Navratri Kanya Pujan Vidhi, Samagri, Significance: नवरात्रि कन्या पूजन कोई अष्टमी को करता है तो कोई नवमी। इस साल अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर को तो नवमी तिथि 14 अक्टूबर को पड़ रही है। कन्या पूजन के दिन लोग छोटी कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर उनकी पूजा करते हैं। उनको भोजन कराने के बाद अपना व्रत खोलते हैं। नवरात्रि पूजन कन्याओं की पूजा करने के बाद ही पूर्ण होता है। यहां आप जानेंगे क्या है कन्या पूजन का सही तरीका और विधि।
कन्या पूजन की सामग्री:
साफ जल कन्याओं का पैर धुलने के लिए
पैर पोछने के लिए साफ कपड़ा
तिलक लगाने के लिए रोली
कलावा
अक्षत
फूल और फल
माता की चुन्नी
मिठाई और भोजन सामग्री
कन्याओं के बैठने के लिए आसन (कपड़ा या लकड़ी का पटरा)
कन्या पूजन विधि:
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर भगवान गणेश और मां महागौरी की पूजा करें।
इसके बाद 2 से लेकर 10 साल तक की कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करें। साथ में एक छोटे लड़के को भी बुलाएं।
सबसे पहले सभी कन्याओं और बालक के पैर धोएं।
इसके बाद उन्हें बैठने के लिए आसन दें।
फिर उनके माथे पर कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं।
फिर कन्याओं के उल्टे हाथ में और लड़के के सीधे हाथ में कलावा बांधें।
फिर सभी की आरती उतारें।
फिर कन्याओं को भोजन कराएं। इस भोजन में पूड़ी, चना और हलवा जरूर शामिल करें।
कन्याओं को भोजन कराने के बाद यथाशक्ति उन्हें कुछ न कुछ उपहार दें।
अंत में कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
कन्या पूजन में इस बात का रखें ध्यान:
अगर घर बुलाकर कन्याओं का पूजन कर पाना संभव न हो तो किसी मंदिर में अपनी यथाशक्ति के अनुसार भोजन निकालकर दान कर सकते हैं।
ध्यान रखें कि कन्याओं को बासी भोजन न कराएं।
कन्याओं को भोजन कराने के बाद कुछ न कुछ दक्षिणा अवश्य दें।
कन्या पूजन में एक बालक को शामिल करना जरूरी माना गया है। जिसे बटुक भैरव या लांगूर का स्वरुप माना जाता है।
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कन्या पूजन का महत्व: मान्यता है 2 वर्ष की कन्या का पूजन करने से दुख और दरिद्रता दूर होती है। तीन वर्ष की कन्या के पूजन से धन-धान्य आता है। चार वर्ष की कन्या के पूजन से परिवार का कल्याण होता है। पांच वर्ष की कन्या के पूजन से व्यक्ति रोगमुक्त होता है। छह वर्ष की कन्या के पूजन से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है। सात वर्ष की कन्या के पूजन से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। आठ वर्ष की कन्या के पूजन से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है। नौ वर्ष की कन्या के पूजन से शत्रुओं का नाश होने के साथ असाध्य कार्य पूर्ण होते हैं।