केदारनाथ धाम से प्रवाहित होकर आ रही पवित्र पावनी मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित बांसवाड़ा क्षेत्र केदार घाटी का एक आकर्षक प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त देदीप्यमान तप स्थल है। चारों ओर केदारघाटी की पहाड़ियों के मध्य स्थित बांसवाड़ा चार धाम यात्रियों के लिए एक विश्राम और तप स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। साथ ही यह तपस्थली मां सिद्धेश्वरी देवी शक्ति पीठ के रूप में माना जाता है।
मंदाकिनी नदी के तट पर मां सिद्धेश्वरी देवी ने भगवान श्री भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। भगवान केदारनाथ बाबा ने उन्हें दर्शन देकर अपार सिद्धियां प्रदान की थीं जिस कारण उनका नाम मां सिद्धेश्वरी पड़ा। मान्यता है कि यहां जो भी व्यक्ति मंदाकिनी के तट पर मां सिद्धेश्वरी देवी की आराधना करता है, उसे मां प्रसन्न होकर दर्शन देती हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं व उसे विभिन्न सिद्धियां प्रदान करती हैं।
मां सिद्धेश्वरी देवी समस्त आध्यात्मिक धार्मिक सिद्धियों की संग्रहकारिणी सिद्धिदात्री है जिसके स्मरण से ही मनुष्य को वैभवता प्राप्त होती है।
मां सिद्धेश्वरी देवी शक्ति पीठ बांसवाड़ा को नवनिर्मित मंदिर के रूप में आकार देने का पवित्र कार्य गीता कुटीर तपोवन हरिद्वार-वृंदावन के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी अवशेषानन्द महाराज ने अपने गुरु सिद्ध बाबा स्वामी गीता नंद जी महाराज से प्राप्त अंतर्मन की प्रेरणा से 1997-98 में शुरू किया था।
2001 में उत्तराखंड राज्य बनने पर मां सिद्धेश्वरी मंदिर के निर्माण की नींव रखी गई थी। 2005 में मां सिद्धेश्वरी का भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ। 12 जून 2005 को इस दिव्य भव्य मंदिर की स्थापना के साथ ही सामूहिक कन्या पूजन का शुभारंभ भी किया गया। 1008 कन्याओं का वैदिक विधि विधान के साथ पूजन किया जाता है। 2013 में केदारनाथ आपदा के वक्त मंदाकिनी नदी में आई भीषण बाढ़ की चपेट में आ जाने से यह दिव्य भव्य मंदिर बह गया, परंतु इस मंदिर में स्थापित मां सिद्धेश्वरी देवी की अष्ट धातु की बनी प्रतिमा वहीं विराजमान रही।
2017 में महामंडलेश्वर स्वामी अवशेषानन्द महाराज ने मां सिद्धेश्वरी देवी मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया और फिर से मां सिद्धेश्वरी देवी का दिव्य भव्य मंदिर मंदाकिनी नदी के तट पर बनकर तैयार हो गया। स्वामी अवशेषानन्द महाराज का मानना है कि यह सब मां सिद्धेश्वरी देवी के आशीर्वाद से ही संपन्न हो पाया। हर वर्ष 12 जून को मां सिद्धेश्वरी देवी मंदिर का स्थापना दिवस वैदिक विधि विधान के साथ मनाया जाता है।
इस तीन दिवसीय धार्मिक आयोजन में मां सिद्धेश्वरी देवी के पूजन, हवन, भजन-संध्या के साथ-साथ कन्या पूजन की परंपरा का पालन किया जाता है। इस अवसर पर तीर्थयात्रियों और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए गीता कुटीर तपोवन की ओर से निशुल्क चिकित्सा शिविर भी लगाया जाता है।
मां भगवती सिद्धेश्वरी देवी का मंदिर सुप्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर से केवल 50 किलोमीटर पहले अगस्त मुनि के समीप स्थित है। केदारनाथ की तीर्थयात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों और साधु-संतों के लिए मां सिद्धेश्वरी देवी मंदिर और गीता कुटीर तपोवन में भंडारे की सेवा प्रदान की जाती है। केदारधाम घाटी में स्थित बांसवाड़ा गांव में मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित मां सिद्धेश्वरी देवी मंदिर और गीता कुटीर आश्रम तपोवन साधु संतों और राहगीरों के लिए एक वरदान के रूप में साबित हो रहा है। आश्रम की ओर से पैदल यात्रा करने वाले साधु संतों को दैनिक उपयोग के साथ ही यात्रा के दौरान गरम वस्त्र प्रदान किए जाते हैं और उनके लिए ठहरने की व्यवस्था भी रहती है।
स्वामी अवशेषानन्द महाराज कहते हैं कि हिंदूू सनातन संस्कृति में जाति बंधन से मुक्ति और कन्याओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए मां सिद्धेश्वरी देवी मंदिर और गीता कुटीर तपोवन आश्रम में कन्या पूजन की परंपरा 14 सालों से निरंतर चल रही है। इस अवसर पर 1008 कन्याओं का सामूहिक पूजन किया जाता है और उन्हें उपहार स्वरूप सूट, चूड़ियां, बिंदी और विभिन्न आभूषण तथा उपहार और दक्षिणा प्रदान की जाती है।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में मनुष्य के आध्यात्मिक जीवन में शक्ति पूजा का विशेष महत्त्व है। कन्या पूजन शक्ति की उपासना का एक साधन है। शिवत्व को प्राप्त करने के लिए शक्ति पूजा एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है और केदारघाटी में तो शक्ति पूजा के बिना शिवत्व की प्राप्ति हो ही नहीं सकती। इसलिए शिव भक्तों को प्राप्त करने का सबसे बड़ा रास्ता मां सिद्धेश्वरी की पूजा अर्चना करना है जो हमें शिवत्व की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
आश्रम में कन्या पूजन करने की धार्मिक परंपरा के पीछे सामाजिक समरसता का भाव है। शिव के बिना शक्ति अधूरी है और शक्ति के बिना शिव। इसलिए शक्ति पूजन यानी कन्या पूजन का विशेष महत्त्व है। चैत्र एवं शारदीय नवरात्रों में मां सिद्धेश्वरी देवी मंदिर में नौ दिन तक दिव्य धार्मिक आयोजन होते हैं। शक्ति साधकों के लिए मां सिद्धेश्वरी देवी मंदिर केदारनाथ घाटी आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।