Chaitra Navratri 2021 Ashtami Puja Vidhi, Kanya Pujan, Hawan Samagri And Vidhi: कई लोग नवरात्रि के आठवें दिन हवन कर कन्या पूजन करते हैं और इसी दिन अपना उपवास भी खोल लेते हैं। नवरात्रि अष्टमी के दिन मां महागौरी का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इनकी पूजा से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। इसे दुर्गा अष्टमी और महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। जानिए नवरात्रि अष्टमी के दिन कैसे करें पूजा, क्या है हवन विधि, पूजा मुहूर्त, कन्या पूजन का तरीका, कथा और आरती…
मां महागौरी की पूजा विधि: इस दिन मां की पूजा के समय उन्हें लाल चुनरी ओढ़ाएं। इसके बाद सुहाग और श्रृंगार की सारी सामग्री देवी को अर्पित कर दें। इसके बाद मां की धूप व दीप से आरती उतारें, कथा सुनें, इनके सिद्ध मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती उतारें। नवरात्र की अष्टमी तिथि को मां को नारियल का भोग लगाना फलदायी माना जाता है। इस दिन यदि आप कन्या पूजन कर रहे हैं तो कम से कम आठ कन्याओं की पूजा करनी चाहिए। साथ में एक लांगूर जरूर हो। अष्टमी के दिन जो भक्त कन्या पूजन करते हैं, वह माता को हलवा-पूड़ी, सब्जी और काले चने का प्रसाद बनाकर चढ़ाते हैं। इसके बाद ये प्रसाद कन्याओं को भोजन स्वरूप में देते हैं। नवरात्रि में अष्टमी के दिन कैसे करें कन्या पूजन, जानिए क्या है विधि और शुभ मुहूर्त
कथा: देवीभागवत पुराण के अनुसार देवी पार्वती ने राजा हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था। देवी पार्वती को 8 वर्ष की उम्र में ही अपने पूर्वजन्म के बारे में ज्ञात हो गया था और उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या शुरू कर दी थी। तपस्या के दौरान माता केवल कंदमूल फल और पत्तों का ही सेवन करती थीं। बाद में कई सालों तक माता ने केवल वायु पीकर भी तपस्या की। इस कठिन तपस्या से देवी पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ था इसलिए उन्हें महागौरी कहा गया। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे गंगा स्नान करने को कहा। जिस समय मां पार्वती स्नान करने गईं तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुआ जो इनका कौशिकी रूप कहलाया और एक स्वरूप इनका उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, जो महागौरी कहलाईं। नवरात्रि में अष्टमी या नवमी के दिन किया जाता है हवन, जानिए हवन सामग्री और विधि
मंत्र:
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
प्रार्थना मंत्र:
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
मां महागौरी की आरती:
जय महागौरी जगत की माया। जया उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरी वहां निवासा॥
चंद्रकली ओर ममता अंबे। जय शक्ति जय जय माँ जगंदबे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिकी देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती सत हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
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