ग्यारस कहते हैं। इसी दिन से विवाह संस्कार सहित सारे शुभ मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं।
ग्यारस पर्व पूजन का शुभ मुहूर्त
लाभ- प्रातः 8 बजे से 9 बजकर 24 मिनट।
अमृत- 9 बजकर 24 मिनट से 10 बजकर 47 मिनट तक।
शुभ- दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से 1 बजकर 34 मिनट तक।
चर - सायंकाल 4 बजकर 21 मिनट से 21 मिनट से 5 बजकर 44 मिनट तक।
लाभ- रात्रि 8 बजकर 57 मिनट से रात्रि 10 बजकर 34 मिनट तक।
गोधूलि बेला- शाम 5 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 47 मिनट तक।
प्रदोष काल- शाम 5 बजकर 22 मिनट से रात 7 बजकर 52 मिनट तक।
3 नवंबर को को भानु सप्तमी है। भानु सूर्य भगवान को कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर कोई भक्त पूरे मन से सूर्य देव की उपासना करे तो उसके सभी प्रकार के पाप कर्मों और दुखों का नाश हो जाता है। भानु सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा अर्चना करते समय आदित्य ह्रदयं और अन्य सूर्य स्त्रोत का पाठ जरूर करें। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव को अर्घ्य देने से याददाश्त अच्छी होती है और मन शांतचित्त होता है।
छठ पूजा में सूरज भगवान की उपासना की जाती है। व्रत रखने वाले पानी में खड़े होकर डूबते हुये सूर्य को अर्घ्य देते हैं। और अगले दिन सुबह उगते हुये सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न किया जाता है।
सूर्योदय समय छठ पूजा के दिन - 06:34 ए एम
सूर्यास्त समय छठ पूजा के दिन - 05:37 पी एम
षष्ठी तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 02, 2019 को 12:51 ए एम बजे
षष्ठी तिथि समाप्त - नवम्बर 03, 2019 को 01:31 ए एम बजे
कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को 'सौभाग्य पंचमी' कहा जाता है। इसको कई जगह लाभ पंचमी भी कहते हैं जो मानव जीवन में सुख और समृद्धि की वृद्धि करती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी सांसारिक कामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन गणेशजी और भगवान शिव की पूजा करने से समस्त विघ्नों का नाश होता है तथा काराबोर में समृद्धि एवं प्रगति होती है। सौभाग्य पंचमी पर्व सुख-शांति और खुशहाल जीवन की इच्छाओं को पूरा करने की भरपूर ऊर्जा प्राप्त करने का शुभ अवसर होता है।
खरना पूजा के बाद से 36 घंटों का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। खरना के दिन जो प्रसाद बनता है, उसे नए चूल्हे पर बनाया जाता है और ये चूल्हा मिट्टी का बना होता है। चूल्हे पर आम की लकड़ी का प्रयोग करना शुभ माना जाता है खरना इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन जब व्रती प्रसाद खा लेती हैं तो फिर वे छठ पूजने के बाद ही कुछ खाती हैं। खरना के बाद आसपास के लोग भी व्रतियों के घर पहुंचते हैं और मांगकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। गौरतलब है कि इस प्रसाद के लिए लोगों को बुलाया नहीं जाता बल्कि लोग खुद व्रती के घर पहुंचते हैं।
हिन्दू धर्म में छठ पर्व को बेहद महत्व प्रदान किया गया है। कार्तिक मास की षष्ठी को मनाया जाने वाला छठ पर्व नहाय-खाय के साथ 31 अक्टूबर से शुरू हो चुका है। छठ पर्व के दूसरे दिन यानी 01 नवंबर को खरना पूजा है। खरना पूजा के बाद 02 नवंबर को छठ महापर्व का संध्याकालीन अर्घ्य आयोजन होगा और 03 नवंबर को सूर्य देव को प्रातःकालीन अर्घ्य दिया जाएगा। खरना पूजा में व्रती प्रसाद के रूप में गुड़ की खीर, रोटी सहित फल इत्यादि का सेवन करते हैं। इसके बाद अगले 36 घंटे तक के लिए निर्जला व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि खरना पूजा से षष्ठी देवी प्रसन्न होती हैं।