चैत्र ‘नवरात्रि’ का महापर्व 2 अप्रैल यानी शनिवार से शुरू हो रहा है। नवरात्रि के पावन दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा -अर्चना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दिनों देवी मां की असीम कृपा भक्तों पर बनी रहती है। इस दौरान देवी माँ की पूजा अर्चना करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि, खुशहाली व शांति का आगमन होता है।
नवरात्रि के नौ दिन भक्तगण देवी मां को अलग-अलग भोग व फूल भी चढ़ाते हैं। मगर इन शुभ दिनों पर माता रानी को उनके प्रिय फूल चढ़ाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। आइए जानें दुर्गा मां के अलग-अलग स्वरूपों को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए-
पहला दिन चढ़ाएं सफेद कनेर: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन देवी मां के ‘शैल पुत्री’ स्वरूप की पूजा होती है। मान्यता है कि इस दिन माता रानी को सफेद कनेर और गुड़हल का लाल फूल अर्पित करना चाहिए। इसलिए आप नवरात्रि के प्रथम दिन इस फूल को चढ़ाएं।
दूसरे दिन वटवृक्ष के फूल: नवरात्रि के दूसरे दिन माता रानी के दूसरे स्वरूप ‘ब्रह्मचारिणी’ स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी को वटवृक्ष और गुलदाउदी के पुष्प बेहद प्रिय हैं। इसलिए सुख समृद्धि व खुशहाली की कामना हेतु माता रानी को यह फूल अवश्य अर्पित करें।
तीसरे दिन शंखपुष्पी का फूल: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवी मां के स्वरूप ‘चंद्रघंटा’ स्वरूप की पूजा की जाती है, इस दिन इन्हें शंखपुष्पी का फूल चढ़ाने से सारी मनोकामना पूरी होती है।
चौथे दिन पीले रंग का फूल: नवरात्रि के चौथे दिन देवी मां के ‘कूष्मांडा’ स्वरूप की पूजा की जाती है, मान्यता है कि देवी मां के इस स्वरूप को पीले रंग का फूल बेहद प्रिय है। इसलिए ‘नवरात्रि’ के चौथे दिन मां ‘कूष्मांडा’ को पीले रंग के फूल चढ़ाने चाहिए।
पांचवे दिन इस रंग का फूल: नवरात्रि के पांचवे दिन माता रानी के ‘स्कन्दमाता’ स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां ‘स्कन्दमाता’ को पीले रंग के पुष्प बेहद प्रिय हैं। इसलिए सुख समृद्धि व खुशहाली की कामना हेतु माता रानी को यह फूल अवश्य अर्पित करें।
छठे दिन बेर के फूल: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवरात्रि के छठे दिन देवी मां के ‘कात्यायनी’ स्वरूप की पूजा होती है। मान्यता है कि इस दिन माता रानी को बेर के वृक्ष से फूल तोड़कर अर्पित करना चाहिए। इसलिए आप नवरात्रि के छठे दिन इस फूल को चढ़ाएं।
सातवे दिन इस फूल को चढ़ाएं: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सातवे दिन देवी मां के स्वरूप ‘कालरात्रि’ स्वरूप की पूजा की जाती है, देवी को नीले रंग का कृष्ण कमल बेहद प्रिय है, इस दिन इन्हें यह फूल चढ़ाने से सारी मनोकामना पूरी होती है।
आठवे दिन करें महागौरी की पूजा: नवरात्रि के आठवे दिन देवी मां के ‘महागौरी’ स्वरूप की पूजा की जाती है, मान्यता है कि देवी मां के इस स्वरूप को मोगरे एक फूल बेहद प्रिय है। इसलिए ‘नवरात्रि’ के आठवे दिन मां ‘महागौरी’ को मोगरे के फूल चढ़ाने चाहिए।
समापन वाले दिन ऐसे करें पूजा: नवरात्रि के समापन वाले दिन माता रानी के ‘सिद्धदात्री’ स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां ‘सिद्धदात्री’ को गुड़हल के पुष्प चढ़ाने चाहिए। इसलिए सुख समृद्धि व खुशहाली की कामना हेतु माता रानी को यह फूल अवश्य अर्पित करें।
फूल चढ़ाते समय इस बात का रखें ध्यान: ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, देवी मां को कभी भी अपवित्र स्थल पर उत्पन्न हुए, जो फूल सही से नहीं खिले हैं अर्थात कलियां, बिखरी हुई पंखुड़ियों वाले, गंधरहित अथवा तीव्र गंधवाले, सूंघे हुए पुष्प धरती पर गिरे हुए, बाएं हाथ से लाए गए पुष्प अर्पित नहीं करने चाहिए। इसके अलावा किसी के यहां से बिना आज्ञा के तोड़े गए फूल, पानी में डुबोकर धोए हुए पुष्प कभी नहीं चढ़ाने चाहिए।