Navratri 2019, Kalash Sthapana Date, Muhurat, Puja Vidhi, Timings, Samagri: आश्विन शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। इसे शारदीय नवरात्रि भी कहते हैं। साल में आने वाली 4 नवरात्रियों में से इस नवरात्रि का सबसे अधिक महत्व माना गया है। यह व्रत उपवास, आदिशक्ति माँ जगदम्बा की पूजा-अर्चना, जप और ध्यान का पर्व है। देवी भागवत के अनुसार विद्या, धन एवं पुत्र की कामना करने वालों को नवरात्र व्रत जरूर रखना चाहिए। आमतौर पर हम सभी ये जानते हैं कि नवरात्रि की शुरुआत आश्विन प्रतिपदा तिथि से होती है। पर बंगाल के लोगों के लिए ये पूजा एक दिन पहले महालया (Mahalya) से शुरू हो जाती है।

दुर्गा सप्तशती पाठ हिंदी और संस्कृत में यहां

नवरात्रि व्रत कथा पढ़ें यहां

मां दुर्गा के सुपरहिट और शानदार भजन सुनें यहां

नवरात्रि नौ दिन की देवियां (Navratri 9 Devi) :

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सांतवें दिन कालरात्री, आठवें दिन महागौरी और नवमी को सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। प्रतिपदा तिथि यानी नवरात्रि का पहला दिन 29 सितंबर को घटस्थापना (कलश स्थापना) की जाती है। 3 अक्टूबर को ललिता पंचमी है, 6 अक्टूबर को महाष्टमी व 7 अक्टूबर को महानवमी का पर्व मनाया जाएगा। 8 अक्टूबर को दशहरा है।

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15:28 (IST)29 Sep 2019
नवरात्रि व्रत रखने वाले जान लें नियम...

ध्यान रखें कि नवरात्रि के दौरान किसी भी तरह का तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। यानि इन 9 दिनों में लहसुन, प्याज, मांसाहार और किसी व्यक्ति का झूठा भोजन नहीं खाना चाहिए।नवरात्रि में बाल और नाखून न कटवाएं और ना ही शेव बनवाएं। तेल मालिश भी नहीं करनी चाहिए और ना ही दिन में सोएं।  नवरात्रि में सूर्योदय से पहले उठें और नहा लें। झूठ न बोलें और गुस्सा करने से भी बचें। अपनी इंद्रियों को काबु में रखें और मन में कामवासना जैसे गलत विचारों को न आने दें।

14:33 (IST)29 Sep 2019
आज मां शैलपुत्री की पूजा में इस मंत्र का करें जाप...

इस मंत्र का करें जाप: वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

मां शैलपुत्री का प्रसाद: मां शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी अर्पित करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है जिससे व्यक्ति का मन एवं शरीर दोनों ही निरोगी रहता है।

13:45 (IST)29 Sep 2019
नवरात्रि व्रत का विधान...

नवरात्रि व्रत आप अपनी इच्छानुसार पूरे नौ दिनों तक या फिर दो दिन भी रख सकते हैं। दो दिन से मतलब एक नवरात्रि के पहले दिन व्रत, दूसरा व्रत नवरात्रि कन्या पूजन से पहले दिन रखा जाता है। व्रत खोलने से पहले नौ कन्याओं की विधि विधान पूजा की जाती है। 

13:09 (IST)29 Sep 2019
ऐसे रखें नवरात्रि व्रत...

व्रत रखने वाले जातक रोजना माता की सुबह शाम विधिवत पूजा कर आरती उतारें और उन्हें भोग लगाएं। सुबह माता की पूजा करने के बाद ही फलाहार करें। इस व्रत में नमक नहीं खाना चाहिए। शाम को फिर से माता जी की पूजा और आरती करें। इसके बाद एक बार और फलाहार कर सकते हैं। अगर फलाहार पर रहना संभव न हो तो शाम की पूजा के बाद एक बार भोजन कर सकते हैं।

12:37 (IST)29 Sep 2019
किस दिन होगी किस मां की पूजा...

29 सितंबर- शैलपुत्री

30 सितंबर- ब्रह्मचारिणी

01 अक्तूबर- चंद्रघंटा

02 अक्तूबर- कूष्मांडा

03 अक्तूबर- स्कंदमाता

04 अक्तूबर- कात्यायनी

05 अक्तूबर- कालरात्रि

06 अक्तूबर- महागौरी

07 अक्तूबर- सिद्धिदात्री

08 विजयदशमी, देवी प्रतिमा विसर्जन

12:00 (IST)29 Sep 2019
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत:

माना जाता है कि इस नवरात्रि की शुरुआत सबसे पहले भगवान राम ने की थी। श्री राम जब लंकापति रावण का वध करने जा रहे थे तो उन्होंने नौ दिनों तक देवी मां की विधिवत पूजा की उसके बाद दशवें दिन रावण का वध कर दिया। इसलिए नवरात्रि के अगले दिन दशहरा मनाया जाता है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। कुछ मान्यताओं के अनुसार इन दिनों देवी दुर्गा ने महिशासुर नाम के राक्षस का वध किया था। तो कुछ लोगों का मानना है कि इन नौ दिनों में देवी मां अपने मायके आती हैं। ऐसे में इन नौ दिनों को दुर्गा उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

11:35 (IST)29 Sep 2019
दुर्गा जी की आरती/Maa Durga Aarti (Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri) :

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।। जय अम्बे गौरी,…।

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को। उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी,…।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी,…।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी,…।

मां अम्बे की पूरी आरती पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

11:06 (IST)29 Sep 2019
नवरात्रि के शुभ संयोग...

इस बार नवरात्रि में 4 सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहे हैं। ऐसे में साधकों को सिद्धि प्राप्त करने के पर्याप्त अवसर मिल रहे हैं। इस दौरान किसी भी तरह के शुभ काम शुरू कर सकते हैं। 29 सितंबर, 2 , 6 और 7 अक्टूबर को भी यह शुभ योग बन रहा है।

10:39 (IST)29 Sep 2019
नवरात्रि के नौ दिनों तक मां अम्बे के अलग-अलग रूपों की होती है पूजा

नवरात्रि का त्योहार नौ दिनों तक चलता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। नवरात्रि का पहला दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप को समर्पित है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। नवरात्र-पूजन में पहले दिन इनकी उपासना का विधान है। जानिए शैलपुत्री की पूजा विधि, कथा और आरती…

10:15 (IST)29 Sep 2019
शैल पुत्री की आरती (Shailputri Aarti Lyrics):

मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार। शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे। ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी। उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के। श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे। मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

09:40 (IST)29 Sep 2019
कैसे रखें नवरात्रि का व्रत?

नवारत्रि में आप अपनी श्रद्धा अनुसार दो या नौ दिन का व्रत रख सकते हैं। व्रत रखने वाले भक्‍त को सच्चे मन से मां की उपासना करनी चाहिए। कुछ लोग इस व्रत में पूरे नौ दिनों तक सिर्फ फलाहार ग्रहण करते हैं तो वहीं कुछ लोग इस दौरान एक बार भी नमक नहीं खाते हैं। इसके अलावा कुछ भक्‍त पहली नवरात्रि और अष्‍टमी-नवमी का व्रत करते हैं। नवरात्रि के व्रत के ये हैं नियम… – नवरात्रि व्रत रखने के इच्छुक जातक पहले दिन कलश स्‍थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लें। – नवरात्रि के नौ दिनों तक मां गौरी की विधि विधान पूजा करें। – दिन के समय फल और दूध का सेवन किया जा सकता है। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। – दिन में दो बार यानी सुबह शाम माता की अराधना करें और आरती जरूर उतारें। माता को रोजाना भोग लगाएं – अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन कराएं। उन्‍हें उपहार और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें।

09:15 (IST)29 Sep 2019
नवरात्रि पर इस विधि से करें मां अम्बे की उपासना...

नवरात्रि के नौ दिनों तक अखंड दीपक जलाने का भी विधान है। देवी मां को चुनरी, फूल और माला चढ़ाएं। भोग में ऋतु फल और मिठाईयों का प्रयोग करें। भगवान गणेश की सबसे पहले अराधना करें फिर मां भगवती का पूजन करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें और मां के बीज मंत्र ‘ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ का जाप करें। इसके बाद भगवान गणेश की आरती कर मां अम्बे की भी आरती उतारें। माता को प्रसाद अर्पित कर सभी में बाट दें। इस विधि से रोजना पूजा करें। जानें आज कलश स्थापना की पूरी विधि

08:37 (IST)29 Sep 2019
ये है नवरात्रि की पूरी सामग्री की लिस्ट...

पूजन सामग्री: नवरात्रि पूजन में माता दुर्गा की नई मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करते हैं। यदि माता की मूर्ति मिट्टी की है, तो सबसे उत्तम रहेगा। माता की तस्वीर पर चढ़ाने के लिए नई लाल चुनरी लें। माता की प्रतिमा स्थापित करने के लिए एक चौकी ले लें। उस पर बिछाने के लिए लाल या पीला कपड़ा। घट या कलश स्थापना के लिए एक कलश। कलश में रखने के लिए आम की पत्तियां। माता की आराधना करने के लिए दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा और दुर्गा आरती की पुस्तक रख लें। लाल सिंदूर, लाल फूल और गुड़हल का फूल हो तो सबसे अच्छा है। कलश ढकने के लिए मिट्टी के पात्र, जिस पर जौ के बीज रखें जायेंगे। अक्षत, गंगा जल, चंदन, रोली, शहद और कलावा भी एकत्र कर लें। पूजा के लिए नारियल, गाय का घी, सुपारी, लौंग, इलायची इत्यादि। पान के पत्ते, धूप, दीपक, अगरबत्ती, कपूर, बैठने के लिए आसन।

07:48 (IST)29 Sep 2019
कलश स्थापना के मुहूर्त...

आश्विन घटस्थापना मुहूर्त: दिन रविवार, 29 सितम्बर, 2019 को घटस्थापना मुहूर्त – 05:53 ए एम से 07:14 ए एम तक अवधि – 01 घण्टा 22 मिनट्स घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – 11:25 ए एम से 12:12 पी एम तक अवधि – 00 घण्टे 47 मिनट्स घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है। घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव कन्या लग्न के दौरान है। प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 28, 2019 को 11:56 पी एम बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त – सितम्बर 29, 2019 को 08:14 पी एम बजे कन्या लग्न प्रारम्भ – सितम्बर 29, 2019 को 05:53 ए एम बजे कन्या लग्न समाप्त – सितम्बर 29, 2019 को 07:14 ए एम बजे

07:24 (IST)29 Sep 2019
इस मंत्र का जाप पूरे नवरात्रि ज्यादा से ज्यादा करें

या देवी सर्वभूतेषु, शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।

शुभ नवरात्रे, शुभे शुभे।।

06:26 (IST)29 Sep 2019
कलश स्थापना के लिए इस मंत्र से खुद को करें पवित्र (Navratri 2019, Kalash Sthapana Date, Muhurat, Puja Vidhi)

नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना प्रारंभ करने से पूर्व हम कलश की स्थापना अपने पूजन स्थल पर करते हैं। कलश स्थापना सही मुहूर्त और पद्धति से ही होनी चाहिए। इसके अलावा कलश स्थापना के समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥

हाथ में कुश और जल लेकर मंत्रोच्चारण कर खुद को और पूजन सामग्रियों को पवित्र करें। इसके बाद दाएं हाथ में अक्षत, फूल, जल, पान, सिक्का और सुपारी लेकर दुर्गा पूजन का संकल्प करना चाहिए।

05:11 (IST)29 Sep 2019
कलश स्थापना के दिन पड़ रहे तीन शुभ संयोग

नवरात्रि आज से शुरू हो रहा है। इसकी शुरुआत कलश स्थापना से हो रही है। आपको बता दें कि आज के दिन तीन शुभ संयोग पड़ रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और द्विपुष्कर योग। इन सभी शुभ संयोग के साथ नवरात्रि पूजा शुरू हो रही है।

05:08 (IST)29 Sep 2019
कलश स्थापना पर बन रहा सुखद संयोग

नवरात्रि पर कलश स्थापना के दिन सुखद संयोग स्थापित हो रहा है। इस दिन सुख समृद्धि के द्योतक माने जाने वाले ग्रह शुक्र का उदय हो रहा है। चूंकि शुक्र का संबंध देवी लक्ष्मी से है। नवरात्र में देवी के सभी नौ रूपों की पूजा होती है। शुक्र का उदित होना घर घर सुख समृद्धि धन धान्य को लाने का द्योतक है।

22:33 (IST)28 Sep 2019
चौघड़िया मुहूर्त में ही करें कलश स्थापना

नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू हो रहा है। अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होने वाले नौ दिन की पूजा में पहले दिन कलश स्थापना का महत्व होता है। घट स्थापना को सही मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए। आइए जानते हैं क्या है सही समय:लाभ-चौघड़िया- सुबह 09.18 से 10.48 तक।अमृत- चौघड़िया- सुबह 10.48 से12.17 तक।शुभ-चौघड़िया- 01.47 से 03.16 तक, शाम 06.16 से 07.46 तक।अमृत चौघड़िया- रात्रि 07.46 से 09.16 तक।अभिजीत-मुहूर्त- सुबह 11.53 से दोपहर 12.41तक।

19:58 (IST)28 Sep 2019
नवरात्रि के पहले दिन ही शैलपुत्री की पूजा क्यों होती है? (Navratri 2019 Start Date, Kalash Sthapana)

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। पहले दिन शैलपुत्री देवी की पूजा ​का विधान है। इसके पीछे की वजह ये है कि शैलपुत्री हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म ली थीं। पौराणिक कथा ये है कि दक्षप्रजापति ने यज्ञ किया। उसमें सभी देवताओं को बुलाया गया लेकिन भगवान शंकर को नहीं बुलाया गया। देवी सती यज्ञ में जाना चाहती थीं। जबकि भगवान शिव ने बिना निमंत्रण यज्ञ में जाने से मना किया। इसके बावजूद सती के दुराग्रह पर उन्होंने जाने दिया। वहां गईं तो सती का अपमान हुआ। इससे दुखी सती ने स्वयं को यज्ञाग्नि में भस्म कर लिया। तब भगवान शिव ने क्रोधित होकर यज्ञ को तहस नहस कर दिया। वही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं।

18:26 (IST)28 Sep 2019
जानिए अखण्ड ज्योति जलाने का नियम

नवरात्रि की पूजा और व्रत कल यानी 29 सितंबर से शुरू हो रही है। इस दौरान जहां नौ दिनों उपवास का विधान है वहीं पूरे नव दुर्गा अखण्ड ज्योति रखने को अनिवार्य बताया गया है। इसका उद्देश्य मां दुर्गा की कठिन साधना और नौ दिनों तक घर में प्रकाशमय रखना है। अखण्ड ज्योति को मां शक्ति का प्रतीक मानते हुए उसे बुझने नहीं दिया जाता। आइए जानते हैं कि अखण्ड ज्योति के लिए क्या नियमों का पालन करना चाहिए:

- दीपक बड़े आकार का हो और शुद्धता का पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए।
- अखंड ज्‍योति की बाती रक्षा सूत्र से बनाएं।
- मान्‍यता है कि घी का दीपक देवी मां के दाईं ओर रखना चाहिए।
- दीपक तेल का है तो देवी मां के बाईं ओर रखें।
- ध्‍यान रहे अखंड ज्‍योति व्रत समाप्‍ति तक बुझनी नहीं चाहिए।
- दीपक जलाने से पहले गणपति, मां दुर्गा और शिव की आराधना करें।
- मनोकामना पूर्ति के लिए अखंड ज्‍योति जला रहे हैं तो उस कामना को मन में दोहराएं।

14:12 (IST)28 Sep 2019
नवरात्रि नहीं महालया से शुरू हो जाती है दुर्गा पूजा

आमतौर पर हम सभी ये जानते हैं कि नवरात्रि की शुरुआत आश्विन प्रतिपदा तिथि से होती है। पर बंगाल के लोगों के लिए ये पूजा एक दिन पहले महालया (Mahalya) से शुरू हो जाती है। पौराणिक मान्यता ये है कि जैसे ही एक तरफ श्राद्ध और पितरों को तर्पण देने का कार्य खत्म होता है, मां दुर्गा की पूजा शुरू हो जाती है। ये माना जाता है कि इसी दिन मां दुर्गा कैलाश पर्व से धरती पर प्रकट हुईं थीं। महालया के दिन से ही माता 10 दिनों तक धरती पर ही रहीं। यही वजह है कि इसी दिन से मूर्तिकार भी मां दुर्गा (Maa Durga) की आंखों पर काम शुरू करते हैं।

13:39 (IST)28 Sep 2019
Navratri 2019 Start Date: shubh muhurt to start Pooja, Kalash sthapana

13:38 (IST)28 Sep 2019
कलश स्‍थापना के लिए ये है जरूरी सामग्री

नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा के लिए लाल रंग की महत्ता बताई गई है। पुराणों में भी वर्णन है कि मां को लाल चुनरी, लाल सिंदूर, लाल फूल, लाल वर्णमाला इत्यादि पसंद है। इसलिए लाल रंग का ही आसन आपको इंतजाम करना चाहिए। कलश स्‍थापना के लिए एक मिट्टी का पात्र हो जिसमें जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, सिक्‍के, अशोक या आम के पांच पत्ते, साबुत सुपारी, साबुत चावल, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी शामिल किया जाता है।

12:27 (IST)28 Sep 2019
Navratri Start date, Kalash sthapana 2019: Shubh Muhurt

नवरात्रि पर प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना होगी। 29 सितंबर को कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त है। कलश स्थापना के दिन देवी शैलपुत्री की पूजा होगी। फिर इसके बाद क्रमशः ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कत्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। 06 अक्टूबर को महाअष्टमी और 07 अक्टूबर को महानवमी पड़ेगी। 08 अक्टूबर को विसर्जन किया जाएगा।

12:24 (IST)28 Sep 2019
जानिए इस व्रत का महत्व और इतिहास...

महत्व: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवरात्रि के बाद दशहरा यानि विजयदशमी का पर्व आता है। शरद ऋतु के आश्विन माह में आने के कारण इन नवरात्रों को शारदीय नवरात्रि कहा गया है। नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी के अलग-अलग स्वरूपों की अराधना की जाती है। स‍िद्धि और साधना की दृष्टि से भी शारदीय नवरात्र को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इस नवरात्रि में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति को मजबूत करने के लिए व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग-साधना आदि करते हैं।

12:23 (IST)28 Sep 2019
नवरात्रि मनाने के पीछे पौराणिक कथा:

इस त्योहार को मनाने की परंपरा काफी पुरानी है। ऐसा माना जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने सबसे पहले दुर्गा पूजा की परंपरा शुरू की थी। लंकापति रावण का वध करने से पहले श्री राम जी से समुद्र तट पर पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा की उपासना की और फिर दसवें दिन रावण का वध कर दिया। तभी से इस दिन को अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाने लगा। जिसे विजयादशमी या दशहरा के नाम से जाना जाता है और दशहरे से पहले के नौ दिनों को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

12:22 (IST)28 Sep 2019
नवरात्रि पर्व मनाने के प्राकृतिक कारण:

नवरात्र का पर्व साल में दो बार मनाने के पीछे प्राकृतिक कारण भी है। साल में आने वाली दोनों प्रकट नवरात्रि के समय ही ऋतु परिवर्तन होता है। गर्मी और ठंड के मौसम के प्रारंभ से पूर्व प्रकृति में एक बड़ा बदलाव होता है। प्रकृति में आए इन बदलाव के चलते हमारे मन, दिमाग और शरीर में भी परिवर्तन देखने को मिलते हैं। इस प्रकार नवरात्र के दौरान व्रत रखकर शक्ति की पूजा करने से शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है।