नवरात्रि इस बार 29 सितंबर दिन रविवार से शुरू हो रही है। शक्ति की देवी दुर्गा के इस पर्व का समापन 07 अक्टूबर को होगा। नवरात्रि में शक्ति की उपासना के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ बेहद खास माना गया है। दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैं जिसमें देवी दुर्गा की महिमा बताई गई है। माना जाता है कि दुर्गा सप्तशती का विधि पूर्वक पाठ करने से ही शुभ फल की प्राप्ति होती है। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ के लिए कुछ सावधानियां बताई गई है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें और क्या-क्या बरतनी चाहिए सावधानियां (How To Read Durga Saptashati Everyday) :
1.दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले प्रथम पूज्य गणेश की पूजा करनी चाहिए। यदि घर में कलश स्थापन किया गया है तो पहले कलश का पूजन, फिर नवग्रह की पूजा और फिर अखंड दीप का पूजन करना चाहिए।
दुर्गा सप्तशती पाठ से पहले दुर्गा सप्तशती की किताब को लाल रंग के शुद्ध आसन पर रखें। फिर इसका विधि-विधान पूर्वक अक्षत, चंदन और फूल से पूजन करें। इसके बाद पूरब दिशा की ओर मुंह करके अपने माथे पर अक्षत और चंदन लगाकर चार बार आचमन करें।
2.दुर्गा शप्तशती के पाठ में अर्गला, कीलक स्तोत्र और कवच का पाठ करने से पहले शापोद्धार का पाठ करना आवश्यक माना गया है। दुर्गा सप्तशती के सभी मंत्र ऋषि ब्रह्मा, वशिष्ठ और विश्वामित्र के द्वारा शापित किए हैं। इसलिए शापोद्धार के बिना सप्तशती पाठ का समुचित फल प्राप्त नहीं होता।
3.अगर एक दिन में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ नहीं संभव हो पाए तो ऐसे में पहले दिन केवल मध्यम चरित्र का पाठ करना चाहिए। फिर अगले दिन बचे हुए दो चरित्रों का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा दूसरा तरीका ये है कि पहले दिन प्रथम अध्याय का एक पाठ, दूसरे दिन द्विती अध्याय का दो आवृति पाठ और तृतीय अध्याय का पाठ, तीसरे दिन चौथे अध्याय का एक आवृति पाठ, चौथे दिन पंचम, षष्ठ, सप्तम और अष्टम अध्याय का पाठ, पांचवें दिन नवम और दशम अध्याय का पाठ, छठे दिन ग्यारहवां अध्याय का पाठ, सातवें दिन 12वें और 13वें अध्याय का पाठ। इसके बाद एक आवृति पाठ दुर्गा सप्तशती की करनी चाहिए।
4.दुर्गा सप्तशती में श्रीदेव्यथर्वशीर्षम स्रोत का रोजाना पाठ करने से वाक सिद्धि और मृत्यु पर विजय प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन इसे विधिवत करना चाहिए।
5.दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले और बाद में नवारण मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे” का पाठ करना आवश्यक माना गया है। इस मंत्र में सरस्वती, लक्ष्मी और काली के बीज मंत्र का संग्रह है।
6.अगर दुर्गा सप्तशती का संस्कृत में पाठ करना कठिन लग रहा है तो ऐसे में हिन्दी में भी सप्तशती का पाठ किया जा सकता है। हिंदी में पाठ करने से दुर्गा सप्तशती का अर्थ आसानी से समझ में आता है।
7.दुर्गा सप्तशती का पाठ करते वक्त यह ध्यान रखना चाहिए कि मंत्रों का उच्चारण स्पष्ट हो। कहते हैं कि शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा अपने उग्र स्वरूप में होती हैं। इसलिए विनम्रता से देवी की आराधना करें। पाठ के बाद कन्या पूजन करना आवश्यक माना गया है।
8.दुर्गा सप्तशती पाठ के बाद क्षमापन स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए ताकि नवरात्रि में हुए किसी भी प्रकार के अपराध से छुटकारा मिल जाए।
9.दुर्गा सप्तशती के प्रथम, मध्यम और उत्तर चरित्र के पाठ से समस्त मनोकामना पूरी होती है। साथ ही दुर्गा सप्तशती के उत्तर, प्रथम और मध्यम चरित्र के पाठ से शत्रु का नाश होता है और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
10.देवी पुराण में सुबह में पूजन और इसी समय में विसर्जन करना शुभ बताया गया है। इसलिए इस समय का खास ख्याल रखना चाहिए। नवरात्रि में जो भक्त नियमित पाठ करते हैं उन्हें नवमी तिथि को कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए।