Chaitra Navratri 2020: नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ (Durga Saptashati Path) किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पाठ को करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। नवरात्रि में नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा चालीसा और मां की आरती की जाती है। दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय और 30 सिद्ध सम्पुट हैं। हर मनोकामना की पूर्ति के लिए अलग मंत्र है। मां दुर्गा की पूजा करते समय इन मंत्रों का आप जाप कर सकते हैं…

रोग नाश के लिए मंत्र:

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा

रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां

त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।

Navratri 2020: दुर्गा सप्तशती का गलत तरीके से पाठ करने से बचें, यहां देखें इसका संपुट पाठ

आरोग्य एवं सौभाग्य का मंत्र:

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

विपत्ति नाश और शुभता के लिए मंत्र:

करोतु सा न: शुभहेतुरीश्वरी

शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापद:।

शक्ति प्राप्ति के लिए मंत्र:

सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि।

गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोस्तु ते।।

अपने कल्याण के लिए मंत्र:

सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तु ते।।

रक्षा पाने के लिए मंत्र:

शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।

घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।

प्रसन्नता के लिए मंत्र:

प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि।

त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव।।

स्वर्ग और मोक्ष के लिए मंत्र:

सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी।

त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तय:।।

दुर्गा सप्तशती के फायदे: दुर्गा सप्तशती के तेरह पाठों में अलग अलग बाधाओं के निवारण के लिए उपाय दिए गए हैं। पहले अध्याय का पाठ करने से समस्त प्रकार की चिताओं का नाश हो जाता है। दूसरे अध्याय को करने से अदालती दिक्कतों में सफलता प्राप्त होती है। तीसरे अध्याय से शत्रु बाधा से छुटकारा मिलता है। चौथे अध्याया को पढ़ने से शक्ति मिलती है। पांचवे अध्याय को करने से आध्यात्म की शक्ति प्राप्त होती है। छठे अध्याय को करने से मन में बसे डर का नाश हो जाता है। सातवें अध्याय के पाठ से इच्छाओं की प्राप्ति होती है। मिलाप और वशीकरण के लिए आठवें अध्याय का पाठ महत्वपूर्ण है। नौवे अध्याय का पाठ गुम हुए व्यक्ति की तलाश में फलदायी होता है। दसवे अध्याय का पाठ भी गुम हुए व्यक्ति की तलाश के लिए किया जाता है। ग्यारहवें अध्याय का पाठ कारोबार में वृद्धि के लिए किया जाता है। बारहवें अध्याय का पाठ धन लाभ और मान सम्मान की प्राप्ति के लिए किया जाता है। तेरहवे अध्याय का पाठ अध्यात्म में सिद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है।