Navratri 2019 Vrat Puja Vidhi, Katha: शारदीय नवरात्रि का ये पावन त्योहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष से शुरू होता है। पूरे नौ दिनों तक देवी शक्ति के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। भक्त व्रत रख विधि विधान देवी की पूजा करते हैं। और अपने जीवन में सुख समृद्धि बनी रहे इसकी कामना करते हैं। देवी मां को प्रसन्न करने के लिए किस तरह से करें पूजा जाने यहां…

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की विधि:
– नवरात्रि के पहले दिन घर में कलश स्थापना की जाती है। जिसके लिए सुबह का मुहूर्त सबसे शुभ माना गया है।
– प्रतिपदा को यानी नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं और घर के मंदिर की साफ सफाई कर लें।
– अब माता की पूजा प्रारंभ करें सबसे पहले भगवान गणेश की अराधना करें और मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योति जलाएं।
– कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र लें और उसमें मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं। और उसमें रोज पानी का छिड़काव करें।
– अब एक कलश लें उस पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बना लें और लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांध लें।
– अब उस कलश या लोटे में शुद्ध पानी भर लें और थोड़ा गंगाजल मिला लें। फिर उसके अंदर कुछ सिक्के, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें।
– इसके बाद कलश में अशोक या आम के पत्ते लगा लें।
– एक नारियल लें उसके चारों तरफ लाल कपड़ा लपेटकर उस पर मौली बांध लें। फिर उस नारियल को कलश के ऊपर रख दें।
– अब कलश को मिट्टी के उस पात्र के बीच में रखें जिसमें आपने जौ बोएं हैं।
– इस तरह से कलश स्थापना करने के बाद नवरात्रि के व्रत करने का संकल्प लिया जाता है।
– कलश स्थापना के साथ आप अपनी श्रद्धानुसार अखंड ज्योति भी जला सकते हैं।

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देवी मां की पूजा विधि:
– लकड़ी की एक चौकी लें उसे शुद्ध जल से धोकर अच्छे से साफ कर उस पर गंगा जल छिड़क लें।
– अब उसे एक साफ कपड़े से पोंछ कर उस पर लाल कपड़ा बिछा लें।
– इसे कलश के दांयी तरफ रखें और उस चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।
– मां को लाल चुनरी ओढ़ाएं और फूल माला भी चढ़ाएं।
– माता के समक्ष धूप और घी का दीपक जलाएं।
– अगर अखंड ज्योत जलाना चाहते हैं तो उसे भी जला लें।
– देवी मां को तिलक लगाएं और उन्हें श्रंगार सामग्री (वस्त्र, सुहाग का समान, हल्दी, कुमकुम, सिंदूर, इत्र, काजल, महेंदी, चूड़ियां, मंगलसूत्र) अर्पित करें।
– अब अपनी श्रद्धानुसार मां भगवती के मंत्रों का जाप करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
– अब एक मिटटी का पात्र लें उसमे आप गोबर के उपले को जलाकर अग्यारी जलायें घर के सभी सदस्यो के हिसाब से लॉन्ग के जोडे़ बनाये। लॉन्ग के जोड़े बनाने के लिए आप बताशे में लॉन्ग लगाएं (बताशे में दो लॉन्ग लगाकर एक जोड़ा माना जाता है) और जो लॉन्ग के जोड़े बनाये हैं फिर उसमे कपूर और सामग्री चढ़ाये और अग्यारी प्रज्वलित करे |
– अंत में गणेश जी की आरती के बाद देवी अम्बे की आरती करें।
– रोजाना सुबह और श्यान देवी माँ का पूजन करें तथा जौ पर भी जल का हल्का छिड़काव करते रहें।