मां दुर्गा की उपासना के नौ दिन यानी नवरात्र की आज से शुरूआत हो गई है। इस साल शारदीय नवरात्र 7 अक्टूबर तक हैं और 8 अक्टूबर को दशहरा पड़ रहा है। नवरात्रि का पहला दिन काफी अहम माना जाता है। क्योंकि इस दिन लोग अपने घर के पूजा स्थान में कलश की स्थापना करते हैं, जौ बोए जाते हैं, माता अम्बे की प्रतिमा स्थापित की जाती है। जानिए घटस्ठापना का मुहूर्त, पूजा सामग्री और पूजा विधि विस्तार से…
आश्विन घटस्थापना मुहूर्त:
दिन रविवार, 29 सितम्बर, 2019 को
घटस्थापना मुहूर्त – 05:53 ए एम से 07:14 ए एम तक
अवधि – 01 घण्टा 22 मिनट्स
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – 11:25 ए एम से 12:12 पी एम तक
अवधि – 00 घण्टे 47 मिनट्स
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव कन्या लग्न के दौरान है।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 28, 2019 को 11:56 पी एम बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त – सितम्बर 29, 2019 को 08:14 पी एम बजे
कन्या लग्न प्रारम्भ – सितम्बर 29, 2019 को 05:53 ए एम बजे
कन्या लग्न समाप्त – सितम्बर 29, 2019 को 07:14 ए एम बजे
कलश की स्थापना कैसे करें?
– इस दिन साफ सुथरे होकर घर के पूजा स्थान को अच्छे से साफ कर लें।
– अब एक लकड़ी का पटरा रखकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछा लें।
– एक मिट्टी के पात्र में जौ बो लें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें।
– कलश में साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल डालें। साथ ही थोडा सा इत्र दाल दें।
– कलश में पंचरत्न और कुछ सिक्के भी डालें। अब इस पर अशोक या आम के पांच पत्ते भी रख दें।
– कलश को ढंक देना चाहिए और उसके ढक्कन पर चावल भर दें।
– अब इस कलश के ऊपर नारियल रख लें।
– आखिर में दीपक जलाकर कलश की पूजा करें।
– नवरात्रि में देवी पूजा के लिए जो कलश स्थापित किया जाता है वह सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही होना चाहिए।
नवरात्रि पूजन सामग्री: जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र और शुद्ध साफ की हुई मिटटी, पात्र में बोने के लिए जौ, कलश जल के लिए, गंगाजल, मोली, इत्र, साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के, पंचरत्न, अशोक या आम के 5 पत्ते, दीपक, अक्षत, पानी वाला नारियल, नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा, माता की चुनरी।
माँ दुर्गा की चौकी स्थापित करने की विधि: नवरात्री के पहले दिन एक लकड़ी की चौकी लें। इसको गंगाजल से पवित्र कर लें और इसके ऊपर सुन्दर लाल वस्त्र बिछा लें। इसको कलश के दायीं और रखना चाहिए। उसके बाद माँ शेरावाली की धातु की मूर्ति अथवा नवदुर्गा की फोटो स्थापित करनी चाहिए। माँ दुर्गा को लाल चुनरी उड़ाए और उनसें नौ दिनों तक इस चौकी पर विराजने के लिए प्रार्थना करें। उसके बाद माँ को दीपक दिखाइए और धूप, फूलमाला, इत्र समर्पित करें। प्रसाद स्वरूप फल और मिठाई अर्पित करें।